पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२२

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गनचारना २७६ मनमान मनचाहना---० [हिं० मन + चाहना ] [गे. मनचाहती, मन मग हेग दिज पूजा ना भवन निपाति हीन बाहदी] १ जिमे गन चाहे । प्रिय । २ मन के अनुकूल । रमे कुसमनि फूलनि गोकुन ठाई। उदगानी यथेच्छ । 30-मसिए गाहिब प्राचिया, मनचारी मोइ । मनमाछित फल पाई।-गूर (गन्द०)। बाढी या वयामरणा, मज्जण मिलिया गोइ ।- ढोना०, मनभग- पु. [ मै० मन । झा] बौदाम पर 70१३२ का नाम। मनचाहा-० [हिं० मन + चाहना] [२० जी० मनचाही] इच्छित । मन भाया-वि० [हिं० मन + भाना ] [ मनभाई] जो न अभिनपित । गो भावे । जो अम्मा लग। मोग। ३० - (7) ITE मगचीत, मनचीता-वि० [हिं० मन - चेतना] [PRO पी० मनचीती] प्रभृ रमिक गिर्गमाग रियो मन्द मानिनि मामा- मनचाहा । मनभाया । मन मे मोचा हृया। उ०-(फ) घर मूर (भद०)। (ग) धान नाभाय कई गो गापान पर गिरेउ बउ उछा। मनचोते हरि पायो नाह।- प्राग अनि मा नमबर नरके ! -- पाग (गद०)। गुर (शब्द॰) । (ग्व) मेरे मन को दुप परिहरी। मनचीतो (ग) करत मुद्राय मुगय मनभाय वर पाय मर पर नगर कारज गव कागे।-लल्लू (णब्द )। (ग) पूरी जदपि भयो प्रोपाय अवमान है।-प्रनाय (८)। (१) प्रा]। नही मननीत्यो रति नाह । - लक्ष्मणसिंह (गन्द )। (4) पिय कलि परी मुभग निज HTTM मन माः।-(270) । क्या लाए थे निपट पराजय तुम अपने मनचीत, यमे ?- मनभांवरी-वि. [f० मन + भाना] • मन । अन्ता नगन अपनका पृ०७०। वाला । २ मन का भ्रमर । 30-जमान 117 11गुरा पदन मनछा- -मशा त्री० [10 मत्स्य ] मछली । मत्स्य । उ०- पछी दुम फदन मनमावगे। नद० ग्र०, पृ०३७१। जन मो घर कर, मनाला चटे काम ।-गमानद०, १०३२। मनभावत ५ - वि० [हिं० मन + भाना] " 'मनभावना'। 30- मनजम - वि० [अ० मनजम ] छदोबद्ध को० । पवत जन दरपन धन नू जाकर गत । चाही जग मनोहर मनजात-म पु० [हिं० मन+म० जात] कामदेव । उ०- मिला मो मनभावन | - जायसी (गन्द०)। मनजात किगत निपात पिए । मृग लोग कुभोग गरे न हिए | मनभावता-वि० [हि० मम + माना [.. मनभावती] तुलसी (शब्द०)। १. जो मन को भला नगना हो। २ प्रिय । प्यारा। 30- मनडा-सज्ञा पुं० [हि० मन + ढा (स्था० प्रत्य॰)] २० 'मन' । (क) कहि पठई मनभावती पिय पाउन पो चान। पूनी उ०-चैतरे अणू मनडा चतुर, रट रट श्री गीतारमण । प्रांगन मे फिर प्रांग न अग ममात ।-विहारी (शद०)। -रघु० F०, पृ०४३ | (ख) मोहिं तुम्हें न उन्हें न इन्है, मनभावती को न मनावन एहै।-पद्माकर (शब्द०)। मनतोरवा-मश पुं० [ ] एक प्रकार का पक्षी । मनभावन-वि० [हिं० मन+भाना] [१० १० मनभावनी ] मनन- मना पुं० [ म० ] १ विचार । चितन । नोचना । २ भली- १ मन का अच्छा लगनेगाना। उ० - चरण धोइ गग्गादव भांति अध्ययन करना। ३. वेदात शास्त्रामार मुने हुए त्रांनो मागि देऊ भनभावन । नीन पंपा नाही परगण- वापयो पर बार बार विनार करना पीर प्रश्नोत्तर या शका- कुटी का धावन !-मूर (गन्द०)। २. प्रिय । पारा । 30- गमावान द्वारा उमका निश्चय करना। (क) भल मुदिन भा पूत समर मजरापन र । जा जुग जीगढ़ मननशील-वि० [4. ममन-शील ] जो पिनी विषय पर बहुत कान्ह महि मनभावन -पूर (शम०)। (7) ज्यादाग अच्छी तरह चिनार करता हो। विचारणील । विनारपान । मुदर अयन ब्रजमुदी कमाना मन भावन माया या गननाना-०ि भ० [मन् मन् मे अनु० ] गुजारता । गूंजना । है।-नेगर (नन्द०)। (ग) मार भरि निशान वाटिका उ.-मननात गौर भूपण अमोल झननात भरा मूलनि गुल गुरागनी । भाट वा बिग्द नागे वरन nt मा. गग्ने ।-गुमान (पन्द.)। भावती।गूर (२०)। मननीय-० [सं०] मनन करने योग्य । विचारणीय फो०] । मनमत - [म. मदमत्त ] .. 'मदमन'। 30-, : गिर घन माहि मनन । गा धीव मनमा-पृ. 13, २०२५२। मनफल(को- स पुं० [हि मन+ ३०फल ] गत में इनिन फल या परिणाग । मनोरम । उ०-मनफन पार्य तोरि गरी गुलपाज मनमत-20 मामन है।-यज० ० पृ० २३ । मनमत '--"दु [० मन्मय ] मनवादित-० [हिं• मन +० यायित ]२० माहित । कामिनि में भी परमगा। उप निदरमा- उ.-हित निपानि मा मगति पो फर विमा पाड परिया बानी०, पृ. ६१1 पए |--पान, पृ. ४ | मनमनि- [मिनमति ] RR मानानेगा। मनवांछित- [to 0 मनोगनिएन] मनोवारित। पन्नावारी। 30-मार, । मामा हो, उ० - जागी मारि पुर मुराउ मानद र बजाई । रगन मिमी या बात माननीai (मामा)।