पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/५२

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कास फारिंग बेबाकी। पहले चिरागदान पर चिराग रखकर लोग फरश पर पर आ पहुंचा और पग्नि का वेग कम हुमा ।-काया०, पृ० रखते थे। ३३४ । फायर ब्रिगेड । फायर मैन । २. शीशे की मृदगी, कमल वा गिलास प्रादि जिसमें बत्तियाँ फायर ब्रिगेड-संज्ञा पुं० [मं० फायर ब्रिगेड ] प्राग तुझानेवाले जलाई जाती हैं । ३. समुद्र के किनारे का वह ऊंचा स्थान कर्मचारियों का दल । जहाँ रात को इसलिये प्रकाश जलाया जाता है कि जहाज उसे फायर मैन-संज्ञा पुं० [पं० फायरमेन ] वह कर्मचारी जो इंजन में देखकर यदर जान जाय । कदीलिया। कोयला झोंकने का काम करता है। फानूस-संज्ञा पुं॰ [ अं० फरनेस ] इंटों प्रादि की भट्ठी जिसमें भाग फाया-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'फाहा' । सुलगाई जाती है और जिसके ताप से अनेक प्रकार के काम फार@t-पंज्ञा पुं० [हि० फारना] १. फार । फाल । खंड । लिए जाते हैं । जैसे, लोहा, ताँबा, गंधक श्रादि गलाना । उ०-चमकहि बीज होई उजियारा । जेहि सिर परे हो दुइ फाफड़, फाफड़ा-संज्ञा पु० [सं० पर्पट ] कूटू । कूलू । दे० 'कूटू' । फारा ।-जायसी (शब्द० ) । २. दे० 'फाल' । उ०-और उस जगह फाफड़ा बोया ।-किन्नर०, पृ०६४ । फारकतीg+-सज्ञा स्त्री म. फारिंग+खत+फा० ई (प्रत्य॰)] फाफर-संज्ञा पु० [ स० पर्पट ] कूटू । कूलू । दे० 'कूटू' । दे० 'फारखती। उ०-करे विसास न लेखा ले। सब को फारकती लिखि दे। -प्र०, पृ० ६ । फाफा-संशा स्त्री० [ अनु० या म० फार (= निरर्थक)] दाँत गिर जाने से 'फा फा' करके बोलनेवाली बुढ़िया। पोपली फारखती-संज्ञा स्त्री० [अ० फारिंग+खती ] वह लेख या कागज बुढ़िया । जिसके द्वारा किसी मनुष्य को उसके दायित्व से मुक्त किया मुहा०-फाफा कुटनी = इधर उधर करनेवाली स्त्री । बुढिया जो जाय । वह कागज या लेख जो इस बात का सबूत हो कि कुटनपन करती वा इधर उधर करती हो । फाफी उड़ानी%दे० किसी के जिम्मे ओ कुछ था, यह अदा हो गया। चुक्ती । 'फाफाकुटनी' । व्यर्थ बकबक करनेवाली। उ०-झूठ पछी रे फाफी उड़ानी का झगरा करिए। -स० दरिया, पृ० १३७ । क्रि०प्र०-लिखना। फारनाल-क्रि० स० [हिं० ] दे० 'फाड़ना' । उ०-पेट फारि फाफुदा-संज्ञा पु० [सं० पतङ्ग, हिं० फतिंगा, फतंगा ] शलभ । पतंगा । टिड्डी। हरनाकुस मारयो जय नरहरि भगवान् ।-सूर (शब्द०)। फारम-सशा पुं० [40 फ़ार्म ] १. दरखास्त, बहीखाते, रसीद पादि फाबल-संशा स्त्री॰ [सं० प्रभा, प्रा० पभा (= विपर्यय) या हिं० फवना ? ] योभा। फवन । छबि । उ०-कहै पद्माकर फरा- के नमुने जिनमें यह दिखाया रहता है कि कहाँ क्या क्या बात कत फरसबद, फहरि फुहारन की फरस फवी है फाब ।- लिखनी चाहिए । २. छपाई में एक पूरा तख्ता जो एक बार पद्माकर (शब्द०)। एक साथ छापा जाता हो। ३. छापने के लिये बैठाए हुए उतने प्रक्षर जितने एक तस्ता छापने के लिये पूरे हों । ४. फावना@t-क्रि० अ० [हिं०] दे० 'फबना'। उ०-तत करिष जात फाबए चोरि । परसन रस लए न रहिन अगोरि ।- वह कृषि भूमि जिसका रकबा बड़ा हो और जिसमें वैज्ञानिक ढंग से खेती की जाय । विद्यापति, पृ० ३३२ । फारमूला-संज्ञा पुं० [० फार्मूला ] १. सफेत । सिद्धांत । सूत्र । फायदा-संज्ञा पुं॰ [च० फाइदह, फायद६] १. लाभ । नफा । प्राप्ति । २. विधि । कायदा । ३. नुसखा। प्राय । जैसे,—इस रोजगार मे बड़ा फायदा है। २. प्रयोजन- फारस-संज्ञा पुं॰ [फ़ा फ़ारस ] दे० 'पारस' । सिद्धि । मतलब पूरा होना । जैसे,—उससे पूछने से कुछ फायदा नहीं, वह न बतावेगा। ३. अच्छा फल । प्रच्छा फारसी-संवा स्त्री॰ [फा० फारसी ] फारस देश की भाषा । उ०- नती। भला परिणाम । जैसे,-महात्मानों का उपदेश टोडर सुकवि ऐसे मुठी तें न टारयो टरे भावै कही सुवी बात भाव कही फारसी|-पकबरी०, पृ० ५२ । सुनने से बहुत फायदा होता है । ४. उत्तम प्रभाव । प्रच्छा असर । बुरी से अच्छी दशा में लाने का गुण । जैसे,—इस फारा-संज्ञा पुं॰ [ सं० फाल ] १. फाल । कतरा । कटी हुई फाँक । दवा ने वहुत फायदा किया । उ.-0धे ठाढ़ सेब के फारे । छौकि साग पुनि सौंगि उतारे ।-जायसी (शब्द०)। २. दे० 'फाल' । ३. दे० 'फरा'। क्रि० प्र०-करना।—होना । फारिक-वि० [ प० फ़ारिग] मुक्त । वेवाक । उ०—मूल व्याज महा.-फायदे का = फायदा पहुंचानेवाला । लाभदायक । दै फारिक भए। तब सु नरोत्तम के घर गए ।-प्रघं०, फायदेमंद-वि० [फा० ] लाभदायक । उपकारक । पृ० ३७। फायर-संशा पुं० [मं० फ़ायर ] १. भाग । २. दे० 'फेर' । फारिखती-तंचा स्त्री० [हिं०] दे० 'फारखती'। उ०-रसीद, यौ०-फायर भार्म = आग्नेयास्त्र । जैसे, वंदूक, पिस्तौल, रिवा- फारिखती देने में भी बहुत कुछ टालटुल किया करते हैं ।- ल्वर मादि । फायर इंजन, फायर एंजिन=प्राग बुझाने की प्रेमघन०, भा०२, पृ०५०। कल । वि० दे० 'दमकल'। उ०-बारे फायर इंजन समय फारिग-वि० [प्र. फारिग ] १. काम से छुट्टी पाया हमा। वो