पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२६३

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मैटिनी ४०२२ मैदान स० eo जैसे,--प्रेस पर फर्मा कपते हुए एक पेज का मैटर टूट गया । प्रयोगव माता से उत्पन्न कही गई है। इसका काम दिन गत ( कंपोजीटर )। को घडियो को पुकारकर बताना था। मैटिनी-सशा स्त्री० [अं०] अपराहकालीन नाट्याभिनय मैत्रेयिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० ] मित्र के साथ युद्ध । मित्रो या दोस्तो एक रोज भाल साहब की साली के साथ मैटिनी ( दोपहर ) के बीच की लडाई [को०] । में सिनेमा भी हो पाई।-भस्मावृत०, पृ० ३६ । मैत्रेयी-सज्ञा स्त्री० [ स०] १ याज्ञवल्क्य की स्त्री का नाम जो वह्म मैडम-सज्ञा स्त्री० [अं॰] विवाहिता तथा वृद्धा स्त्री के नाम के प्रागे वादिनी और बडी पडिता थी। २ अहल्या का नाम । लगाया जानेवाला अादरसूचक शब्द । श्रीमती। महाशया। मैत्र्य-सज्ञा पु० [ ] मित्रता। दोस्ती। जमे, मैडम ब्लैडवैस्को। मैथिल-वि० [ स० ] १ मिथिला देश का । २ मिथिला सवयी । मैडो-सज्ञा खी० [सं० मठिका या मण्डपिफा, प्रा० मढी] मडई । महया। छोटा मकान । मढी । उ॰—मैडी महल वाडी मैथिल'–सशा पुं० १ मिथिला देश का निवामी । २ राजा जनक का एक नाम। छाजा। छाहि गए सव भूपति राजा ।-कबीर ग्र०, पृ० मैथिललिपि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ सं० ] मिथिला देश या प्रात की लिपि । १२० । मैत्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ अनुराधा नक्षत्र । २ मूर्यलोक । ३ विशेप-मिथिला ( तिरहुत ) देश के ब्राह्मणो की लिपि, जिसमे संस्कृत ग्रथ लिखे जाते है, 'मैथिल' कहलाती है। यह लिपि मलद्वार । गुदा । ४ ब्राह्मण । ५ सूर्योदय के समय के उपरात उससे तीसरा मुहूर्त । ६ प्राचीन काल की एक वर्णसकर जाति वस्तुत बंगला का कि.चत् परिवर्तित रूप ही है और इसका ७ मित्र का भाव । मित्रता। दोस्ती। ८ वेद की एक शाखा। वगला के साथ वैसा ही सवध है जमा कि कयी का नागरी से ६ बगाली ब्राह्मणों का एक अल्ल (को०)। है। -भा० प्रा० लि०, पृ० १३१ । मैत्र-वि• मित्र सबधी । मित्र का। मैथिली-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १. मिधिना देश के राजा की कन्या, जानकी । सीता । २ मिथिला की भापा । मैत्रक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ मित्रता । दोस्ती। २ बौद्ध मदिर का पुजारी (को०)। मैथुन- सज्ञा पुं० [स०] १. स्त्री के साथ पुरुप का समागम । मैत्रभ-सज्ञा पुं० [ ] अनुराधा नक्षत्र। सभोग । रतिक्रीडा । २ विवाह मस्कार (को०)। ३ अग्न्या- घान (को०)। मैत्राक्ष-सक्षा पुं० सं० ] एक प्रकार का प्रेत । o-मैथुनगमन = सभोग । रतिक्रीडा । मैथुनज्वर = कामज्वर । मैत्राक्षज्योतिक-मन्ना पुं० [सं० ] मनु के अनुसार एक योनि जिसमे मैथुनवैराग्य = रति या सभोग स विरत हो जाना। इादय- अपने कर्तव्य से भ्रष्ट होनेवाला वैश्य जाता है । मैत्रायण-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ गृह्यसूत्र के प्रणेता एक प्राचीन ऋपि । मैथुनिक-वि० [सं०] १ मैथुन से सवध रखनेवाला । २ स्त्री और २ मैत्र नामक वैदिक शाखा । पुरुष अथवा दोनो के आपसी व्यवहार या सपर्क से सबव मैत्रायणि-सधा पुं० [सं०] एक उपनिषद् का नाम । रखनेवाला [को०] । मैत्रावरुण, मैत्रावरुणि-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ सोलह ऋत्विजो मे मैथुनिका -सचा त्री० [सं० ] वैवाहिक सवध [को०] । से पांचवां ऋत्विज । २ मित्र और वरुण के पुत्र, अगस्त्य । विशेष—कहते हैं, उर्वशी को देखकर मित्र और वरुण दोनो मैथुन्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] गाधर्व विवाह । मैथुनीभाव-सद्धा पु० [स० ] सभोग । रतिक्रिया । देवताओ का वीर्य एक जगह स्खलित हो गया था। उसी वीर्य मैदा-सञ्ज्ञा पुं० [फा० मैदह, ] बहुत महीन पाटा। उ०-- नेह मौन से अगस्त्य और वशिष्ठ इन दो ऋषियो का जन्म हुआ था। छवि मधुरता मैदा रूप मिलाय । ३चत हलवाई मदन हलुगा मैत्रि-सज्ञा पुं० [सं० ] एक वैदिक प्राचार्य जिनके नाम पर मैञ्युप- सरस बनाय ।-रसनिधि (शन्द०)। निपद् की रचना हुई है। मुहा०-मैदे की कोई = अत्यत कोमल । मुलायम । (उदर)। मैत्री 1- सञ्चा सी० [सं०] दो व्यक्तियो के बीच का मित्र भाव । मित्रता। मैदान-सज्ञा पुं॰ [फा०] १ घरती का वह लबा चौडा विभाग जो समतल हो और जिसमें पहाडी या घाटी आदि मैत्रीवल-सज्ञा पुं॰ [स० ] बुद्ध का एक नाम । न हो । दूर तक फैली हुई सपाट भू मे | विशेष-मैत्री मुदिता प्रादि योग के चार साधन कर्म हैं, जो वुद्ध कोशल नगर तें मंदान माहिं वरात। तब भयो देवन भोर को प्राप्त हो गए ये, इसीलिये उनका यह नाम पडा । मानहु सिंधु द्वितिय देखात ।-रघुराज (शब्द॰) । मैत्रेय-सज्ञा पुं० [सं० ] , एक बुद्ध का नाम जो अभी होनेवाले हैं । मुहा०–मैदान छोड़ना या परना = (१) किसी काम के लिये बोच २ भागवत के अनुसार एक ऋपि का नाम जो पराशर के शिष्य में कुछ जगह खाली छोडना । (२) मैदान ज ना = शौचादि के थे और जिनसे विष्णुपुराण कहा गया था । ३ सूर्य । । लिये जाना । (विशेषत बस्ती के बाहर ) । प्राचीन काल की एक वर्गमकर जाति जो वैदेह पिता और २ वह नबी चौडी भूमि जिममे कोई खेल खेला जाय अथवा इसी यौ०- निग्रह। दोस्ती। उ०-जब कड़ी