पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२५२

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घटा। do मेघपुष्प ४०११ मेघाडवर मेघपुष्प-सज्ञा पुं० [ सं०] १ इंद्र का घोडा । २. श्रीकृष्ण के रथ के मेघ वहि-सज्ञा पुं० [सं० ] मेघज्योति । वज्र को अग्नि । विद्युत् चार घोडो मे से एक । उ०-शैव्य, वलाहक, मेघपुष्प सुग्रीव (को०] । बाजीरथ ।गोपाल (शब्द॰) । ३ वर्षा का जल । ४ वकरे मेघवाईल-चा सी० [हिं० मेव + वाई (प्रत्य॰)] वादल की का सीग । ५ मोथा मुस्तक । घटा । उ०-चली सैन्य कछु बरनि न जाई। मनहुं उठी पूरय मेघपुष्पा-पक्षा नी० [सं०] १. जल । २ वेंत । ३ अोला । मेघवाई।-रघुगज (शब्द॰) । मेघप्रसर, मेघप्रसव-सचा पु० [सं०] जल [को॰] । मेघवान्–स पुं० [ स० ] पश्चिम दिशा का एक पर्वत । (वृह- मेघपृष्ठि सज्ञा पुं० [ सं० ] क्रौंच द्वीप के एक सड का नाम । त्साहिता )। मेघफल-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ मेघ के वर्ण द्वारा वर्ष के शुभाशुभ मेघवाहन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ इद्र। २ शिव (को०)। ३ एक फल का निर्णय । २ विककत वृक्ष । वीद्ध राजा का नाम । मेघभूति-सशा स्त्री॰ [ सं० ] वज्र । विजली । मेघविस्फूर्जित-सज्ञा पुं० [ म० ] १ मेघ गरजन । मेघ का गडग- मेघमंडल- सशा पुं० [सं० मेघमण्डल] १ मेघसमूह । २ डाना । २ एक छद । दे० 'मेघविम्फूर्जिता' [को॰] । श्राकाश। मेघविस्फूर्जिता-सज्ञा स्त्री॰ [सं० ] एक वर्णवृत्त का नाम जिसके मेघमल्लार- सज्ञा पुं० [सं० ] सपूण जाति का एक राग जो मेघ प्रत्येक चरण मे यगण, मगरण, नगरण, सगरण, टगरण, रगण, राग और उसकी पत्नी मल्लारी के योग से बनता है। इसमे और एक गुरु होता है। सब शुद्ध स्वर लगते हैं। मेघवेश्म- -सज्ञा पुं० सं० मेघवेग्मन् ] अाकाश [को॰] । मेघमाल-सज्ञा स्त्री० [सं०] बादलों की उ०-माली मेघवती-सज्ञा पुं० [सं० मेघवतिन् ] चातक । मेघमाल बनपाल विकराल भटु नीके सब काल सीचे सुधासार मेघश्याम-वि० [ स० ] वादलो का सा काला ( राम और श्री- नीर के ।-तुलसी (शब्द०)। पण)। मेघमाल'-सञ्ज्ञा पुं० १ रभा (रमा ?) के गर्भ से उत्पन्न कल्कि के पुत्र मेघसघात-सज्ञा पु० [सं० मेघसट घात ] वादला का जमावडा । का नाम । (कल्किपुराण)। २ प्लक्ष द्वीप का एक पर्वत । ३ मेघसार-सज्ञा पुं० [ ] चीन कर्पूर । चोनिया कपूर को०] । एक राक्षस का नाम । मेघमाला - सशा स्री० [सं०] १ बादलो की घटा। कादविना। २ मेघसुहृद्-सचा पुं० [ J-मयूर । मोर [को०)। स्कद की अनुचरी एक मातृका का नाम । मेघस्तनित-सशा स्त्री॰ [सं० ] बिजली । मेघमाली-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० मेघमालिन् ] १ स्कद का एक अनुचर । यौ० - मेघस्तनितोद्भव = विककन वृत्त । २ एक असुर । मेघस्वन '-सशा पु० [सं० ] वादलो का शब्द । मेघो का गर्जन । मेघमूर्ति'-सशा स्त्री० [सं०] विजली । मेघस्वन-वि० बादल की तरह गरजने वाला। मेघमूर्ति-वि० वादलो से घिरा या ढका हुआ । मेघस्वनाकुर-सज्ञा पुं॰ [ स० मेघस्वनाएर ] वैदूर्य मणि । विल्लौर | मेघमदुर-वि० [सं०] मेघ के कारण चिकना । वादलों मे स्निग्य । विशेप-ऐसा प्रवाद है कि बादल के गरजने पर वैदूर्य मणि को मेघमोदिनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] जामुन का फल या वृक्ष (को०) । उत्पत्ति होती है। मेघयोनि-सच्चा स्त्री॰ [ ] १ धूआँ । २ कुहरा। मेघस्वर-सचा पुं० [सं०] एक बुद्ध का नाम । मेघरव-सज्ञा पुं० [सं० ] मेघगर्जन । मेघात -संश पुं० [ म० मेघान्त ] वर्षा का अत । शरदकाल (को०] । मेघराज-सया पुं० [सं० ] पुष्करावर्तक आदि मेघो के नायक इद्र । मेघा-सशा पुं० [ सं० मेघ (= वादल के ग्रान पर जो दिखाई दे )] मेघराव - सशा पु० [सं०] एक प्रकार का जलपक्षी (फो०] । मेढक । मडूका मेघरेखा, मेघलेखा-सज्ञा स्त्री० [सं० ) वादलो की कतार । मेघ मेघागम-सज्ञा पुं० [ म०] १ वर्षाकाल । २. धारा कदय । पक्ति (को०] । मेघाच्छन्न-वि० ] बादलो से ढका हुआ। मेघवर्ण-वि० [ स० ] श्याम वर्ण का । वादल के समान रगवाला। मेघाच्छादित-वि० [ म.] बादला स ढका हुआ । वादलों से छाया मेघवर्णा -सज्ञा स्त्री० [सं० ] नील का पौधा । हुमा । मेघवर्त, मंघवर्तक-सज्ञा पुं० [सं०] १ प्रनय काल के मेघो मे से मेघाटोप- संश पुं० [ स० मेघ + पाटोप ] घटाटाप । एक का नाम । उ०—सुनि मेघवर्तक साजि सैन ले पाए। मेघाडवर-संज्ञा पुं० [सं० मेव+भाडम्बर ] १ मेघगर्जन । बादल जलवर्त वारिवर्त पवनवर्त वज्रवर्त प्रागिवर्तक जलद संग लाए। की गरज । २ वादल का फैलाव | बादला का घटाटोप। -सूर । (शब्द०)। २ सवर्त । उ.-ना में मेघाडंबर भीजों। शीत काल जन मैं नहि धीजों मेघवर्म -सञ्ज्ञा पुं० [सं० मेघवर्मन् ] वादलो का पथ । मेघपथ । -सुदर गं, भा० १, पृ० ३०५। माकाश। मेघाडमर-स्था पुं० [सं० मेव+दग्यर ] एक प्रकार का पत्र । HO 60 &