मोचरस ४०२८ मोग स० मोचरस-मज्ञा पुं० [सं०] मेमल वृक्ष का गोद । सेमर का गोद । मोट'-सा ग्री० [८० मोट ( = गट्टर) 17. मोटी ] गठगे। मोचा सशा स्री० [सं०] १ केला । २ मेमल वृक्ष (को०)। ३. मोटरी। उ०—(7) जाT मोट गिर याम मावि तुम सन थीं नीली वा नील का पाया (को०)। ५. महिजन । गोभाजन पोप उनारी ।-गुर (म १०)। (7) नट 7 मीग जादिन नई (को०)। तुटी मुग्न गी गाट । गुग पपिचाग पनि पारी 1 मोचाट-सज्ञा पुं॰ [ म० ] १ ला। २ केले की पे बीच का सग । मिर्ग (२०)। (ग) नाम मोर ना ही किया कोमल भाग। केने का गाभ। ३ चदन (को०)। ८ गण होत गाटेत, गोट दिनु मोट पाय भयो न नि71- जीरफ । वाला जीरा (को०) । तु नमी (म०)। मोचिक-सज्ञा पुं॰ [सं०] वह जो उपान बनाता हो । मापी।सो) । मोट-सा एक चम-ना जिम माग in मीनने में मोचिनि-सशा सी० [सं०] मोची पी सी। उ०-मोनिनि यन लिग पुगी पानी निकाला जाता है। घरमा । पुर।:- गगात पोधिय गग। उ4 मोट नरसपी पारा- संकोचिनि हीरा मांगन हो |-तुलमी ग०, पृ० ५। पचार (मद०)। मोचिनी-मज्ञा पी० [म.] पाई का पौधा । मोट-० [f० मोटा] ? जो बाग-ना माटा। २ मोची-सज्ञा पुं० [सं० मुश्चक या फा० माज' (= जूना)+ ग मान पा। मापारण। 3- न पट मार (प्रत्य०) (= चमडा) छुटाना ] नमडे का फाम बनानपाना । पुराना । दि गरि सान नाना ।-गुनमी (०)। वह जो जो प्रादि बनाने फा व्यवसाय करता हो । 10. 'माटा'। मोची-वि० [स० मोचिन् ] [ वि० पी० मोचिनी ] १. दुगनवाला । चो०-मोर भर गठरीर दास ज्यादा। ना पहा २ दूर करनेवाला। गधार माट भर बाम मिळावी-पनह०, पृ० १ । मोची-सका पी० [ ] हिलगोचिका शाक (को०] । मोटक-श पु० [म० ] पितृतर्पण म व्यय । दुररा दिया जा मोच्छल 2- सशा पु० [ स० मो२० 'मोक्ष' । जय जिगर मून पोर याभाग र घार रहते हैं। यह मोछ'-सा जी० [हिं०] १० 'मूछ' । मिशन निग्न हा और पितपस मे ही प्रयुक्त है। मोछ। २-सा पुं० [सं० मोक्ष . 'मोक्ष'। उ०-पाहि पट भरि मोटफी-सहा म [सं०] एरा का नाम । सोवही जानहिं पठात न मोछ ।-भीगा० म०, पृ०६४। मोटन-पुं० [सं०] १ । हवा । २ मनना, मना मोज 2-उशा सी० [अ० मोज ] दे० 'मोग' । उ०-रोगग्रस्त या पीमना। होन से भत ममय मुम्ब से प्रगगपश वा जैसे मोज भाई, यह मोटनक-सा ५० [0] एक पर्यावृत्त जिसके प्रत्या पण म डाली।- नुदर० ग्र० ( जी० ), भा० १, पृ० १२५ । एक तगरा यो जगरण और घत में एमरक नप गुरन मिना- मोजड़ी-सशासी[ शप०, देशी ] उपानह । जूनी । पादप्राणिका। गर ११ पक्षर होते है। जमे, - शार गर २ यरान मरें। उ०—(क ) सूटर जीन न मोजती गादया नही रोगाण । दिग्पास गयपन दास न । पराप्यो दस दूनर नार वो । माह माजनियां सालर नहीं मालर ग्राही ठाण ।-टोला०, टू० नुर पोरन कीन गर्ने ।-गर (शब्द०)। ३७५ । (स) चुट तिहि वेर मनग पेल देखन को पायो, एक मोटर-स्सा ५० [अं०] १ एक विशेष प्रकार में पान या पत्र मोजरी मद्धि पनग फन पानि लुवायो।-० स०, ११५०६ । जिसमे पिणी ग य प्रादि ना सचालन पिया जाता है। मोजरा- सज्ञा पुं० [ अ० मुजरा ] दे० 'मुजरा' । उ०-लेत मोजरा चलानेवाला यंत्र । २. एा प्रकार की प्रनि घोटी गाली जो सबहिं को जहं ली जीव जहान |-धरनी० बानी, पृ० ५६ । इस प्रकार के यम को नहायता से चलती है। मोटरवार। मोजा-सज्ञा पुं० [फा० मोज़ह, ] १ पैरो मे पहनने का एक प्रकार विशेप-इस गानी गे तेल मादि गी महायता से चलनेवाला का बुना हुआ कपडा जिमी पैर के तलवे से लेकर पिंडली या एक इजिन लगा रहता है जिसका नाम उनके पहियो त होता घुटने तक ढक जाते हैं। पायतावा । जुर्राब । २. पैर में पिंडली है। जब यह इजिन चलाया जाता तब उगही महायता से के नीचे का वह भाग जो गिट्टे के ग्राम पाम और उसके कुछ गाटी चलने लगती है। यह गाडी पाय समारी पोर बोझ ऊपर होता है । ३ कुश्ती का एक पेंच । इगमे जय सिलाठी ढोने अथवा सोचने को काम में आती है। अपने विपक्षी को पीठ पर होता है, तब एक हाथ उसके पेट यो०-मोटर फार = बोटी मोटर गान। मोटर । हयागाड़ी। के नीचे से ले जाकर उसकी बगल मे जमाता है और दूसरे एक मोटर कार द्वार पर मापर स्की ।--गवन, हाथ से उसका मोजा या पिंडली के नीचे का भाग पकडकर पृ० ११ । मोटर गाडी = मोटरवार। मोटर ड्राइवर - मोटर उसे उलट देता है। गाडी चलानेवाला । मोटर वोट = मोटर इजन से चलनेवाली मोजा'--सचा पुं० [ देशी० ] उपानह । जूता । उ०-फिरि राय प्राय नाव । मोटर साइकिल = मोटर यम ने चलनेवाली साइकिल । हेबर चढ्यो पहरत मोजे पग डस्यो। भवितव्य वात प्राघात मोटरी-सज्ञा ग्री० [मोट (वा), तैलग मूटा (= गठरी)] गति इतनी कहि राजन हस्यो।-पृ० रा०, ११५०६ । गठरी । उ०—(क) पाश्रम बरन कलि विवस, विकल भए, 1 उ०
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२६९
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