पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२५१

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मेखवा ४०१० मेघपति २ वडा में से एक। मेखवा --सधा पुं० [फा० मेख + हिं० वा (प्रत्य॰) ] मेख । खूटा । मेघजीवक, मेघजीवन-संज्ञा पुं० [सं० ] चालक । विशेष-सवारी लेकर चलते वक्त जव रास्ते में आगे खूटा मिलता मेघज्योति-सच्चा ली० [ स० मेघज्योतिस ] वज्राग्नि । विजली। तव है, उससे बचने के लिये अगला कहार यह शब्द बोलता है। मेघडवर-सञ्ज्ञा पुं० [सं० मेवडम्बर ] १ मेघगर्जन । मेखी-वि० [फा० मेखी] जिसमे मेख से छेद किया गया हो। चदोवा । वडा शामियाना। दल वादल । ३ एक प्रकार का यौ०-मेवी रुपया = वह रुपया जिसमे छेद करके चांदी निकाल छत्र । उ०—छत्र मेघडवर सिरधारी। सोइ जनु जलद घटा ली गई हो और सीसा भर दिया गया हो। भतिकारी।-मानम, ६।१३ । मेग-सचा पुं० [फा० मेग । तुल० सं० मेघ ] मेघ । बादल | घटा । मेघडवर रस-सशा, पुं० [स० मेघडम्बर रस] एक रसौपघ जो श्वास उ०-होर शोर भी भांत भांत का था। बहु भांत जो मेग और हिचकी के रोग मे दी जाती है। सांत का था ।—दक्खिनी०, पृ० १६६ । विशेप-वरावर बरावर पारे और गधक की कजली चौलाई के मेगजीन-सा पुं० [भ० मेगज़ीन ] १ वह स्थान जहाँ सेना के रस मे पांच दिन खरल करके मजबूत घरिया मे रखकर 'वालुका लिये वारूद रखी जाती है। वारुदखाना । २ सामयिक पत्र, यत्र' से एक दिन भर की प्रांच देने से यह बनता है। इसकी विशेषत मासिकपत्र जिसमें लेख छपते हैं। मात्रा ६ रत्ती है। मेगनी-सचा स्त्री॰ [देश॰] दे॰ 'मेगनी'। मेघदीप-सज्ञा पुं॰ [ स० ] बिजली [को०] । २. एक मेगरा - ससा पुं० [फा० मेग+ राज० रा (प्रत्य॰) ] घटा । मेघ । मेघदुदुभि-सचा पुं० [ सं० मेघदुन्दुभि ] १ मेघगर्जन । बादल । उ०—खुशी का मेगरा वां बरसता।—दक्खिनी०, राक्षस का नाम। पृ० २७३। मेघदूत - सञ्ज्ञा पुं॰ [ सं० ] महाकवि कालिदासप्रणीत एक खडकाव्य । मेघ-सधा पुं० [सं०] १ आकाश में घनीभूत जलवाष्प जिससे वर्षा विशेष-इसमे कर्तव्यच्युति के कारण स्वामी के शाप से प्रिया- होती है। वादल । उ०-कबहुं प्रबल चल मारुत जहं तह वियुक्त एक विरही यक्ष ने मेघ को दूत बनाकर अपनी प्रिया के मेघ उड़ाहिं ।--तुलसी (शब्द॰) । २ सीत मे छह, रागो पास सदेश भेजा है। मेघद्वार-सज्ञा पुं॰ [स० ] अाकाश । अतरिक्ष। विशेष-हनुमत् के मत से यह राग ब्रह्मा के मस्तक से उत्पन्न मेघधनु-सज्ञा पुं० [ सं० ] इद्रवनुप । है और किसी के मत से आकाश से इसकी उत्पत्ति है। यह मेघनाट-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] एक राग जो मेघ राग का पुत्र माना प्रोटव जाति का राग है, और इसमें ध नि सा रे ग, ये पांच जाता है। स्वर लगते हैं। हनुमत् के मत से इसका सरगम इस प्रकार मेघनाथ-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] इद्र । है–ध नि सा रे ग म प ध । वर्षाकाल में रात के पिछले मेघनाद-सज्ञा पुं० [ पहर इसे गाना चाहिए। इसकी स्त्रियां या रागिनियां म० ] १. मेध का गर्जन । विजली की कडक । के मत से मल्लारी, सोरठी, सार गी वा हसिका और मधुमाधवी २ वरुण । ३ रावण का पुत्र इद्रजित् जो लक्ष्मण के हाथ से हैं। अन्य मत से ये रागिनियां हैं-मल्लारी, देशी, सोरठ, मारा गया था। ४ पलाश का पेड। ५ हरिवश के अनुसार नाटिका, तरुणी और कादबिनी। इसके पुत्र-मल्लार, गौर, एक दानव । ६ मयूर । मोर । ७ विडाल । विल्ली। कर्णाट, बलघर, मालाहक, तेलग, कमल, कुसुम, मेघनाट, यौ०–मेघनादजित् = लक्ष्मण जिन्होंने मेघनाद को मारा था। सामत, लूम, भूपति, नाट और बगाल हैं। मेघनादबध = माइकेल मघुसूदन दत्त द्वारा रचित बंगला भापा ३ मुस्तक । मोथा। ४ तडुलीय शाक। ५ राक्षस । ६ प्राधिक्य । का प्रसिद्ध महाकाव्य । मेघनादानुलासफ, मेघनादानुनासी बहुलता। मयूर । मोर। मेघनादमूल- मेघकफ-सचा पुं० [सं०] ओला । करका । वर्षोपल | [-सज्ञा स्त्री० [सं० ] चौलाई की जड । मेघकर्णी-सझा सी० [सं० ] स्कंदानुचर मातृभेद । मेघनाद रस-मचा पुं० [स०] एक रसौषध जो ज्वर मे दो जाती है । मेघकाल-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] वर्षा ऋतु । विशेष-एक एक तोला रूपा, कौसा और तावा तितराज की जह मेघगर्जन-सचा पुं० [ सं० ] बादल की गरज । के काढे मे दालकर छह बार गजपुट पाक करने से यह बनता है। इसकी मात्रा पान के साथ दो रत्ती है। विशेष–मेघगर्जन के समय वेदाध्ययन निषिद्ध है। उपनयन के मेघनामा-सज्ञा पुं० [सं० मेघनामन् ] एक प्रकार की घास । दिन यदि वादल गरजे, तो उपनयन टाल देना चाहिए । मुस्तक [को०] । मेघचिंतक-सचा पुं० [सं० मेघचिन्तक ] चातक [को०] | मेघनिर्घोष सञ्चा पुं० [सं०] बादलो का गरजना । मेघज-सज्ञा पुं० [सं०] १. बड़ा मोती। २ मेघजन्य वस्तु (को०] । मेघनीलक-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] तालीश वृक्ष । मेघजाल-सबा पुं० [सं०] १. मेघसमूह । धनघटा । २. अभ्रक । मेघपटल-सचा पुं० [ ] वादल की घटा। भवरक (को०]. मेघपति-सज्ञा पुं० [सं० ] बादलो का राजा या स्वामी, इद्र । हनुमत् do