पथिक । 1 विशेष-ऐसी दवा प्राय' जुलाब से एक दिन पहले खाई मुसुकानि-सञ्ज्ञा सी० [हिं०] दे० 'मुसकान'। उ०—पियत रहत मुसल्लम ३९८३ मुसौवर मुसल्लम-सशा पु० [अ० सुसलिम ] दे० 'मुसलमान । उ०-हिंदू मुसाफिर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० मुसाफिर ] यात्री। राहगीर । बटोही । एकादशि चौविस रोजा मुसल्लम तीस वनाएँ ।-कबीर (शब्द०)। मुसाफिरखाना - मञ्ज्ञा पुं० [अ० मुसाफिर+फा० खाना ] १ यात्रियो मुसल्लस-सञ्चा पु० [अ० ] वह जिनमे तीन कोने वा त्रिकोण हो। के, विशेषत रेल के यात्रियो के ठहरने के लिये बना हुआ स्थान । २ उर्दू का एक छद जिसमे तीन मिसरे समान तुक या वजन २. धर्मशाला । सराय। के होते हैं। तीन पदो का छंद । त्रिपदी। जैसे,-या तो मुसाफिरत-सज्ञा सी० [अ० मुसाफ़िरत ] १ मुसाफिर होने की अफसर मेरा शाहाना बनाया होता । या मेरा ताज गदायाना दशा । २ मुसाफिरी । प्रवास । वनाया होता। वर्ना ऐसा जो बनाया न बनाया होता कविता को०, भा० ४, पृ० २७ । मुसाफिरी'-सज्ञा सी० [अ० मुसफ़िरी] १ मुसाफिर होने की दशा । २ यात्रा। प्रवास । मुसल्लह-वि० [अ० ] हथियारबंद । सशस्त्र । शस्त्रसजित । उ०- मुसाफिरी-वि० मुसाफिर का । मुसाफिर जैसा। उ०—कब पहना हमारे पास भी राइफलो से मुसल्लह गारदें, फौज, तोपखाने मुसाफिरी बाना ? हमने न अभी तक यह जाना ।-अपलक, और हवाई जहाज हैं। - फूलो०, पृ० ५० । पृ० ५६। मुसल्ला'-सशा पुं० [० ] [ सी० अल्पा० मुम्पल्ली 1 १ नमाज मुसाल@f-सञ्ज्ञा पुं० [ स० मातृप्वसा +श्रालय ? ] १ मौसि- पढने की दरी या चटाई । २ ईदगाह । नमाज पढने का याना । मौमी का पालय । २ मां का पालय । ननिहाल । स्थान (को०)। ३ एक प्रकार का बरतन जो वडे दिए के उ०-बरष अट्ट प्रथिराज गयउ दिल्ली मुसाल थह । राज करे आकार का होता है । यह बीच मे उभग हुअा हाता है । इसमे अनगेस सेव मरुधरा कर सह । -पृ० रा०, ७/२५ । मुहर्रम में चढीया चढाया जाता है । मुसाहब-ज्ञा पुं० [अ० मुसाहब ] वह जो किसा धनगन या राजा मुमल्ला-मज्ञा पु० दे० 'मुसलमान' । उदा०—जिस दरगाह मुमल्ला आदि के समीप उसका मन बहलाने अथवा इस प्रकार बैठा डार चादर काजी।-चरण वानी० पृ० १५८ | के और कामो के लिये रहता है। पार्श्ववर्ती । सहवासी । मुसवाना-क्रि० स० [हिं० मूसना का प्रेर० रूप] १. लुटवाना । उ०-प्रकवर शाह के मुसाह्व, फारसी और सस्कृत भाषा के २ चोरी कराना। महाकवि थे। -अकवरी०, पृ० ४६ । मुसव्वर-सज्ञा पुं० [अ० ] दे० 'मुमव्विर' । उ०—किसी हिंदुस्तानी मुसाहबत-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० ] मुसाहब का पद या काम | मुसब्बर की बनाई प्रतिकृति है।—ककाल, पृ० १२४ । मुसाहवी-सशा स्त्री० [अ० मुसाहव+ ई (प्रत्य॰) ] मुसाहव का पद या काम। मुसव्विर-सज्ञा पुं० [अ०] १ चित्रकार । तसवीर खीचनेवाला । २ वेलबूटे बनानेवाला। मुसाहिब-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] दे० 'मुसाहब' । मुसिकाना@f-क्रि० अ० [हिं० ] दे० 'मुसकाना' । उ०—इहि सुनि मुसव्विरी-सज्ञा स्त्री० [अ०] १ चित्रकारी। २ नक्काशी। नागरि नवल नवेली मुसिको नैन दुराइ ।—नंद॰ ग्र०, वेलबूटे' का काम । पृ० ३८६। मुसहर--सज्ञा पु० [हिं० मूस (- चूहा )+हर (प्रत्य॰)] एक मुसीका-सञ्ज्ञा पुं॰ [देश॰] दे० 'मुसका'। प्रकार की जगली जाति । मुसीवत-सज्ञा मी० [अ० ] १ तकलीफ। कष्ट । २. विपत्ति । विशेप-इस जाति का व्यवसाय जगली जडा बूटी आदि वेचना है । कहते हैं, इस जाति के लोग प्राय चूहे तक मारकर क्रि० प्र०-उठाना ।—मेलना ।--भोगना -सहना । खाते हैं, इसी मे मुसहर कहलाते हैं । आजकल यह जाति गाँतो मुहा०-मुसीबत का मारा = विपद्ग्रस्त । अभागा। मुसीवत के और नगरो के पास पास बस गई है और दोने, पत्तल बनाने दिनदुर्दिन । कण्ट का समय । तथा पालकी श्रादि उठाने का काम करती है । बांवते गउ और वछरा ।-पलटू०, भा० १, पृ० ३७ । की स्त्री। मुसुकाना-क्रि० अ० [हिं० ] दे० 'मुसकराना'। उ०-पान खात मुसहिल-वि० [अ० ] (वह दवा) जिमसे दस्त आवे । दस्तावर । मुसुकात मृदु को यह केशवदास । -केशव (शब्द॰) । सकट। मुसहरिन-सञ्ज्ञा ली० [हिं० मुम्मघर + इन (प्रत्य॰) ] मुसहर जाति मुसुक-सज्ञा स्त्री० [दश०] दे० 'मुश्क"। उ०—नरकी बाँधे मुसुक रेचक । जाती है। पिय नैन यह, तेरी मृदु मुमुकानि ।-मति० ग्र०, पृ० ४.४ । मुसुकाहट-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० ] दे० 'मुसकराहट' । मुसौवर-सझा पुं० [अ० मुसब्बर ] मुसन्विर । चित्रकार । उ०- मुसहिल -सज्ञा पु० जुलाब । रेचन । ६-२७
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२२४
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