पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/८२

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फैलसूफ २३२१ फैसला वह बाल तही रंग लाल गुलाल सो फैले।-शंभु (शब्द०) ३. मोटा होना । स्थूल होना । मोटाना। जैसे,—उसका बदन फैल रहा है । ४. आवृत फरना । छाना । व्यापक होना। भरना। व्यापना । दूर तक रखा या पड़ा रहना । जैसे, धूल फैलना, जाल फैलना । उ०-फूलि रहे. फलि रहे, फैलि रहे, फबि रहे, झपि रहे, झलि रहे, झुकि रहे, झूमि रहे ।- पद्माकर (शब्द०)। ५. संख्या बढ़ना । बढती होना । वृद्धि होना । जैसे, कारवार फैलना । उ०—फले फूले फेले खल, सीदे साधु पल पल, बाती दीप मालिका ठठाइयत सूप है तुलसी (शब्द०)। ६. इकट्ठा न रहना । छिनराना। विख- रना । अलग अलग दूर तक इधर उधर पड़ा रहना । जैसे, -(क) हाथ से गिरते ही माला के दाने इधर उधर फैल गए । (ख) सिपाहियों को देखते ही डाकू इधर उधर फैन गए । ७. किसी छेद या गड्ढे का और बड़ा हो जाना या बढ जाना । अधिक खुलना । जैसे, मुह फैलना। ५. मुड़ा न रहना । पूरा तनकर किसी ओर बढ़ना। जैसे,—फाड़े के तनाव से हाथ फैलता नहीं है। ६.प्रचार पाना । चारो मोर पाया जाना या होना। क्रमशः बहुत से स्थानों में विद्यमान होना या मिलना। बहुतायत से मिलना । जैसे,—प्रांदोलन फैलना, बीमारी फैलना, प्लेग फैलना । गोभी अभी फैली नहीं है । १०. इधर उधर दूर तक पहुंचना । जैसे, सुगंध फैलना, स्याही फैलना, खबर फैलना। ११. प्रसिद्ध होना । बहुत दूर तक ज्ञात या विदित होना। मशहूर होना । जैसे, यश नाम फैलना, बात फैलना । 30-(*) राव रतनसेन क कुमार को सुजस फैलि रह्यो पुहुमी मे ज्यों प्रवाह गंगा पथ को ।-मतिराम (शब्द॰) । (ख) अब तो बात फैलि गई जानत सब कोई।-गीत (शब्द०) । १२. प्राग्रह करना । हठ करना | जिद करना । १३. भाग का ठीक ठीक लग जाना । तफसीम दुरुस्त उतरना । फैलसूफ- -संज्ञा पुं० [ यू० फिलसफ ( = दार्शनिक)] १. फिजूल खर्च । २. ज्ञानी । विद्वान् । ३. धूतं । मक्कार (को०] । फैलसूफी-संज्ञा स्त्री [हिं०फैलसूफ ] १. फिजूल खर्ची। २. ज्ञान । विद्वत्ता (को०) । ३. धूर्तता । मक्कारी (को०) । फैलाना-क्रि० स० [हिं० फैलना] १. लगातार स्थान घिर- वाना। यहां से वहाँ तक बरावर बिछाना, रखना या ले जाना । जैसे,-उसने अपना हाता नदी के किनारे तक फैला लिया है। संयो॰ क्रि०-देना । डालना ।