७ का प्रतिबिंब देखना । (किसी फा) मुँह देखकर = (१) किसी के प्रेम मे लगकर । किसी के प्रेम के प्रासरे। जैसे,-पति मर गया, पर बच्चो का मुंह देखकर धीरज धरो। (२) किसी को सतुष्ट या प्रसन्न करने के विचार से । जैसे, - तुम तो उनका मुंह देखकर बात करते हो । मुंह धो रखना = किसी पदार्थ की प्राप्ति मे निराश हो जाना । आशा न रखना। (व्यग्य)। जैसे,—आपको यह पुस्तक मिल चुकी, मुंह धो रखिए । मुंह न देखना = किसी से वहुत घृणा करना। किसी से देखा. देखी तक न करना । न मिलना जुलना । जैस,-मैं तो उस दिन से उनका मुंह नही देखता। मुँह न फेरना या मोडना = (१) दृढतापूर्वक समुख ठहरे रहना। पीछे न हटना । (२) विमुख न होना। अस्वीकार न करना । मुंह निकल पाना = रोग या दुर्बलता आदि के कारण चेहरे का तेज जाता रहना। चेहरा उतर जाना। मुँह पर सामने । प्रत्यक्ष। रूबरू। जैसे,—(क) तुम तो मुंह पर झूठ बोलते हो। (ख) वह मुह पर खुशामद करता है और पीठ पीछे गालियां देता है । मुंह पर फहना आमने सामने कहना । उ०—बात लगती बेकहो को बेधडक, हम कहेगे औ न क्यो मुंह पर कहे ।-चुभते०, पृ० १७ । मुँह पर चढ़ना = लडने या प्रतियोगिता करने के लिये सामने आना । मुकाबला करना । मुंह पर थूकना = वहुत अधिक अप्रतिष्ठित और लजित करना । मुँह पर नाक न होना = शरम न होना । लजा न होना। निर्लज होना । जैसे,—तुम्हारे मुंह पर नाक तो है ही नही, तुमसे कोई क्या बात करे । मुंह पर पानी फिर जाना = चेहरे पर तेज आना। प्रमन्नवदन होना। मुंह पर फेंकना या फेंक मारना = वहुत अप्रसन्न होकर किसी को कोई चीज देना । मुंह पर या मुंह से वरसना = प्राकृति से प्रकट होना । चेहरे से जाहिर होना । जैसे,—पाजीपन तो तुम्हारे मुंह पर बरस रहा है। मुँह पर वसत फूलना या खिलना = (१) चेहरा पीला पड जाना । (२) उदास या भयभीत हो जाना। मुंह पर मारना = दे० 'मुह पर फेंकना' । मुंह दर मुंह कहना = मुंह पर कहना । सामने कहना। मुंह पर मुरदनी फिरना या छाना = (१) मृत्यु के चिह्न प्रकट होना । अतिम समय समीप पाना । (२) चेहरा पीला पडना । (३) भयभीत, लजित या उदाम होना । मुँह पर रखना = किसी के सामने ही कोई बात कह देना । पूरा पूरा उत्तर देना । मुंह पर हवाई उढ़ना या छूटना = भय या लज्जा आदि के कारण चेहरा पीला पड जाना। जैसे,—मुझे देखते ही उनके मुंह पर हवाई उडने लगी। (क्सिी का ) मुह पाना = प्रवृत्ति को अपने अनुकूल देखना । रुख पाना । मुह पीट लेना = बहुत अधिक क्रोव या दुख की अवस्था मे दोनो हाथो से अपने मुंह पर आघात करना । मुंह फफ होना = चेहरे का रग उड जाना। विवर्णता होना। भय या आशका से चेहरा पीला पड जाना । मुह फिरना या फिर जाना = (१) मुंह का टेढा, कुरूप या खराब हो जाना। जैसे,—एक थप्पड दूंगा, मुह फिर जायगा। (२) लकवे का रोग हो जाना। (३) सामना करने के योग्य न रह जाना । सामने से