मन' ३७७७ होना । (२) अधिक प्रवृत्ति न रह जाना | मेन भाना= भला लगना । पसद होना। रुचना । उ० (क) बामिनि को बामदेव कामिनि को कामदेव रण जयथभ रामदेव मनये जू । - केशव (शब्द॰) । (ख) भांति अनेक विहगम सु दर फूल फले तर ते मन भावे । प्रताप (शब्द०)। (ग) हरिहर ब्रह्मा के मन भाई। विधि अक्षर ले युगुति बनाई।- कबीर (शब्द०)। (घ) कहेहु नीक मोरेहु मन भावा । यह अनुचित नहिं नेवत पठावा। - तुलसी (शब्द॰) । (ड) बाला वसँधि मैं छवि पावै । मन भावं मुंह कहत न आवै । - नद० प्र०, पृ० १२१ । मन भारी करना = दुखी होना । उदास होना । मन मरना = इच्छा ममाप्त होना । किसी प्रकार की रुचि न होना। उ०—मन मरना, मन छ्ना शोभा बरसना, उदासी टपकना इत्यादि ऐमी ही कविसमयसिद्ध उक्तियाँ हैं जो वोलचाल मे रूढि होकर आ गई है। -रस०, पृ० २१ । मन मरा होना = बिलकुन उदास या निष्क्रिय होना। उ०-चोट पर है चोट चित को लग रही। आज उनका मन बहुत ही है मग । -चुभते०, पृ० २८ । मन मानना = (१) मतोष होना । तसल्ली होना । उ०- (क) मधुकर कहि कम मन मान । जिनके एक अनन्य यत सूझ क्यो दूजो उर पान-सूर (शब्द॰) । (ख) राजा भा निश्च मन माना। वॉवा रतन छोडि के पाना ।—जायसी (शब्द०)। (२) निश्चय होना । प्रतोति होना । उ० - (क) फै विनु सपथ न श्रम मन माना । सपथ बोलु वाचा परमाना । —जायसी (शब्द॰) । (३) अच्छा लगना । रुचना । पसद पाना। भाना। उ०-सप्त प्रबध सुभग सोपाना । ज्ञान नयन निरखत मन माना । - तुलमी (शब्द॰) । (४) स्नेह होना अनुराग होना । उ०-सखी री श्याम सो मन मान्यो । नीके करि चित कमल नैन सों घालि एक ठो मान्यो ।-सूर (शब्द०)। मन मारना= इच्छा नष्ट करना । इच्छा को दवाना। उ०-दिन गए सिंघ मार लेने के । है भला कौन मार मन पाता ।-चुभते०, पृ०७१। किसी से मन मिलना = (१) प्रेम होना । अनुराग होगा । (२) मित्रता होना । दोस्ती होना । उ०-ए जेते दिन मन मिल गए तिय पिय बिन मीको, खेते दिन मेरे पान लेखे ।-अकबरी०, पृ० २६ । मन में श्राना = (१) मन मे किसी भान का उत्पन्न होना । उ०-तासों उन कटु बचन सुनाए । पै ताके मन कछू न पाए । - सूर (शब्द.)। (२) समझ पडना । ध्यान मे आना । उ०- यह तनु क्या ही दियो न श्रावे । और देत कछु मन नहिं पावे।- सूर (शब्द॰) । (३) अञ्छा जान पडना । भला लगना । मन में अानना = दे० 'मने मे लाना' । मन में जमना या बैठना = (१) ठोक जंचना । उचित या युक्तियुक्त प्रतीत होना । (२) विचार मे पाना । ध्यान मे पाना । मन में ठानना=निश्चय करना । हट सकल्प करना। मन में धरना = दे० 'मन में रखना' । मन में भरना= हृदयगम करना । मन में जमाना । मन में रखना = (१) गुप्त रखना । प्रकट न करना । जैसे,- अभी यह बात मन मे ही रखना, किसी से कहना मत । (२) स्मरण रखना । जैसे,-हमारी सब बातें मन मे रखना, भूल न जाना । मन में होरी लगना = विरह व्यथा से पीडित होना । उ. - होरी नाहक खेलू मैं वन मे, पिया विनु होरी लगी मेरे मन मे । भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० ३८४ । मन में लाना- विचार करना। सोचना। ध्यान देना। उ०- कहै पदमाकर झकोर झिल्ली शोरन को मोरन को महत न कोळ मन ल्यावतो ।