उ०-नख साहब थे। फोनोटोग्राफ फौतीनामा रेखा पर लगा दी जाती है। कुंजी देने से भीतर के चक्कर फोहार-नंश झी० [हिं० 'फुहार ] दे० 'फुहार'। उ०-जह घूमने लगते हैं जिससे चूड़ो कील के सहारे नाचती है 'मोर फूलन की लागी फोहार । जहें अनहद वा बहू प्रकार - सूई लकीरों पर घूमकर चोंगे में उसी प्रकार के वायुतरंग भक्ति प०, पृ० ४११ । उत्पन्न करती है जिस प्रकार के चूड़ी में अंकित हुए थे। ये ही फोहारा-संज्ञा पुं० [हिं० ] दे० 'फुहारा', 'फुहार' । वायुतरंग उस कल में लगे हुए पुों को हिलाते हैं जिससे फाँदाg--संज्ञा पुं॰ [हिं० फुदा ] कुंदना । उ०--फूलन के प्राभूषन, चोगे में से होकर चूड़ी में भरे हुए पादों या स्वरों की प्रति- फूलन के बसन बिराजत, फूलन के फौदा, फूलन के उरहार ।- ध्वनि सुनाई देती है। यह ध्वनि कुछ धीमी होती है और नंद० प्र०, पृ० ३८० । धातु की झनझनाहट और सुई की खरखराहट के कारण कुछ फौधारा-शा पुं० [हिं० ] दे० 'फुहारा' । दूषित हो जाती है। फिर भी सुननेवाले को पूर्व के शब्दों फौक@+-संज्ञा स्त्री० [हिं० फोक ] दे० 'फोक। और स्वरों का वोध पूग पूरा होता है। फोनोग्राफ में स्वरों फोकै मनि गन कलित ललित आंगुरी तीर । तो कर सोभा का उच्चारण व्यंजनो की अपेक्षा अधिक स्पष्ट होता है और के सदन मानो मदन तुनीर ।-स० सप्तक, पृ० ३६५ । व्यंजनों में 'स' और 'ज' का उच्चारण इतना अस्पष्ठ होता फौकनारे-क्रि० प्र० [अनु० ] डीग मारना। बढ़ बढ़कर है कि उनमे कम भेद जान पड़ता है। शेष व्यंजन कुछ स्पष्ट चातें करना। होने पर भी अपना बोध कराने के लिये पर्याप्त होते हैं। इस फौज-सज्ञा स्त्री० [अ० फ़ौज ] १. अँड । जत्या। २. सेना । यत्र के आविष्कारक अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक ऐडिसन लशकर । उ०—(क) सार बहे लोहा झरे टूटै जिरह जंजीर । अविनाशी की फौज मे माडी दास कबीर ।-(शब्द०)। फोनोटोग्राफ-संज्ञा पुं० [सं० फ़ोनोटोग्राफ़ ] एक यंत्र जिसके द्वारा (ख) सुनि बल मोहन बैठि रहसि में कोनो कछू विचार । वोलनेवाले के शब्दों से उत्पन्न वायुतरंगो का अंकन मागध मगध। देश ते पायो साजे फीज अपार ।--सूर होता है। (शब्द०) । (ग) ही मारिहउँ भूप दोउ भाई । अस कहि विशेष—यह यंत्र एक पीपे के घाकार का होता है। पीपे का सनमुख फौज रेगाई । —तुलसी (शब्द०)। एक मुह तो विलकुल खुला रहता है और दूसरी ओर कुछ फौजदार-तज्ञा पुं० [ अ० फौज + फ़ा० दार (प्रत्य॰)] १. सेना यत्र लगे रहते हैं। यत्र में एक पतला परदा होता है जिस- का प्रधान । सेनापति। २. सेना का छोटा अफसर । पर एक पतली सूई लगी रहती है। इसी सूई से शब्द फौजदारी-संज्ञा सी० [अ० फौज + फ़ा० दारी (प्रत्य॰)] १. द्वारा उत्पन्न वायुतरंगें चूड़ी पर अकित होती हैं। वि० दे० लड़ाई झगड़ा । मारपीट । 'फोनोग्राफ'। क्रि० प्र०—करना । —होना । फोपल-वि० [हिं० पोपला] जिस वस्तु का भीतरी हिस्सा बिलकुल खाली हो। जैसे, फोपला बाँस । उ०-केवल फोपल नाम २. वह अदालत या न्यायालय जहाँ ऐसे मुकदमों का निर्णय होता है जिनमें अपराधी को दट मिलता है। कंटकशोधन बज्यो कछु वासहु नाही ।-दीन० न०, पृ० ४६ । दंडनियम। फोया-संज्ञा पुं॰ [ सं० फाल ( = रूई का) ] फोह । फाहा । रूई का विशेप-कौटिल्य के अर्थशास्त्र में न्यायशासन के दो विभाग गाले का टुकड़ा । रूई का एक लच्छा । दिखाई पड़ते हैं-धर्मस्थीय और कटकशोषन । कंटकशोधन फोरना-क्रि० स० [हिं० दे० 'फोड़ना' । अधिकरण में आजकल के फौजदारी के मामलों का विवरण विशेप-इस शब्द के अन्य अर्थ और उदाहरण के लिये देखिए है और धर्मस्थीय में दीवानी के। स्मृतियो में दंड और 'फोड़ना' शब्द । व्यवहार ये दो शब्द मिलते हैं। फोरना@२-क्रि० [ सं० स्फुरण ? ] हिलाना डुलाना। फौजी-वि० [अ० फौज + फा० ई (प्रत्य॰)] फौज संबंधी। मथना । उ०-सुर असुर मिलि जल फोरयं । जे चवत चंद सैनिक । जैसे, फौजी आदमी, फौजी कानून । कविदयं । -पृ० रा०, २११०६ । फौत-वि० [अ० फ़ौत ] नष्ट । मृत । गत । फोरमैन-संज्ञा पु० [अ० फोरमैन ] कारखानों मे कारीगरों और मुहा०-मतलय फौत होना = कार्य नष्ट होना। काम करनेवालों का सरदार वा जमादार । जैसे, प्रेस का फौती'-वि० [अ० फौत ] १. मृत्यु संबंधी । मृत्यु का । जैसे,—फौती फोरमैन, लोहारखाने का फोरमैन । रजिस्टर । २. मरा हुमा । मृत। फोर्ट-संज्ञा पु० [अं॰ फोर्ट ] किला । दुर्ग । फौती-संज्ञा सी० १. मरने की क्रिया । मृत्यु । २. किसी के मरने फोलियो-पंज्ञा पुं० [सं० फोलियो ] कागज के तस्ते का प्राषा भाग । की सूचना जो म्युनिसिपैल्टो प्रादि की चौकी पर लिखाई फोहरिया -संशा सी० [हिं० ] दे० 'फुहार'। उ०-हमरे देसवा बादर उमड़े, नान्ही पर फोहरिया ।-धरम० श०, पृ० ३५ । फौतीनामा-संज्ञा पुं० [अ० फौत + ht० नामह ] १. मृत फोहा-संशा पुं० [ सं० फाल (= रूई का ) ] रूई के गाले का छोटा व्यक्तियों के नाम पर पते की सूची जो म्यूनिसिपल्टियों टुकड़ा। फाहा। आदि की चौकी पर तैयार की जाती है और म्यूनिसिपल्टी जाती है।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/८६
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