पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१९२

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मुफरबा मुस्चिाना मुरया--" पुं० [अ० गुफयर ] बहुत बड़ी मजिद गा मुगवरे गुफल-T० [ H० ] ! राम ! पमना । । गा यह स्थान जहां नमाज मे ताबीर महनवाला माता मुकलनाप-fr० म० [म. मुन्च, RT मुयम ] TI गु' है। उ०-मुनि बोल माहि रही न जा। देखि मुकरवा रहा पारना । पिजना ८० - मुमारे 77 मिचिगन भृताई। कबीर बी० (शिशु०), पृ० १८२ । नध्य । बाग पाठ उपर जून-१०,११५९७ मुकराना' --क्रि० स० [हिं० मुकरना फा सफ० प] ? दूसरे को मुफलाई|-- १ ० [ प्रा० मुगात ] मुकि। "तारा। ८०- गुारने मे प्रवृत्त करना । २ गरी को भूठा बनाना । (क्र ) । अब की याग्दिी उदगी मुन मन नौर, जो पाया।- मुकराना@-नि० म० [ १० मुक्त ] मुक्त कंगना । युटाना। ३०- धरनी०, पृ० ४। पिय जेहि बदि जोगिनि होई धावा । हो याद ने पियदि गुफलाना -fr० म० [सं० मुन गा मुपनि ] मृ' का मुफरायो ।जायगी (गन्द०)। सोना । छोटना। वि30-वर गार पमिती मुकरी-सा रसी० [हि० गुफरना+ई (प्रत्य॰)] एक प्रकार की पाई। पोपा छोरि मुई।-जायमी (70)। परिता । याह मुकरी । वह गिता जिसमे प्रारभिक चरणों में मुरलावा- पुं० [१०] गो। निगमन । रही ई चात में मुफ्सर उगक अत मे भिन्न भिप्राय दिवस पर गपना मुलाना (गौना) ने गो मग |--पीर, व्यक्त किया जाय । उ०—(क) वा चिन मोको चैन न पाये । म०, पृ० १०३। यह मेरी तिन पान वुझाये। है पर गा गुन गरह वानी । ऐ गसि साजन ? ना मसि पानी । (घ) पाल नौ माह मुवी-वि० [अ० गुपयो] तान बागाना। वनगर । पुष्टिात हिलाये। वाका हिलना मोको भाये। हिन हित के वह दृपा निमसा। ऐ गरिव माजन ? ना सखि पगा। (ग) गत मद मुकावला-सरा पु० [प्रमुगारना] यमना : मुठभेट। ३ बगरी। नमानना।" मिला। मरे पर आवे । भार भए वह घर उठ जार। यह अनाज है ६ प्रतियोगिता । प्रतिद मिला (ो०)। ७ दिगो । आः। गम से याग। गवि माजन? ना गरि ता । (न) नारि रैन यह मो संग जागा। भोर भई तन बिहुउन लागा। वाके मुहा०-मुकायले पर पाना= निगम या प्रति निवासमया लटने मेनिये नामने प्राना। विहदत फाटे हिया । ऐ सखि साजन? ना मयि दिया । विशेप- यह मयिता प्राय चार चरणा को होती है इसके पहले मुकाविल' - वि० वि० [अ० मुकावित] गमुग । प्रायः गायो । तीन चरण ऐने होते हैं, जिनका प्राशय दो जगह घट सकता उ.--गायना न मुगाबिन गभी जिनहार गबरमा-गार है। इनसे प्रत्यक्ष रूप से जिम पदार्थ का प्राशय निगलता है, प्र०, भा०२, पृ० १२२ ॥ चौथे चरण में किसी प्रौर पदार्थ का नाम नार, उममे नमार मुकाबिल-4. १ मामनेपाना । २ गमान । बगर सरी करने वाला। कर दिया जाता है। इस प्रकार मानो नही हई बात गे मुकरने ए गुछ प्रौर ही अभिपाय प्राट किया जाता है । प्रशोर सुमरी मुकाबिल'- '--Inf० १ प्रतिदी। मनु । तुरुगा। ने इस प्रकार की बहुत मी मुकरियां यही है। इसके अत में मुकाम--ग. पुं० [अ० मुराम ] १ करोया | दि| प्राप 'मसी' या 'मखिया' भी कहते है। पटान । २ रन क्रिया मग उसटा । निगम । गुरुर्रम-२० [० ] पूज्य । प्रतिहिन । सम्मानित (को॰) । मुहा---गुलाम बोलना पधि पपने प्रधानमं. गुर्रर'-नि० वि० [ ] दोबारा । फिर से । दूसरी वार | चाग्यिो या गनिका रोकने की प्रासा देना । मुगमना= किमी र जाल पर उमा पर मामपुरमी-711 गुहा०-मुकर सिफर्रर - दूसरी और तीसरी बार फिर । ई ३ रहने पाधान । पर। मार। मो५ गदरा गुहरर-वि० [अ० मुकरर ] जिसका इकरार दिया गया हा। जो को परदा (मin)। ५ गती सामना मपातमा टिनामानामापर.प.पा- ठाया गया हो। तय पिया हुया। निग्निन। जो,-श म ना उनमे मो रपया मुर हुमारे। २. जो कैनात किया भूमि । 30-मार्ग में वः परार'मो: गया हो। नियुक्त । जैपिनी भादगी पोइम म पर शाम पत्ता मुनीताग-राय (0) 1221 मुार र से। यी-गुरामे मरद %DR. FAIT रिट पन ! :- मुकरर'- स्यश्य हो । निर। दम शिरपुर:म मादिगा!--, ... गुरंग-१ ० [प्र. गुरुर ] १ गुगराने को मिला या पर निरिक। २ नया गनगर। मानामारी । ३. निया मुछियल--.--- CTET HTRA: -1741 बन पा जत्ति मादि। गिपुनी। मुशरिर- [अ० प भापण करने ! या Títu17-futis it.* 57:7+ this. ( )!!!??? ० बार।