पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२२६

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मुहताजी २६८५ मुहर्रमी यौ०-मुहताजखाना = अनाथालय । भन्नसत्र । गरीवो को भोजन मुहम्मदी-सज्ञा पु० [अ०] मुहम्मद साहब का अनुयायी । मुसलमान आदि देने की जगह । उ०-इम नवीन विरुद्ध धर्म के अनुयायी होकर कुछ दिनो मे ३ निर्भर । आश्रित | ४ चाहनेवाला। आकाक्षी । जैसे, हम उसी दल के परगणित हो कट्टर मुहम्मदी हो गए। प्रेमघन०, तुम्हारे रुपए के मुहताज नहीं । भा० २, पृ० २४० । मुहताजी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० मुहताज़ + ई (प्रत्य०) ] १ मुहताज होने मुहय्या-वि० [अ० ] दे॰ 'मुहैया' । की क्रिया या भाव । दरिद्रता । गरीवी । ३ परमुखापेक्षी मुहर-मज्ञा स्त्री॰ [हिं० मोह] [फा० मोहर] दे० 'मोहर' । उ०-तुम होने का भाव । परवशा। कह दीन्ह जक्त को भारा । तुम्हरी मुहर चल ससारा।- मुहदिस-सज्ञा पुं० [अ० मुहद्दिस] हदीस (पैगवर का कथन) का ज्ञाता कबीर सा०, पृ० १०११ । या जाननेवाला [को०] । यौ०-मुहरफन = मुहर खोदनेवाला । मुहरबरदार = मुहर रखने- वाला अधिकारी। मुड्वनी-सज्ञा स्त्री० [ दश० ] एक प्रकार का फल जो नारगी की तरह का होता है। मुहा०-मुहर करना । मुहर लगाना -प्रमाणित कर देना । मुहब्बत - सज्ञा सी० [१०] प्रीति । प्रेम । प्यार । चाह । मुहर-सञ्ज्ञा पुं० [सं० मुखर, प्रा० मुहर ] वाचाल | मुखर । वकवादी । उ०-लोहाना तीवर अभंग मुहर सब सामत ।- मुहा०-मुहब्बत उछजना प्रेम का प्रावेश होना। २ दोस्ती। मित्रता । ३ इश्क । लगन । लो। पृ० रा०, ४।१६। क्रि० प्र०—करना ।—रखना । मुहर-सञ्ज्ञा पुं० [ स० मयूर, हिं० मोर ] मोर । उ०—कजा हूँ मुहर यक यौ०-मुहव्यतनामा = (१) प्रेमपत्र । प्रेमी या प्रेमिका का पत्र । ऊपर आय कर । बहिश्त के कंगूरे ऊपर जाय कर 1- दक्खिनी०, पृ० ३२८ । (२) मित्र या प्रियजन का पत्र । मुहर मुहर-श्रव्य सं० मुहुमुहु बारबार। बार बार। मुहम-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] दे० 'मुहिम' । उ०-जाय नवोढा उ०—निकट निजल घट तर्ज मुहर मुहर पति दरसी।- सासरे, प्रांसू नांख उसास । मावडिया जावै मुहम, इम विन पृ० रा०, ६११३७०। हुवे उदास । बाँकी० प्र०, भा॰ २, पृ० १६ । मुहम्मद-सञ्ज्ञा पु० [अ० ] अरव के एक प्रसिद्ध धर्माचार्य जिन्होने मुहरा-भञ्ज्ञा पु० हिं० मुँह + रा (प्रत्य॰)] १ सामने का भाग। आगा। सिरा । सामना । इस्लाम या मुसलमानी धर्म का प्रवर्तन किया था । मुहा०-मुहरा लेना = मुकाबिला करना । सामने होकर लडना । विशेष-इनका जन्म मक्के मे सन् ५७० ई. के लगभग और २ निशाना । ३ मुंह की प्राकृति । मृत्यु मदीने मे सन् ६३२ ई० में हुई थी। इनके पिता का नाम यौ०-चेहरा मुहरा। अब्दुल्ला और माता का नाम अमीना था । इन्होंने अपने जीवन ४ शतरज की कोई गोटी। उ०-घोडा दै फरजी बदलावा। के प्रारभिक काल मे ही यहूदियो और ईसाइयो की बहुत सी जेहि मुहरा रुख चहें सो पावा । —जायसी (शब्द०)। ५ पन्नी घामिक वातो का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। उसी समय से ये घोटने का शीशा । ६ [ सी० मुहरी ] घोडे अथवा सवारी के स्वतत्र रूप से अपना एक धर्म चलाने की चिंता मे थे और उसी उद्देश्य मे लोगो को कुछ उपदेश भी देने थे। प्राय पशुओ का एक साज जो उसके मुंह पर पहनाया जाता है । उ०--(क) अनुपम सुछवि मुहरो लगाम ललाम दुमची जीव ४० वर्ष की अवस्था में इन्होने यह प्रसिद्ध किया था कि ईश्वर की।- रघुराज (शब्द॰) । (ख) ऊमर साल्ह उतारियउ मन ने मुझे इस ससार मे अपना पैगवर (दूत) बनाकर धर्मप्रचार खोटइ मनुहारि । पगसू हो पग कूटियउ, मुहरी झाली नारि । करने के लिये भेजा है। इसके उपरात इन्होंने कुरान की रचना -ढोला०, दू० ६२६ । ७ शतरज की गोटियाँ । की, और उसके संबध यह प्रसिद्ध किया कि इसकी सव बातें म्बुदा अपने फरिश्ते जिवाईल के द्वारा समय समय पर मुझसे मुहरी-सहा स्त्री० [हिं० मोहरी] १ दे० 'मोरी' । २ दे० 'मोहरी' । कहलाता रहा है । धीरे धीरे कुछ लोग इनके अनुयायी हो गए। मुहर्रम-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] अरवी वर्ष का पहला महीना । इसी महीने में इमाम हुसेन शहीद हुए थे। मुसलमानो में यह महीना शोक पर बहुत से लोग इनके विरोधी भी थे, जिनसे समय समय का माना जाता है। पर इन्हे युद्ध करना पडता था। यह भी प्रसिद्ध है कि ये एक मुहा०-मुहर्रमी सूरत = रोनी सूरत । मनहूस सूरत । मुहर्रम की पार सदेह स्वर्ग गए थे और वहाँ ईश्वर से मिले थे। अरबवालो पैदाइश होना = मनहूस होना । ने कई बार इनके प्राण लेने की चेष्टा की थी, पर ये किसी न दुखी चितित रहना । किसी प्रकार बराबर वचते ही गए। ये मूर्तिपूजा के कट्टर विरोधी और एकेश्वरवाद के प्रचारक थे। अपने आपको ये मुहर्रमी-वि० [अ० मुहर्रम + ई ( प्रत्य० ) ] १. मुहर्रम सबधी । पैगंबर या ईश्वरीय दूत बतलाते थे | इन्होंने कई विवाह भी मुहर्रम का । २. शोकव्यजक । ३ मनहूस । उ०-जिस किसी किए थे। ये जैसे उदार और कृपालु थे वैसे ही कट्टर और की प्रकृति मे शोक या विपाद प्रोतप्रोत हो जायगा • तो निर्दय भी थे। वह अनेक व्यक्तियो या वस्तुप्रो से खिन्नता प्राप्त किया करेगा सदा और 1