हित की न जब उनमे रही। फूल मुह से तब झडे तो क्या झडे ।-चोखे०, पृ० २६ । मुंह से वात छीनना, या उचकना = किसी के कहते कहते उसकी बात कह देना । किसी के कहने से पहले ही उसका विचार या भाव प्रकट करना। किसी के मन की बात कह देना । मुंह से बात न निकलना = क्रोव या भय के मारे कुछ बोला न जाना। मुंह से शब्द न निकलना। मुंह से माप न निकलना = भय आदि के कारण सन्न हो जाना । 'चूं तक न करना । मुह से लार गिरना = दे० 'मुह से लार टपकना' । मुह से लार टपकना = कोई चीज प्राप्त करने के लिये अत्यत लालच होना। पाने के लिये परम उत्सु कता होना। जैसे,-जहाँ तुमने कोई अच्छी पुस्तक देखी, वहाँ तुम्हारे मुंह से लार टपकने लगी। मुंह से लाल उगलना = दे० 'मुंह से फूल झडना'। ३ मनुष्य अथवा किमी और जीव के मिर का अगला भाग जिसमे माथा, आँखें, नाक, मुह, कान, ठोढी और गाल आदि अग होते हैं | चेहरा। मुहा०-अपना सा मुंह लेकर रह जाना = लज्जित होकर रह जाना। काम न होने कारण शमिंदा होना । इतना सा मुंह निफ्ल पाना = दे० 'मुह उतरना' । मुह अधेरे= प्रभात के समय । तडके । (क्सिी के) मुंह श्राना = किसी के सामने होकर कोई कठोर वचन कहना। किसी से हुज्जत करना । उ० - जो आता है खोजी को देखकर कहकहा लगाता है। कोई मुसकराता है कोई मुंह पाता है ।—फिसाना०, भा० ३, पृ० १८२ । मुह उजला होना = प्रतिष्ठा रह जाना । वात रह जाना । इज्जत न जाना । मुंह उजाले या मुह उठे = प्रभात के समय । तडके। बहुत सबेरे। मुंह उठना = किसी ओर चलने की प्रवृत्ति होना । जैसे, हमारा क्या, जिधर मुह उठा, उधर ही चल देंगे। मुंह उठाए चले जाना = वेवडक चले जाना। विना रुके हुए चले जाना। मुह उठाकर कहना = विना सोचे समझे कहना | जो मुंह मे आवे सो कहना मुह उठाकर चलना = नीचे को अोर बिना देखे हुए, केवल कार की ओर मुह करके चलना। अधाधुध चलना। गु उतरना = (१) दुर्वलता के कारण सुस्त होना । चेहरे पर रौनक न रह जाना। (२) विफलता, हानि या दुख पााद के कारण उदास होना । विवर्णता होना । चेहरे का तेज जाता रहना। (अपना ) मुंह काला करना = (१) व्यभिचार करना । अनुचित सभोग करना । (२) अपनी बदनामी करना । (दूसरे का) मुंह काला करना = उपेक्षा से हटाना। त्यागना । जैसे,-मुह काला करो, क्यो इसे अपने पास रखे हो ? मुह की खाना = (१) थप्पड खाना । तमाचा खाना । (२) बेइज्जत होना। दुर्दशा कराना । (३) मुंहतोड उत्तर मुनना। (४) लज्जित होना। शरमिंदा होना । (५) घोखा खाना । चूक जाना । (६) बुरी तरह परास्त होना । उ०-कयामत की सफाई थी। मुह चढा मुंह की खाई सामने गया और शामत माई।-फिसाना०, भा० १, पृ० ७ । मुंह के बल गिरना = (१) ठोकर खाना। धोखा खाना । उ०- इतना भारी भरकम आदमी और जरी से इशारे मे तड से मुंह के बल गिर गए।-फिसाना०, भा० ३, पृ० २२ । (२) विना सोचे समझे किसी ओर प्रवृत्त होना। कोई वस्तु प्राप्त करने के लिये लपकना। मुंह खोलना = चेहरे पर से चूंघट आदि हटाना। चेहरे के आगे का परदा हटाना । मुंह चढ़ाना = दे० 'मुह फुनाना' । मुह चाटना = खुशामद करना । ठकुरसुहाती कह्ना । लल्लोपत्तो करना । मुंह छिपाना = लज्जा के मारे सामने न होना । मुह मटक जाना = रोग या दुर्वलता आदि के कारण चेहरा उतर जाना । मुह मुलसाना = (१) मुह मे पाग लगाना । मुंह फूकना । (स्थि० गाली)। २ दाह कर्म करना। मुरदे को जलाना । ( उपेक्षा०)। (३) कुछ ले देकर दूर करना । ( अपना ) मुंह टेढ़ा करना मुह फुलाना। अप्रसन्नता या असतोष प्रकट करना। (दूसरे का ) मुंह टेढ़ा करना3 दे० 'मुह तोडना' । मुह ढाकना = किसी के मरने पर उसके लिये शोक करना या रोना। (मुसल०) । (किसी का ) मुंह ताकना = (१) किसी का मुखापेक्षी होना । किसी के मुंह की ओर, कुछ पाने आदि की आशा से देखना । उ०-जो रहे ताकते हमारा मुह हम उन्ही की न ताक मे बैठे।-चोखे०, पृ० २७ । (२) टक लगाकर देखना । (३) विवश होकर देखना । (४) चकित होकर देखना । आश्चय से देखना। मुंह ताकना = आकर्मण्य होकर चुपचाप बैठे रहना । जैसे,—सब लोग अपने अपने रुपए ले आए, और आप मुंह ताकते रहे। मुंह तोड या तोडकर जवाब देना = पूरा पूरा जवाब देना। ऐसा जवाब देना कि कोई बोल ही न सके । मुँह थामना = वोलने से रोकना। बालने न देना । चुप करना या रखना। उ०-पर यदि कोई कहे कि यह सब कुछ नही, यह एक साप्रदायिक सिद्धात का काव्य के ढग पर स्वाकार मात्र है, तो हम उसका मुंह नहीं थाम सकते ।-चिंता०, भा॰ २, पृ० ६६ । मुंह थुथाना = मुह को थूयुन की तरह बनाना । मुंह फुलाना। क्रोध या अप्रसन्नता प्रकट करना । मुंह दिखाना = सामने आना। उ०-इमाम जामिन को दोहाई जिस तरह पीठ दिखाते हो उसी तरह मुह भी दिखाओ।-फिसाना०, भा० ३, पृ० २७० । मुँह देखकर ठठना=प्रात काल सोकर उठन के समय किसी को सामने पाना । जैसे,—आज न जान किसका मुंह देखकर उठे थे कि दिन भर भोजन ही न मिला। विशेष-प्राय. लाग मानते है कि प्रात काल सोकर उठने क ममय शुभ या अशुभ आदमी का मुंह देखन का फल दिन भर मिला करता है। मुंह देखकर बात करना = खुशामद करना। मुंह देसकर जीना - (1कसी के ) भरोस स जीना । (किसी का) अासरा ताकना । उ०—जो हमारा मुंह देखकर जीते है, हम उन्ही को निगल रहे है। -चुभते. (दो दो०), पृ० ४ । (क्सिा फा) मुंह देखना = (१) सामना करना। किसी के नामने जाना। किसी के साथ देखादेखी या साक्षात्कार करना । (२) चकित होकर देखना । (अपना) मुंह देखना = दर्पण मे अपने मुंह
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