माकड शहर, कमवा आदि। में० म० मिद्धात सग्रह ३६१७ मागिक दाम (शब्द॰) । (ड) तिस समय एक बडी आंधी चली कि मार्गद- मंज्ञा पु० [ मं० ] केवट । जिसके मारे पृथ्वी डोलने लगी। लल्लूलाल (शब्द॰) । मार्गदर्शक वि० पु० म० ] [वि० मी० मार्गदर्शिका ] पथ- माकड- सज्ञा पु० [ म० मार्कण्ह ] दे० 'मार्कडेय' । प्रदर्शक । रास्ता दिखानेवाला । मार्कडिका - संज्ञा स्त्री॰ [ स० मार्कण्डिका ] परवल के आकार का एक मार्गदग-मज्ञा पुं॰ [ मं० मार्गद्रग ] रास्ते पर बमा हुआ ग्राम, छोटा फल जिसकी तरकारी बनती है। ककोडा। विशेप दे० खेकसा' । मार्गधेनु -सज्ञा स्त्री॰ [सं०] एक योजन का परिमारा। चार कोग । मार्कडेय-मशा पु० [सं० मार्कण्डेय ] मृकड ऋषि के पुत्र जिनके मार्गधेनुक-लज्ञा स्रो० [सं०] दे० 'मार्गयेनु' । विपय मे यह प्रसिद्ध है कि वे अपने तपोवल मे सदा जीवित मार्गन-सज्ञा पुं० [ म० मार्गण ] वाण । तीर | रहते हैं और रहेगे। मार्गनिरोधक-सञ्ज्ञा पु० [ मे० ] चलते रास्ते को सराव करना या मार्कंडेय पुराण-सञ्ज्ञा पु० [ सं० मार्कण्डेय पुराण ] अट्ठारह मुख्य रोकना। पुराणो मे से एक। विशेष-कौटिल्य के समय म इसके लिये भिन भिन्न दइ नियत ये विशेप-इसमे नव महस्र श्लोक है । जैमिनी ऋषि के समक्ष शकुनि मार्गप-सज्ञा पु० [स०] दे० 'भार्ग पति' । को संबोधित कर मार्फडेय ऋपि ने इसे कहा है। इस प्रकार मार्गपति-सञ्ज्ञा पु० [ स० ] राज्य का वह कर्मचारी जो मार्गा का यह पक्षी और मार्कडेय ऋपि के सवाद रूप मे है। प्रसिद्ध निरीक्षण करता हो। दुर्गा सप्तशती इसी का एक अश है । मार्गपरिणायक-सज्ञा पुं० २० 'मार्गदर्शक' (को०)। मार्क-सञ्चा पुं० [अ० ] १ दे० 'मार्का' । २. जर्मनी मे चलनेवाला मागपाली-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ ] राह का रक्षक स्तंभ जिसकी स्थापना चाँदी का एक सिका। और पूजा एक देवी के रूप में की जाती थी (को०) । विशेष—यह प्राय एक शिलिंग या बारह आने मूल्य के बरावर मागप्रवर्तक-सज्ञा पु० [स०] नया मार्ग या पय चतानेवाला । होता है। धर्म या पाचार का नया ढग 'मिखानवाला। उ०-गोरक्ष भाकर २-सज्ञा पु० [ म० ] भृगराज । भंगरया ।। मे मार्गप्रवर्तको के ये नाम गिनाए गए है।- मार्कट-वि० [स० J मर्कट मवधी । वानरी । इतिहास, पृ० १५॥ यौ-मार्कट पिपीलिका = छोटा और काला एक प्रकार की मार्गवध-सशा पुं० [सं० ] रास्ता रोकने के लिये निमित प्राचीर या पत्थर, बल्ले आदि का अवरोध । मार्कर, मार्कव- नज्ञा पुं० [स० ] भृगराज । भंगरया । मार्गरक्षक-सचा पुं० [ स० । दे० 'मार्गपति' (को०] मार्का-सज्ञा पुं० [अ० ] कोई अक वा चिह्न जो किसी विशेष बात मार्गव-सज्ञा पु० [सं०] एक सकर जाति जिसकी उत्पत्ति निपाद का सूचक हो । चिह्न । सकेत । छाप । पिता और पाय गवी माता से मानी जाती है। मार्केट-सज्ञा पु० [अ० ] बाजार । हाट । माविस--सचा पु० [अ० ] [ सी० माशेनेस ] इगलैंड के मामतो मार्गवटी-मशा स्त्री० [ स० ) ६० 'मार्गपती' [को॰) । और बडे बडे रियो को वशपरपरा के लिये दो मार्गवती-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ] वह दबी जो मार्ग च ननवालो को रक्षा करनेवाली मानी जाती है। जानेवाली एक प्रतिष्ठामूचक उपाधि जिसका दर्जा ड्यूफ के वाद है । विशेष दे० 'ब्यूक' । मार्गवेद-स -सज्ञा पुं॰ [ मं० ] एक वैदिक ऋषिकुमार का नाम । मार्ग- म०] १ रास्ता। पथ । २ गुदा। ३. कस्तूरी। मार्गशिर-सज्ञा पुं० [ -मज्ञा पुं० [ स० ] अगहन का महीना । मार्गणीर्ण ४ अगहन का महीना । उ०-~-हिम ऋतु मार्ग मास सुखमूला । मार्गशिरस्-मज्ञा पु० [ सं० ] २० 'मार्गशीप' । यह तिथि नखत योग अनुकूला ।-रघुनाथदास (शब्द०)। ५ मार्गशीर्ष-सज्ञा पु० [सं० ] अगहन का महीना। मृगणिरा नक्षत्र । ६ विष्णु । ७ लाल अपामार्ग । मार्गशोधक-सक्षा पु० [ पुं० ] १ पाटविक । २ राम्ता योजने या मार्ग-वि० [सं० ] मृग मवधी । समझानेवाला । प्रगरणी को०) । मार्गक-मज्ञा स्त्री० [सं०] अगहन का महीना । मार्गसंस्करण-सञ्ज्ञा पुं॰ [ म० ] राह का मम्बार । गम्ने की मार्गण-सज्ञा पु० [सं०] १. अन्वेपण । ढूंढना । २ प्रेम । ३ याचक । मफाई। भिखमगा। ४ याचना। निवेदन फो०)। ५. वाण । तीर विशेष-शुक्रनीति के अनुमार राम्ने का नस्सार या नफाई (को०) । ६. एक मख्या । पाँच की मख्या (को॰) । प्रतिदिन होनी चाहिए। मार्गणक- क-सा पुं० [सं०] १ याचक । भिक्षुक । मार्गस्थ-वि० [सं०] गन्ता चलता हुमा यिो०) । निवेदन करनेवाला [को०। मार्गहर्म्य-सशा पुं० [सं० ] राजमार्ग पर बना हुप्रा प्रामाद । मार्गतोरण- सशा पुं० [ ] स्वागत, अभिनदन प्रादि के निमित्त मार्गिक-नशा पुं० [मं०] १ पथिक । यात्री। २ मृगो को मारने- मार्ग मे बनाया हुआ तोरण। वाला, व्याघ। चिउंटा। 1 निवेदक। HO
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१४०
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