सोमजामा ४०३४ मोर मिजाज बदले। मोम की मरियम = बहुत ही कोमल और सुकुमार स्त्री। वत्ती। मुहा०—मोम करना या मोम बनाना = द्रवीभूत कर लेना । दयार्द्र कर लेना। मोम होना = दयार्द्र हो जाना। पिघल जाना। कठोरता छोड देना। २ रूप, रग और गुण श्रादि मे इसी से मिलता जुलता वह पदार्थ जो मधुमक्खी की जाति के तथा कुछ और प्रकार के कीडे पराग आदि से एकत्र करते हैं अथवा जो वृक्षो पर लाख आदि के रूप मे पाया जाता है। ३ मिट्टी के तेल मे से, एक विशेष रासायनिक क्रिया के द्वारा, निकाला हुया इसी प्रकार का एक पदार्थ । जग हुआ मिट्टी का तेल । विशेष-अतिम दोनो प्रकार के मोमो का व्यवहार भी प्राय पहले प्रकार के मोम के समान ही होता है । मोमजामा-सञ्ज्ञा पु० [फा० मोम + जामह, ] वह कपडा जिसपर मोम का रोगन चढाया गया हो। तिरपाल । विशेप- ऐसे कपडे पर पड़ा हुआ पानी पार पार नही होता। मोमदिल-वि॰ [ फा० मोम + दिल ] दूसरो के दु ख से शीघ्र द्रवित होनेवाला । बहुत कोमल हृदयवाला । मोमना-वि० [हिं० मोम + ना (प्रत्य॰)] मोम का सा । वहुत ही कोमल । मोमबत्ती-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा० मोम + हिं० बत्ती ] मोम वा ऐसे ही किसी और जलानेवाले पदार्थ की बनी विशेष- इस प्रकार की बत्ती के बीच में एक मोटा होरा होता है और उसपर मोम चढा रहता है । जब वह डोरा जलाया जाता है, तब चारो ओर से मोम गल गलकर जलने लगता है। जिससे प्रकाश होता है। प्राचीन काल मे फारस आदि देशो में उत्सवो आदि पर इसका बहुत अधिक व्यवहार होता था। मोम-भर-वि० [ देश० ] वजनदार । भारवाला । प्रतिष्ठावाला । उ०—छिप्पत कबहुं न मोमम्भर तिन । रकति न छिप वित परषन पिन ।-पृ० रा०, ६१८६ । मोमिन-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] [ सी० मोमिना ] १ धर्मनिष्ठ मुसलमान । उ०-मोमिनो नेक य आसार मुबारक होए । भारतेंदु न , भा० १, पृ० ५४२ । २ जुलाहों की एक जाति । ३ एक उर्दू कवि का नाम । मोमिया-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [अं० मम्मी, फ़ा० मोमिया ?] मसाला लगाकर सुरक्षित रखी हुई लाश । सडने से बचाने के लिये सुगधित मसाला के लेप द्वारा सुरक्षित पुरातन शव । मोमियाई-सज्ञा स्त्री॰ [फा० मोमियायो ] १ कृत्रिम शिलाजतु । पत्थर से बननेवाला शिलाजतु । नकली शिलाजीत । उ०- वहाँ एक किस्म का पत्थर होता है। उसको पानी में उबालकर मोमियाई बनाते है ।-शिवप्रसाद (शब्द॰) । मुहा०-मोमियाई निकालना = (१) किसी से कठिन परिश्रम लेना। किसी को खूब मारना पीटना। विशेष—कुछ लोगो का विश्वास है कि मोमियाई मनुष्य के शरीर को आँच से तपाकर निकाली हुई चिकनाई से तैयार की जाती है, इसी से ये मुहावरे बने हैं । २ काले रंग की एक चिकनी दवा जो मोम की तरह मुलायम होती है। यह दवा घाव भरने के लिये प्रसिद्ध है। मोमो-वि० [फा०] १ मोम का बना हुआ । जैसे, मोमी मोती, मोमी पुतला । २ मोम का सा । मोमी मोती-मज्ञा पुं० [फा० मोमी+ स० मौक्तिक ] मोम मे वना मोती। एक प्रकार का नकली मोती। उ० -चमकोले और बड़े वडे मोमो मोतियो से सजे बाल खूब ही मजा दे रहे थे।- शरावी, पृ० २६ । मोयन-सशा पुं० [हिं० मैन (= मोम ) ] मांडे हुए आटे में घी या चिकना देना जिसमे उससे बनी वस्तु खसखसी और मुलायम हो। यौ०-मोयनदार = जैसे, मोयनदार कवोरी। मोयना - -सशा सं० [हिं० मुनना ] दे॰ 'मरना' । उ०—जिए लग तो जोरू वचे प्यार करते । मोये पर तो मुर्दा क कर जी में डरते। -दक्खिनी०, पृ० २५३ । मोयुम -सज्ञा पुं॰ [दथ० ] एक लता जो प्रासाम, सिक्किम और भूटान मे बहुतायत से उत्पन्न होती हैं। विशेप-इस लता से प्रत्यत चमकीला रग तैयार किया जाता है, जिससे कपडे रंगे जाते है। मोरंग-सज्ञा पुं॰ [देश॰] नेपाल देश का पूर्वी भाग जो कोशिकी नदी के पूर्व पड़ता है। विशेप-सस्कृत ग्रथो मे इसी भाग को 'किरात देश' कहा गया है। इस देश मे जगल और पहाडियाँ बहुत हैं। इस देश का कुछ भाग जिला पुरनिया ( वगाल ) मे भी पडता है। मोर'-सज्ञा पुं॰ [ सं० मयूर, प्रा. मोर ] [ स्त्री० मोनो ] १ एक अत्यत सु दर वडा पक्षी। मयूर । ब_। उ०-भादव मास बरिस घनघोर । सभ दिस कुहकए दादुल मोर ।-विद्यापति, पृ०१३१। विशेष—यह पक्षी प्राय चार फुट लवा होता है और इसको लबी गर्दन और छाती का रग बहुत ही गहरा और चमकीला नीला होता है। नर के सिर पर बहुत ही सु दर कलगी या चोटी होती है। पख छोटे तथा पूछ ल बी और अत्यत सुदर होती है। नर जिस समय प्रसन्न होता है, उस समय अपनी पूंछ के पर खडे करके मडलाकार फैला देता है, जिससे वह बहुत ही सुदर जान पडता है। पूंछ के परो पर बहुत मुदर दाग या चित्तियाँ होती हैं, जिनका रग नीला होता है मौर जिनपर सुदर सुनहरा मडल होता है। इन्हे चद्रिका' कहते हैं। मोर सब पक्षियो से सुंदर पक्षी है। अनेक चटकीले रगो का जैसा सु दर मेल इसमे होता है, वैसा और किसी पक्षी में नही होता। प्राचीन यूनानी और रोमन इसे बहुत पवित्र मानते थे। राजपूताने मे अब तक कोई इसकी हत्या नहीं करता। इसका स्वभाव है कि बादलो की गरज सुनते ही यह कूकता है । संस्कृत मे इसका एक नाम भुजगभुक् है। कहते हैं, । गोल
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२७५
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।