पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१५८

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मिट्टी का तेल ३६३५ मिठाई - इसका अथवा साफ की हुई मिट्टी जो भिन्न भिन्न कामो मे पाती है । सफेद और स्वच्छ जल के समान होता है, पर साधारण तेल जैसे, मुलतानी मिट्टी, पीली मिट्टी । ५ शरीर । जिस्म । बदन । का रग कुछ लाली या नीलापन लिए और घटिया तेल का मुहा०—किसी फी मिट्टी पलीट या उरवाद करना = दुर्दशा रग प्राय काला होता है । वढिया माफ किया हुआ तेल पतला करना। खरावी करना । ( इस पर्थ में मुहावरा अर्थ म०६ के और घटिया तेल गाढा होता है। प्रकाश करने के अतिरिक्त साथ भी लगता है। मिट्टी खराब परना = वर्वाद करना। रूप उपयाग छोटे इजन चलाने, गैस तैयार करने, बिगाडना। उ० लोग कजली की मिट्टी खराब कर रहे है । प्रनेक प्रकार के तेलो और वारनिशो आदि को गलाने -प्रेमघन०, भा॰ २, पृ० ३४४ । और मोमबत्तियाँ श्रादि बनाने में होता है। इसमें ६ शव । लाश। एक प्रकार की उग्न और अप्रिय गव होती है। यादी मात्रा मे जवान पर लगने या गले के नीचे उतरने पर यह कै लाता है, मुहा० मिट्टी उठना = शव को अत्येष्टि के लिये ले जाना। जनाजा उठना। मिट्टी ठिकाने लगना = शव की उचित और अधिक मात्रा में भीषण विप का काम करता है। मोटरो श्रादि मे जो पेट्रोलियम जलाया जाता है, वह भा इमी का एक भत्येष्टि क्रिया होना। मिट्टी ठिकाने लगाना = शव की उचित अत्येष्टि क्रिया करना। ७ खाने का गोश्त । मास । फलिया । (क्व०)। ८ शारीरिक मिट्टी का फूल-तज्ञा पुं० [हिं० मिट्टी + फूत्त ] मिट्टी या जमीन के कार जम आनेवाला एक प्रकार का छार जिसका व्यवहार गठन । बदन की बनावट । जैसे,—उसकी मिट्टी बहुत अच्छी काडा धोन और शीशा बनान मे होता है । रेह । है, साठ वर्ष का होने पर भी जवान जान पडता है। मुहा०-मिट्टी ढह जाना = शरीर मे बुढापे के चिह्न दिखाई मिट्टी खरिया-मज्ञा स्त्री० [हिं० मिट्टी + खडिया ] दे० 'खडया'। देना। मिट्ठा-वि०, as पुं० । म० मिष्ट ] दे० 'मीठा' । उ० --देसिल ६ चदन की जमीन जो इत्र में दी जाती है । वगना सब जन मिठ्ठा । तर्तमन जपो अवहट्ठा ।-कोति०, मिट्टी का तेल-10 पु० [हि० मिट्टा+का+ तेल ] एक प्रसिद्ध पृ०६। ज्वलनशील, खनिज, तरल पदार्थ जिसका व्यवहार प्राय मारे मिट्ठी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० मीठा ] चुबन । चूमा । ( इस शब्द का ससार मे दीपक आदि जलाने और प्रकाश करने के लिये व्यवहार स्त्रियाँ प्राय छोटे बालको के साथ करती हैं )। होता है। क्रि० प्र०-देना ।-लेना। विशेप-यह मसार के भिन्न भिन्न भागो मे जमीन के अदर पाया मिठ्ठ'-सज्ञा पुं० [हिं० मीठा + ऊ (प्रत्य॰)] १ मधुरभापी । मीठा जाता है। कभी कभी तो जमीन में आपसे श्राप दरारें पड जाती वोलनेवाला। २ तोता। हैं जिनमें से यह तेल निकलने लगता है, और इस प्रकार वहाँ मुहा॰—अपने मुंह श्राप मियां मिट्ठ वनना = अपनी प्रशसा इसके चश्मे बन जाते है। पर प्राय यह जमीन में बडे बडे आप करना । अपने मुंह में अपनी बटाई करना। सूराख या छिद्र करके पिचकारी की तरह बडे बडे यत्रो की सहायता से ही निकाला जाता है। कभी कभी यह जमीन मिट्ट. - वि० १ उप रहनेवाला । न बोलनेवाला । २ प्रिय वोलने- वाला । मधुरभापी । के अदर गमो के जोर करने के कारण अपने पाप फूट पडता मट्ठ - स्त्री॰ [हिं० ] दे० 'मिट्टी' । है । कुछ लोग कहते हैं, जमीन के अंदर जो लोह मिश्रित बहुत गरम कारवाइड होता है, उसपर जल पडने से यह तयार होता है, मिट्टा + सी० [हिं० ] दे० 'मिट्टी'। और कुछ लोगो का मत है कि जमीन के अंदर अनेक प्रकार के मिठ वि० [हिं० मीठा ] मीठा का सक्षिप्त रूप जिसका व्यवहार जीवो के मृतक शरीरो के सड़ने से यह तैयार होता है। एक प्राय यो गक बनाने के लिये होता है और जो किमी शब्द के मत यह भी है कि इसकी उत्पत्ति का मवध नमक की उत्पत्ति पहले जोटा जाता है । जैसे, मिठलोना, मिठबोला। से है क्योकि अनेक स्थानो मे यह नमक की खान के पास ही मिठयोलना-सप पुं० [हि० मीठा+बोलना] दे॰ 'मिटवोला' । पाया जाता है । इसी प्रकार इसकी उत्पत्ति के सवय मे और मिठवोला - म पुं० [हि० मीठा+बोलना ] १. वह जो मीठी मीठी भी अनेक मत हैं । अमेरिका के सयुक्त राज्यो तथा रूम मे इसकी बातें करता हा। मधुरभापो। उ०-रामेनी का घरवाला खाने बहुत अधिक है और इन्ही दोनो देशो मे सबसे अधिक मिट्टी अच्छा परित था, नेवनीयत और मिठोला ।-नई०, पृ० २३ का तेल निकलता है। भारत मे इसकी साने या तो पजाव २ वह जो मन मे कपट रखकर मीठी मीठी बातें करता हो। और बलोचिस्तान की ओर है या प्रासाम मीर बरमा की मिठरी-सझा पी० [हिं० ] दे० 'मठरी' । ओर ) परतु पश्चिमी प्रातो से अभी तक बहुत थोडा तेल मिठलोना-सा पुं० 1 हिं० मीठा(= कम)- लोन(= नोन) ] वह निकाला जाता है और पूर्वी प्रातो से अपेक्षाकृत अधिक । इधर जिममे बहुत ही कम नमक हो । योडे नमकवाना । गुजरात तथा कच्छ आदि मे भी इसकी प्राप्ति हो रही है। अरव देशो में यह रेगिस्तान के नीचे मिला है और समुद्र तल मिठहा-वि० [हिं० मीठा+हा (प्रत्य॰)] अधिक मीठा खानेवाला। के नीचे भी यह प्राप्त हुआ है। बहुत बढिया तेल का रंग मिठाई-सा ग्मी० [हिं० मीठा + थाई (प्रत्य०) ] १. मीठा होने का -