-पद्माकर (शब्द॰) । मन मोहना या मन को मोहना = किसी के मन को अपनी ओर आकृष्ट करना । लुभाना । अनुरक्त करना। उ०-अग अदपि दिगवर पुष्पवती नर निरखि निरखि मन मोहै । केशव (शब्द०)। मन मिलना = दो मनुष्यो की प्रकृति या प्रवृत्तियो का अनुकूल अथवा एक समान होना । जैसे,—मन मिले का मेला । नही तो सबसे भला अकेला। (शब्द०)। मन मारना = खिन्न चित्त होना । उदास होना। उ०-(क) भूमुत शत्रु थान किन हेरत लखत मोहिं मन मार । मुनि रिपु पुत्रवधू किन वैरिन मोको देत सवार । —सूर (शब्द॰) । (ख) मौन गहौं मन मारे रहौं निज पीतम की कहीं कौन कहानी ।-प्रताप (शब्द०)। (२) इच्छा को दबाना । मन को वश मे करना । उ० - मन नहिं मार मना करी सका न पांच प्रहारि । सील सांच सरवा नही अजहूं इद्रि उघारि । - कबीर (शब्द॰) । मन मारे हुए या मन मारे = दु खो। उदास । खिन्नचित्त । उ०-(क) कहँ लगि सहिय रहिय मन मारे । नाथ साथ वनु हाथ हमारे । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) प्रिया वियोग फिरत मन मारे परे सिंधु तट पानि । ता मु दरि हित मोहिं पठायो सकौं न हौं पहिचानि । —सूर (शब्द॰) । (ग) भवन ही मन मारि वैठी सहज साख इक आई । देखि तनु अति विरह व्याकुल कहति बचन बनाई ।—सूर (शब्द॰) । (घ) उर धरि धीरज गउए दुआरे । पूर्वाहं सकल देखि मन मारे । - तुलसी (शब्द॰) । मन मैला करना= मन मे खिन्न होना। अप्रसन्न या मसतुष्ठ होना । उ०-माइ मिले मन का करिही मुह ही के मिले ते किए मन मैले । -केशव (शब्द०)। किसी से मन मोटा होना= किसी से अनबन होना । किसी का मन मोटा होना= विराग हाना। उदासीन होना। मन मोदना= प्रवृत्ति या विचार को दूसरी पोर लगाना। उ०—विभाता ने हमारा तुम्हारा वियोग कर दिया, मुझे अब मन मोड लेना पड़ा। -तोताराम (शब्द०)। किसी का मन रसना= किमी की इच्छा पूर्ण करना । किसो के मन मे पाई हुई बात पूरी करना । जैसे—यहाँ के राजाभो से सारे वादशाह दबते थे और इनका वे लोग सव तरह मन रखते थे। उ०—पत रखे जो पत रखाना हो हमे। चूक है मन रख न जो हम मन रखें। -चोले०, पृ० ३८ | मन लगना= (१) जी लगना । तबीयत लगना । (२) चित्त विनोद होना। उ०—विरहागि ह' दुगुनी जग। मन बाग देखत ना लगे ।-गुमान (शब्द०)। मन (१) चित्त लगाना। मनोयोग देना । (२) चित्त विनोद करना। मन को उदासी मिटाना । (३) प्रेम करना । अनुराग करना । मन नाना- मन लगाना। जी लगाना। लगाना-
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२०
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