मृतांग ४००५ मृणाली' मृतनिर्यातक-सज्ञा पुं॰ [स० ] मुर्दो को श्ममान पहुंचाने का पेशा करनेवाला । मडाफेका ( बंगला )। मृतप-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] एक निम्न जाति [को०] । विशेप-इस जाति के लोग मुर्दो की रखवाली करते है, शमसान तक उन्हे पहुंचाते हैं और मरे हुए प्राणियो के कपडे इकट्टा करते हैं। स० HO स० AO म० त० मृणाली-सञ्ज्ञा पु० [स० मृणालिन्] कमलपुष्प । कमल [को०] । मृण्मय-वि० [ स० ] मृत्तिकानिर्मित । दे० 'मृन्मय' [को०] । मृणमूर्ति -संज्ञा स्त्री॰ [ स० ] मिट्टी की बनी हुई मूर्ति [को॰] । मृत्-सञ्ज्ञा सी० [सं०] २० 'मृद्' [को०) । मृतड-सज्ञा पु० [ स० मृतण्ड ] सूर्य । मृताड [को॰] । मृतपुर-सज्ञा पु० [ स० मृतम् (= मृत्यु) + पुर (= लोक) ] मर्त्य लोक । मानवलोक । उ०-चल थान कैलास परी अच्छरी मृतपुर ।-पृ० रा०,२५१६३ । मृत'-वि० [सं०] १ मरा हुआ। मुर्दा । २ मृत तुल्य । मृत सा (को०)। ३ मूर्छित । शोधित । जैसे, पारा (को०)। ४. मांगा हुआ | याचित । मृत-सज्ञा पुं० १ मृत्यु । मरण । २ माँगने से मिला हुअा अन्न वा भिक्षा आदि [को०] । मृतकवल-सज्ञा पु० [ म० मृतकम्बल ] वह कपडा जिससे मुर्दे को ढंकते है । कफन । मृतक-सञ्ज्ञा पुं० [ ] १ मरा हुया प्राणी। मुर्दा । २. मरण का अशीच । ३ मरण । मृत्यु । मौत (को०) । मृतककर्म -सज्ञा पुं॰ [ मृतक पुरुप की शुद्ध गति के लिये किया जानेवाला कृत्य। प्रेतकर्म । जैसे, दाह, पोडशी, दशगात्र इत्यादि । उ०—तब सुग्रीवहिं प्रायसु दीन्हा। मृतककर्म विधिवत् सब कीन्हा ।—तुलसी (शब्द०)। मृतकधूम-सज्ञा पुं० [सं०] राख । भस्म । उ०—जम्यो गाठ भर भर रुधिर ऊपर धूरि उडाय । जिमि अंगार रासीन्ह पर मृतक- घूम रह छाय । —तुलसी (शब्द॰) । मृतकल्प-वि० [ ] मृतप्राय । मरणासन्न [को०) । मृतकातक-सज्ञा पुं॰ [ स० मृतकान्तक | शृगाल । गीदड़ । मृतगर्भा–सञ्चा स्त्री० [सं० ] वह स्त्री जिसका गर्भस्थ शिशु (भ्रण) मर गया हो। मृतगृह-सञ्ज्ञा पुं० [स० ] श्मसान | कन [को०] । मृतचेल- सज्ञा पुं० [ स० ] मुर्दे के ऊपर का कपडा। कफन । मृत- कवल । [को०] । मृतजीव-सचा पुं० [ स०] १ मरा हुआ प्राणी। २ तिलक वृक्ष । मृतजीवन-सञ्ज्ञा पु० [ म० ] मरे हुए को जिलाना । मृतजीवनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० १ वह विद्या जिससे मुर्दे को जिलाया जाता है। उ०—क्यों न जिवावं असुरगुरु तम असुरै परभात | सध्यावृत मृत्यजीवनी विद्या कही न जात ।-गुमान (शब्द॰) । २ दुधिया घास । दुग्धिका । मृतदार-सझा पुं० [सं० ] वह व्यक्ति जिसकी स्त्री मर गई हो। रहुँमा। मृतधर्मा - वि० [ स० मृतधर्मन् ] नष्ट हो जानेवाला । नश्वर । मृतनदन-मशा पु० [सं० मृतनन्दन ] वास्तुविद्या में एक प्रकार का वडा कक्ष या कमरा जिसमें ५८ खभे हो [को०) । मृतप्रजा-सञ्चा स्त्री॰ [ स० ] वह स्त्री जिसके बच्चे मर गए हो। मृतभर्तृका-सज्ञा स्त्री० [ ] विधवा । रांड [को०] । मृतमडल-सक्षा पुं० [सं० मृत + मण्डल ] मृत्युलोक । उ०- मृतमडल कोउ थिर नही आवा सो चलि जाय |-जग० श०, पृ० १३०। मृतमंडाल- सज्ञा पुं० [ स० मृताण्ड = (सूर्य) ] मार्तड । सूर्य । उ०-भुई उडि अतरिक्ख मृतमडा। खड खड धरती वरम्हडा ।-जायसी ग्र०, पृ०५। मृतमत्त-सञ्ज्ञा पु० [ ] शृगाल । गीदड [को०] । मृतमातृक-वि० [ ] जिसकी माता मर चुकी हो [को०] । मृतक्त्सा-वि० स्त्री० [ ] (स्त्री०) जिसको मतति मर मर जाती हो। जैसे मृतवत्सा स्त्री, मृतवत्सा गौ मृतमंजीवनरस-सञ्ज्ञा पुं० [ स० मृतसञ्जीवन रस ] एक रमौपच जिसका व्यवहार ज्वर में होता है। मृतसंजीवनी-सक्षा खो० [सं० मूतकसञ्जीवनी] १. एक बूटी जिसके विषय मे यह प्रसिद्ध है कि इसके खिलाने से मुर्दा भी नी उठता है । उ०-मृतसजीवनि औषधी अरु करनी सधान । अरु विशल्य करनी सुखद ल्यावहु द्रुत हनुमान ।-रघुराज (शब्द॰) । २ मृत को जीवित करने की विद्या । ३ ज्वर का एक औषध जो सुरा के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है । मृतसंजीवनी सुरा-सज्ञा स्त्री॰ [ मं० मृतसञ्जीवनी सुरा ] एक वाजीकरण प्रौपद। मृतसस्कार-सज्ञा पु० [सं०] मृत व्यक्ति का दाह संस्कार । प्रत्येष्टि (को०] । मृतसूत-सज्ञा पुं॰ [ सं०] रससिंदूर । मृतसूतक-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] [ स्त्री० मृतसूतिका ] १ वह जिसे मृत सतान उत्पन्न हुई हो । २ भस्म किया हुआ पारा। मृतस्नात-वि० [सं०] १ जिसने किसी सजाति या वधु के मरने पर उसके उद्देश्य से स्नान किया हो। २ वह मुरदा जिसे दाह के पूर्व स्नान कराया गया हो। मृतस्नान-सज्ञा पुं॰ [ स० ] १ किसी भाई बंधु के मरने पर किया जानेवाला स्नान । २ मृतक का स्नान । मृतहार-सचा पुं० [सं० ] मुर्दा ढोने या ले जानेवाला । मृतनिर्यातक मृतहारी (को०] । मृतहारी-सज्ञा पुं॰ [ स० मृतहारिन् ३० 'मृतहार' [को०] । मृताग-सशा पुं० [सं० मृताङ्ग ] मृत शरीर । शव । लाश [को०। HO
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२४६
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