हट या भाग जाना । जैसे,—घंटे भर की लडाई मे ही शत्रु का मुंह फिर गया। मुंह फुनाना या फुलाफर बैठना = प्राकृति से असतोप या अप्रसन्नता प्रकट करना । जैसे,—तुम तो जरा मी बात पर मुंह फुलाकर बैठ जाते हो। मुह फूफना = (१) मुंह मे आग लगाना । मुह भुलमाना । (म्बि० गाली) जैसे,—ऐसे नौकर का तो मुंह फूंक देना चाहिए। (२) दाहकर्म करना । मुरदे को जलाना । (उपेक्षा०) । (३) कुछ दे लकर दूर करना। हटाना । मुह फूलना = अप्रसन्नता या अमताप होना । नाराजगी होना । जैसे,—मैं कुछ कहूंगा, तो अभी तुम्हारा मुंह फूल जायगा । (फिसी का ) मुंह फेरना = (१) परास्त करना । दवा लेना । (अपना ) मुंह फेरना = (१) किमी की ओर पीठ करना । (२) उपेक्षा प्रकट करना । (३) किसी योर से अपना मन हटा लेना । मुंह बद कर देना = कहने पर प्रतिबव लगा देना । उ०—बंद होगा न देखना मुनना । आप मुंह क्यो न वद कर देंगे।-चुभते०, पृ० १८ । मुह बनाना या बन जाना = ऐसी प्राकृति होना जिसमे श्रमतोप या अप्रसन्नता प्रकट हो। जैसे,—मेरी बात सुनते ही उनका मुह बन गया । मुंह वनवाना = किसी कार्य अथवा प्राप्ति के योग्य अपनी प्राकृति वनवाना । ( व्यग्य ), जसे, -पहले आप अपना मुंह बनवा लाजिए, तब यह कोट मांगिएगा। मुह बनाना = ऐसी प्राकृति बनाना जिससे असंतोप या अप्रसन्नता प्रकट हो । विशेप-इसके साथ सयो० क्रि० लेना या बैठना आदि का भी प्रयोग होता है । मुंह बिगडना = चेहरे की प्राकृति खराब होना । मह विगाडना चेहरा खराव करना । उ०—हो गए पर विगाड विगडे का । मुह बिगडना निगाडना देखा ।-चोखे० पृ०५५। (दूसरे का ) मुह बिगाडना = असतोप या अप्रसन्नता प्रकट करना । मुह बुरा बनाना = असतोप या अप्रसन्नता प्रकट करना । मुह भर बोलना= स्नेह से बोलना । उ०—आपका मुंह ताकते ही रह गए । श्राप तो मुंह भर कभी वोले नहीं । -चोखे०, पृ० ५४ । मुह में कालिख पुतना या लगना = बहुत अधिक वदनाम होना । कलक लगना मुंह मांगी मुराद पाना = इच्छित वस्तु प्राप्त करना । उ०-हुमायूं वागा दिल ही दिल मे हंस रहे थे कि मुंहमांगी मुराद पाई । - फिसाना०, भा० ३, पृ० १११ । मुंह म छाती देना=स्तन से दूध पिलाना। उ०-मोह मे माती हुई मा के सिवा, कौन मुह मे दे कभी छाती सकी । -चोखे०, पृ० ६। (अपना) मुह मोडना = किसी ओर से प्रवृत्ति हटा लेना। ध्यान न देना। दे० 'अपना मुंह फेरना' । उ०- सच्चा हितैपी उनसे मुंह मोड गया । -प्रमघन॰, भा० २, पृ० ६१ । (३) इन- कार करना। अस्वीकृत करना । जैसे,—हम कभी किसी बात से मुंह नही मोडते । दूसरे मुंह मोडना= परास्त करना । हराना । जैसे,-थोड़ी ही देर मे सैनिकों ने डाकुप्रो का मुंह मोड दिया। (किसी के) मुह लगना = (१) किसी के सिर चढना । किसी के सामने बढ़ बढ़-
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१८७
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