पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४०७

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रामननुआ ४१६६ रामराज्य रामननुआ-सज्ञा पुं० [हिं० राम + ननुपा] १ घीया । २ कद्दू । वांस जो प्राय नालकी के डडे बनाने के काम मे आता है। लौकी । लौवा। २ केतकी या केवडे की जाति का एक पौधा जिसके पत्त रामनवमी-सज्ञा स्त्री० [सं०] चैत्र सुदी नवमी जिस दिन रामचद्र जी नोले और खांडे की तरह दो ढाई हाय लवे होते हैं । का जन्म हुअा था। इस दिन हिंदू रामजन्म का उत्सव मनाते विशेष—यह सारे भारत मे या तो प्रापसे पाप होता है या और प्रत रखते है। कही कही वोया भी जाता है। इसकी पत्तियां कूटकर एक रामना- क्रि० अ० [सं० रमण] घूमना । फिरना। विचरना। उ०- प्रकार का रेशा निकाला जाता है, जो रम्से और रस्सियों (क) एक समय पहुं रामत माही। पर्यो अकेल रहेउ कोउ आदि बनाने के काम में प्राता है। इन पत्तियो मे एक प्रकार नाही।-रघुराज (शब्द॰) । (ख) एक समय रामन हित का तेजावी रम होता है जिसके हाथ मे लगन से छाले पड कीन्छौ कहूं पयान । -रघुराज (शब्द॰) । जाते हैं, इसलिये पत्तियां कूटने के समय कही कही हायो में रामनामी-सज्ञा पुं० [हिं० राम+नाम+ ई (प्रत्य॰)] १ वह चादर, एक प्रकार के दस्ताने पहन लेत हैं। इसकी जड और पत्तियों दुपट्टा या धोती आदि जिसपर 'राम राम' छपा रहता है और का श्रोपधि के रूप मे भी व्यवहार होता है। रेल की सडको जिमका व्यवहार राम के भक्त लोग इसलिये करते हैं जिसमें के किनारे यह अकसर लगाया जाता है । राम का नाम हरदम आँखो के सामने रहे । रामवान-सज्ञा पुं० [हिं० राम+स० बाण ] १ एक प्रकार का विशेप- इसी प्रकार कुछ कपडो पर कृष्ण या शिव का नाम भी नरसल । रामशर । विशेप दे० 'रामशर' । ३ दे० 'रामवाण' । छपा रहता है। रामविलास-सज्ञा ॰ [ स० राम + विलास ] एक प्रकार का धान । २ गले मे पहनने का एक प्रकार का हार जो प्राय सोने का रामवोला-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० राम+बोला ] वह जो राम राम होता है। वोलता हो। गास्वामी तुलसीदास का एक नाम । उ०- विशेप-इसमे छोटे छोटे कई टिकडे या पान आदि होते हैं, जो राम को गुलाम नाम रामबोला राख्यो राम, काम यह नाम आपस मे एक दूसरे के साथ जजीर के कई छोटे छोटे टुकडो या द्वे हा कबहुं कहत हो । -तुलसी ग्र०, पृ० ४६६ । लडो से जड़े होते हैं। इसके बीच मे प्राय एक पान होता है, रामभक्त'-वि० [सं० ] रामचद्र का उपासक । जिसमे 'राम' शब्द, किसी देवता की मूर्ति अथवा चरणचिह्न रामभक्त-सज्ञा पुं० हनुमान् । अकित होता और जो पहनने पर छाती पर लटकता रहता है। इसी के कारण इसे रामनामी कहते हैं। रामभद्र-सज्ञा पुं० [सं० ] रामचद्र। रामनौमी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० रामनवमी] दे० 'रामनवमी' । रोमभोग-सज्ञा पुं॰ [ स० राम+भाग ] १ एक प्रकार का चावल । २. एक प्रकार का प्राम। रामपात-सज्ञा पुं० [हिं० राम+पत्र] नील की जाति की एक प्रकार राममत्र-सहा पुं० [ स० राममन्त्र ] 'रामतारक' की झाडी जो अासाम देश मे होती है और जिसकी पत्तियो तथा छाल से वहाँ के लोग रग बनाते हैं । रोमरक्षा-मज्ञा पु० [ स० ] राम जी का एक स्तोत्र जिसके कर्ता विश्वामित्र जी माने जाते हैं। रामपुर-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ स्वर्ग । वैकुठ । २ अयोध्या। विशेप-कहते है कि इस स्तोत्र के मत्रो मे अभिमत्रित किया रामफटाका-सचा पुं० [हिं० राम + फटाका ?] तीन खडी लकीरो- हुया व्यक्ति विशेष रूप से सुरक्षित रहता है। वाला तिलक जिसे रामानदीय साधु लगाते हैं । इसे ऊर्ध्वपुड्र भी कहते हैं। रामरज-मज्ञा स्त्री० [सं० ] एक प्रकार की पीली मिट्टी जिसका रामफल-सज्ञा पुं० [हिं० राम + फल ] शरीफा । सीताफल । वैष्णव लोग तिलक लगाते हैं। यह मध्य प्रदेश में नदियो (जैसे, चित्रकूट की मदाकिनी ) के किनारे बहुत मिलती है । रामवटाई-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० राम + बाँटना ] वह विभाग जिसमे रामरतन सझा पुं० [हिं० राम + रत्न ] चद्रमा । ( डि. प्राधा एक व्यक्ति और आधा दूसरे व्यक्ति को मिले । यावे माव की वंटाई। मिरस- सञ्चा पु० [हिं० राम + रस ] १ नमक । २ पीसी या बनी हुई भग । ( मदरास ) । विशेप-यह न्याययुक्त होती है, इसी मे इसे रामवंटाई कहते है। रामरसडाली रामबवूल-सचा पुं० [सं० राम + बवूल ] एक प्रकार का बवूल [-सज्ञा स्त्री॰ [ हिं• राम + रम + ढाली ] एक प्रकार या कीकर जो गुजरात, झग और झेलम मे अधिकता से की ऊख जो कनारा में पैदा होती है। होता है। रामराज-सशा पुं० [सं० रामराज्य ] दे० 'रामराज्य' । विशेष—इसकी डालियाँ सरो की डालियो की तरह तने से सटी रामराज्य-सशा पुं० [ ] १ रामचद्र जी का शासन जो प्रजा रहती हैं। इसकी लकडी कम मजबूत होती है। इसे कावुली के लिये अत्यत सुखदायक था। कीकर भी कहते है। रामचद्र के शासनकाल का सा सुख हो । अत्यत सुखदायक रामघाँस -सशा पुं० [हिं० राम+बाँस ] १. एक प्रकार का मोटा शासन । ३ मैसूर देश। TO २ वह शासन जिसमे