पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४१२

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रावणगंगा ४१७१ राशि पर्या०-पौलस्त्य । दशकघर । दशानन । राक्षसेंद्र । २ चिल्लाना । अाक्रदन (को०) । ३ एक मुहूर्त का नाम (को॰) । रावणगगा-सज्ञा स्त्री॰ [स० रावणगङ्गा] पुराणानुमार सिंहल द्वीप की एक नदी का नाम । रावणारि-सज्ञा पुं० [सं०] रावण को मारनेवाले, रामचद्र । रावणि-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] १ रावण का पुत्र | २ मेघनाद । रावत-सज्ञा पुं॰ [स० राजपुत्र, प्रा० राय + उत्त] १ छोटा राजा। २ शूर। वीर। बहादुर । सेनापति । बडा योद्धा। ४. मामत । मरदार । उ०-हो रावत मडली कोरि मच्छर मन मडहु । सो तुरग तन पिस्यो सग वाहिर गहि कहहु । -पृ० रा०, ६४।३६ । रावन'-सञ्ज्ञा पु० [स० रावण] दे० 'रावण' । गवन-वि० [स० रमण] रमण करनेवाला। उ०-हौं रामा तू रावन गऊ ।-जायसी ग्र०, पृ० १३६ । रावनगढ़-सज्ञा पुं० [हिं० रावण + गढ़] लका । रावना-क्रि० स० [स० रावण ( रुलाना ) ] दूसरे को रोने में प्रवृत्त करना । रुलाना । उ०-इहाँ भंवर मुख बात हिलावसि । उहाँ सुरुज कहं हंसि हंसि रावसि ।—जायसी (शब्द॰) । रविवहादुर-सज्ञा पुं० [हिं० गज + फ़ा. वहादुर] एक प्रकार की उपाधि जो पहले भारत की अंगरेजी सरकार प्राय दक्षिण भारत के रईसो आदि को देती थी। रावर'-सशा पु० [स० राजपुर + प्रा० राय+ उर] रनिवास । राज- महल । अत पुर । उ०—(क) रावर मे नृप बोलि लिए गुनि । ठाढ किए परदा तट लै मुनि ।-केशव (शब्द॰) । (ख) रावण जैहै गूढ थल, रावर लुट विशाल | मदोदरी कढोरिवो, अरु रावण को काल । —केशव (शब्द०)। रावर'-वि० [हिं० राउ+ कर (विभक्ति)] [वि० सी० राउरी, रावरी] अापका । भवदीय । उ० - टूट्यो सो न जुरैगो मरासन महेस जू को रावरी पिनाक में सरीकता कहा रही। —तुलसी (शब्द०)। रावरखा-सञ्ज्ञा पुं० [देश॰] एक प्रकार का बहुत वडा और ऊंचा पेड । बुरुल । विशेप-यह वृक्ष हिमालय मे १३,००० फुट की ऊंचाई तक होता है । इसकी छाल बहुत सफेद और चमकीली होती है। इसकी लकडियो से पहाडी मकानो की छतें और छाल से झोपडियां छाई जाती हैं । इसकी पत्तियाँ प्राय चारे के काम मे आती है रावरा-सर्व० [हिं॰] दे॰ रावर' । रावराजा-सधा पुं० [हिं०] संमानसूचक एक उपाधि । रावल-सज्ञा पुं॰ [स० राजपुर, हि० राउर] अत पुर । राजमहल । रनिवास । उ०—भए विनु भोर वधू शोर करि रोइ उठी भोइ गई रावल मे सुनी साधु भापिए ।-प्रियादास (शब्द०)। रावल'-सज्ञा पुं० [पा० राजुल] [सी० रावलि, रावली] १ राजा। उ०-चेतन रावल पावन खडा सहजहि मूल बाँध । ध्यान धनुष धरि जानवान बन योग सार सर साधै ।- कबीर (शब्द॰) । २ राजपूताने के कुछ राजानो की उपाधि । ३ प्रवान । सरदार । ४ एक प्रकार का प्रादरसूचक सवोधन । उ०-(क) रावल जी ड्योढी के भीतर न जाना ।-हरिश्चद्र (शब्द॰) । (ख) 'रावलि कहाँ है' ? किन कहत हो कातें ? 'अरी रोप तरज' 'रोष के कियो मैं का अचाहे की ?-पद्माकर (शब्द०)। ५ श्रीवदरीनारायण के प्रधान पडे की उपाधि । ६ मथुरा के पास के एक गाँव का नाम । कहते हैं, यही राधिका का जन्म हुआया। रावसाहब-सज्ञा पुं० [हिं० राव+फा० साहव ] एक प्रकार की उपाधि जो पहले भारत की अंगरेजी सरकार की ओर से दक्षिण भारत के रईसो प्रादि को दी जाती थी। रावी-सन्ना स्त्री० [सं० एरावती) पजाब की पांच नदियो मे स एक नदी जो हिमालय से निकलकर प्रायः दो सौ कोस बहती हुई मुलतान स बीस कोस ऊपर चनाब मे मिलता है। राशन-सहा पुं० [अ० ) १. रोजमर्रा की निश्चित खूराक । २. नियत्रित तथा निश्चित मात्रा मे वस्तुमा का वितरण। जैसे, चीनी का राशन, तेल का राशन । राशनिंग-सज्ञा पुं० [ अ० ] खाद्य पदार्थों या अन्य वस्तुप्रो की समान अनुपात म वितरण का व्यवस्था । राशि-सज्ञा खी० [ स० ] एक ही तरह की बहुत सी चीजो का समूह । ढेर । पुज । जैस,-प्रन्न की राशि । क्रि० प्र०—लगना ।—लगाना । मुहा०-राशि वंठना = गोद बैठना । दत्तक पुत्र होना । ३ क्रातिवृत्त मे पडनेवाले वि.शष्ट तारासमूह जिनकी संख्या वारह है और ।जनके नाम इस प्रकार हैं-मेप, वृप, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धन, मकर, कुभ और । मीन । 1 विशेष-प्राकाश मे पृथ्वी जिस मार्ग से होकर सूर्य की परिक्रमा करती है, वह क्रातिवृत्त कहलाता है। परतु पृथ्वी पर से देखने पर साधारणत. यही जान पडता है कि सूर्य ही उस क्रातिवृत्त पर होकर चलता और पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस क्रातिवृत्त पर दोनो ओर प्राय ८० अश तक अनेक तारासमूह फैले हुए हैं। इनमे से प्रत्येक तारासमूह मे से होकर गुजरने मे सूर्य को प्राय एक मास लगता है, इसी विचार में समस्त क्रातिवृत्त वरावर वरावर बारह भागो मे बांट दिया गया है जिन्हे राशि कहते हैं। प्रत्येक ताराममूह की प्राकृति के अनुसार ही उनका नाम भी रख लिया गया है और उसमे के तारे भी गिन लिए गए है। जैसे,-मेप कहलानेवाली राशि का आकार भी मेप या भेड़े के समान है और उसमे ६६ तारे हैं । इसी प्रकार १४१ तारो के एक समूह का प्राकार वृष या वैल के समान है, और इसी लिये उसे वृष कहते हैं । फलित ज्योतिष मे भिन्न भिन्न राशियो के भिन्न भिन्न स्वरूप, वर्ण, स्वभाव, गुण, कार्य, अधिपति, देवता आदि दिए गए