मायापाश ३६१२ मायोभव म० O मायापाशमा पुं० [ ] मायाजान । माया का फदा । मायावीज-मज्ञा पु० [ म० ] 'ह्री' नामक तात्रिक मत्र । मायापुरी -मा सी० [ म० ] एक प्राचीन नगरी का नाम । मायासीता-सज्ञा सी० [सं०] पुराणानुसार वह कल्पित सीता जिमकी माय प्रयोग-मता पुं० [ म० ] १ छल का प्रयोग । घुर्नता । २ सृष्टि सीताहरण के ममय अग्नि के योग से हुई थी। गाया इदनान करना । जाद् का प्रयोग करना हो । द्वारा निर्मित मीता । उ०-पुनि मायामीता कर हरना। श्री मायाफल-77 पं० [ म० ] माजूफल । रघुवीर विरह कछु वरना ।-मानन ७१६६ । मायामय वि० [सं०] मायायुक्त । उ०-मायामय तेहि कोन्हि विशेष-कुछ पुराणो तथा रामायणो मे यह कथा है कि मीता- रसोई । विजन बहु गनि मर्क न कोई।-मानम, १६१७३ । हरण के समय अग्नि ने वास्तविक सीता को हटाकर उनके मायामृग-मरा पुं० [ म० ] माया का हिरन । सीता को छलने के स्थान पर माया से एक दूसरी सोता खडी कर दी थी। लिये मारीच राक्षम का स्वर्णमृग रूप । कपट मृग। उ० मायासुत-सज्ञा पुं॰ [ स० ] माया देवी के पुत्र, वुद्ध । मावामृग पान्द्र सोइ धावा ।—मानस, ३१२१ । मायासृष्टि-सज्ञा पुं० [सं० ] मायावादियो के अनुसार दृश्यमान मायामोह-मज्ञा पुं० [ ० ] पुगणानुसार विशु के शरीर से निकला भ्रमात्मक जगत् जो 'नाशमान' है। उ०—यह मायासृष्टि सदैव हया एक कल्पित पुरुप जिसकी सृष्टि असुरो का दमन करने के बधन मे रहती है। -कवीर म०, पृ० ३६ । लिये हुई थी। मायान-सज्ञा पुं० [सं० ] एक प्रकार का कल्पित अस्त्र जिसके विपय मागयत्र-सज्ञा पुं० [ म० मापायन्त्र ] कमी को मोहने को विद्या। मे यह प्रमिद्ध है कि इसका प्रयोग विश्वामित्र ने श्रारामचद्र जी समोन। को सिखाया था। मायायुद्ध-मदा पुं० [ म० ] माया की लडाई। माया के बल अथवा त से किया जानेवाला युद्ध (को०) । मायिक' सज्ञा पुं॰ [ मं० ] माजूफल । मायावि-मज्ञा पुं० [ स० ] मपूर्ण जाति का एक राग जिममे सब मायिक-वि० [ ] १. माया से वना हुअा। जो वास्तविक न हो बनावटी। जाली । उ०—कहि जग गति मायिक मुनिनाथा । शुद्ध स्वर लगते हैं। मायावचन-संशा पु० [ म० , कपटपूर्ण कथन । झूठा वचन । छल से कहे कछुक परमारथ गाथा । —तुलसी (शब्द०)। २ मायावी । माया करनेवाला। भरी बात [को०)। मायावत्-मज्ञा पुं० [ म० ] १ मायावी । २ राक्षस । अमुर । ३ मायी' - सज्ञा पुं० [ सं० मायिन् ] १ माया का अधिष्ठाता, परब्रह्म । वम का एक नाम । ईश्वर । २ माया करनेवाला व्यक्ति । ३ जादूगर । ४ अग्नि मायावती-लश मी० [स०] कामदेव की स्त्री रति का एक नाम । (को०) । ५ शिव (को०)। ६ कामदेव (को॰) । मायावाद-मज्ञा पु० [ ] ईश्वर के अतिरिक्त सृष्टि की ममस्त मायी-वि० दे० 'मायिक' । वन्तुनो का अनित्य और असत्य मानने का सिद्धान जिसके मायो' - मचा मी० [ म० मातृ प्रा माइ ] दे० 'माई'। प्रानुसार यह मारी सृष्टि केवल माया या मिथ्या समझो जाती मायु-सज्ञा पु० [ ] १ पित्त । २ शब्द । ३ वाक्य । ४ सूर्य । है। उ०—मेप मायावाद सिंह वादी अतुल धर्म वृग्व जयति ] शन्द करनेवाला। गुणरामि वल्लभ मुग्रन ,-भारतेंदु ग्र०, भा० ३, पृ० ८२७ । मायुराज-सज्ञा पु० [ स० ] कुवेर के एक पुत्र का नाम । मायावादी-मग पु० [म० मायावादिन् ] ईश्वर के सिवा प्रत्येक मायूर' 1-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] १ वह रथ जो मयूरो मे चलता हो । २ वस्तु को अनित्य माननवाला। वह जो मायावाद के अनुसार मयूर । मोर। मारी दृष्टि को माया या भ्रम समझना हो। मायूर- -२- वि० १ मयूर सवधी। मोर का । २ मयूरप्रिय । मोर मायावान-सा पु० ( सं० मायावत् ] दे० 'मायावत्' । को प्रिय (को०)। ३ मयूरपख का। मोर के पख से बना मायाविनी-मा सी० [ म० } छन वा कपट करनेवाली स्त्री । हुग्रा (को०)। मायावी'-मशा पु० [सं० माया विन् ] [ ली० मायाविनी ] १ बहुत मायूरक-संशा पु० [ म० ] वह जो जगलो मोरा को पकडता हो । बदा चालाक । छलिया। धोखेबाज । फरेबी। २ एक दानव ] कठूमर । का नाम जो मय का पुत्र था और बालि मे लडने के लिये मायूरिक-सञ्चा पुं० [ म० ] मायरक । मोर पकडनेवाला [को०) । किष्क्रिया मे पाया था । वाल्मीकि के अनुसार यह दुदुभी नामक मायूरी-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ] अजमोदा। दैत्य का पुत्र था । उ०—मयमुत मायावी तेहि नाऊँ। आवा मायूस-वि० [फा० ] निराश । नाउम्मेद । उ०- मायूम नजर में यो प्रभु हमरे गाऊँ। तुलसी (शब्द०)। ३ परमात्मा । ४ कब किमने दुनिया की सच्चाई देखी ।-मिलन०, पृ० ६६ । माजूफल (को०)। ५ बिल्ली । मायूसी-सज्ञा मी० [फा० मायूस + ई (प्रत्य॰)] निराशा। मायावी'-वि० ? छलिया। फोगी। . माया या जादू करने- नाउम्मेदी। बाना [को मायोभव-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ शुभ । अच्छा । २ सौभाग्य । म० HO HO मायुक - वि० [ ठगिनी। स० मायूरा सज्ञा ली।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१३५
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