-लेना । २. अधिक स्थान घिरवाना । विस्तृत करना । पसारना। विस्तार बढ़ाना। अधिक बड़ा या लंबा चौड़ा करना। इधर उधर बढ़ाना। जैसे, तार फैलाना, पाटे की लोई फैलाना। ३. संकुचित न रखना। सिमटा हुआ, लपेटा हुमा या तह किया हुमा न रखना। पसारना। जैसे, सूखने के लिये कपड़ा फैलाना। उड़ने के लिये पर फैलाना । ४. व्यापक करना । छा देना । भर देना । दूर तक रखना या स्थापित करना । जैसे,—(क) यहां क्यों कूड़ा फैला रखा है । (ख) चिड़ियों को फंसाने के लिये जाल फैलाना । ५. इकट्ठा न रहने देना। बिखेरना। अलग अलग दूर तक • कर देना । जैसे,-बच्चे के हाथ में बताशे मत दो, इधर उधर फैलाएगा। ६. बढाना । बढ़ती करना । वृद्धि करना। जैसे, कारबार फैलाना । ७. किसी छेद या गड्डे को पौर बडा करना या बढ़ाना । अधिक खोलना । जैसे, मुह फैलाना, छेद फैलाना । ८. मुड़ा न रखना । पूरा तानकर किसी ओर बढ़ाना । जैसे,—(क) हाथ फैलाओ तो दें। (ख) पैर फैलाकर सोना। ६ प्रचलित करना । किसी वस्तु या बात को इस स्थिति में करना कि वह जनता के बीच पाई जाय । इधर उधर विद्यमान करना । जारी करना । जैसे, विद्रोह फैलाना, वीमारी फैलाना । उ०-राज काज दरबार में फैला- बहु यह रत्न ।-हरिश्चंद्र (शब्द०)। १०. इधर उधर दूर तक पहुंचाना । जैसे,—सुगंध फैलाना, स्याही फैलाना । ११. प्रसिद्ध करना। बहुत दूर तक ज्ञात या विदित करामा । चारो ओर प्रकट करना । जैसे, यश फैलाना, नाम फैलाना। १२. प्रायोजन करना । विस्तृत विधान करना । धूमधाम से कोई बात खड़ी करना। जैसे ढग फैलाना, ढोंग फैलाना, आडंबर फैलाना। १३. गणित की क्रिया का विस्तार करना। १४. हिसाब किताब करना । लेखा लगाना । विधि लगाना । जैसे, व्याज फैनाना, हिसाब फैलाना, पड़ता फैलाना। १५. गुणा भाग के ठीक होने की परीक्षा करना। वह क्रिया करना जिससे गुणा या भाग के ठीक होने या न ठीक होने का पता चल जाय । फैलाव-संज्ञा स्त्री० [हिं० फैलाना] १. विस्तार । प्रसार । २. लबाई चौडाई । ३. प्रचार । फैलावट-संज्ञा स्त्री० [हिं० फैला+वट (प्रत्य॰)] दे० 'फैलाव' । उ०-देखती हूँ कि सामने सिर्फ फैलावट है, फैलावट । -सुखदा, पृ० १०॥ फैशन-संज्ञा पुं॰ [अं० फेशन ] १. ढंग। धज । तर्ज । वजह । चाल । उ०—(क) फैशन ने तो शिल और टोटल के इतने गोले मारे कि बंटाधार कर दिया ।-भारतेंदु मं०, भा० १, पृ० ४७६ । २. रीति । प्रथा । चलन । उ०-फेवल प्रेम भौर भ्रातृभाव के प्रदर्शन और प्राचरण में ही काव्य का उत्कर्ष मानने का जो एक नया फैशन टाल्सटाय के समय से चला है वह एकदेशीय है ।-रस०, पृ० ६४ । यौ०-फैशनपरस्त । फैशनपरस्ती । फैशनवाज | फैशनवाजी । फैसल-संज्ञा पुं० [अ० फसल ] दे० 'फैसला' । फैसला-संञ्चा पुं० [अ० सलह, ] १. वादी प्रतिवादो के बीच उपस्थित विवाद का निर्णय | दो पक्षों में किसकी बात ठीक है इसका निबटेरा । २. किसी व्यवहार या पभियोग के संबंध में न्यायालय की व्यवस्था । किसी मुकदमे में अदालत की आखिरी राय। क्रि० प्र०—करना ।-सुनाना ।—होना । फैलना,