पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४४३

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HO HO ० HO पर दया। भूतांकुश भूतोन्माद अपना काम नहीं करती, रोगी व्यर्थ बहुत बकता है, उसे भूतिकाम'-संज्ञा पुं॰ [सं०] १. राजा का मंत्री। २. वृहस्पति । बहुत हंसी आती है। भूतिकाम-वि० जिसे ऐश्वर्य की कामना हो । विभूति फो अभि- भूतांकुश-सञ्चा पुं० [सं० भूनाङ्कुश ] १. कश्यप ऋषि । २. गाव लाषा रखनेवाला। जुबान । गावजुवा। भूतिकाल-संज्ञा पुं० [ ] समृद्धि का समय । शुभकाल । भूतांकुश रस-सज्ञा पु० [ स० भूताद शरस ] वैद्यक मे एक प्रकार भूतिकील-संशा पु० [सं०] खाई। परिखा । २. तहखाना (को०] । का रस जिसमे पारा, लोहा, तांबा, मोती, हरताल, गधक भूतिकृत्-संज्ञा पु० [ स०] शिव । मैनसिल, रसाजन प्रादि पदार्थ पड़ते हैं। इससे भूनोन्माद भूतिगर्भ-सञ्ज्ञा पु० [सं०] भवभूति । प्रादि अनेक रोग दूर होते हैं । भूतितीर्था-संज्ञा स्त्री० [ सं० ] कार्तिकेय की एक मातृका का नाम । भूतांतक-संझा पु० [ स० भतान्तक ] १. यम । २. रुद्र । भूतिद- संज्ञा पुं० [सं० ] शिव । भूता-सचा स्त्रो [स.] कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तियि । भूतिदा-मझा मी० [ ] गंगा। भूताक्ष-[ संज्ञा पु० [ स० ] सूर्य । भूतिनि -भज्ञा स्त्री० [हिं० भूत ] दे० 'भूतिनी' । भूतात्मा-सज्ञा ॰ [ स० भूतात्मन् ] १. शरीर । २. परमेश्वर । ३. शिव । ४. विष्णु । ५. ब्रह्म (को० । ६. जीवात्मा । ७. युदध । भतिनिधान-संज्ञा पुं॰ [सं०] घनिष्ठा नक्षत्र । भतिनी-पशा श्री० [हिं० भूत ] १. भून योनि में प्राप्त स्त्री। भूतादि-सज्ञा पु० [ ] १. परमेश्वर । २. पहंकार । (साख्य) । भून को स्त्री। २. शाकिनी, डाकिनी इत्यादि । भूताधिपति-सज्ञा पु० [सं०] शिव । भूतानुकंपा-संज्ञा स्त्री० [ स० भूत+अनुकम्पा ] जीवदया। प्राणियो भूतिभूपण-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] शिव । भूतियवफ-संश पु० [ ] १. पुगणानुमार कूर्मचक्र के एक देश का नाम । २. इस देश का निवासी। भूतापि-संज्ञा पु० [ स०] १. परमेश्वर । २. सांख्य के अनुसार अहंकार तत्व जिससे पचभूनों की उत्पत्ति होती है। भृतिलय-संश्चा पु० [स०] महाभारत के अनुसार एक तीर्थ का नाम । भूतायन-सज्ञा पुं॰ [स०] नारायण । परमेश्वर | भूतिवर्धन-वि० [सं० ] ऐश्वयं बढ़ानेवाला । भूतारि-संज्ञा पुं० [सं०] होग। भतिवाहन-संज्ञा पु० [सं०] शिव । भूतात-वि० [ सं० ] भूताविष्ट । भूत से पीड़ित [को॰] । भूतिसित-वि० [सं०] भस्म लगाने के कारण श्वेत वर्णवाले। भूतार्थ-वि० [सं०] जो हुआ हो । वस्तुनः घटित । (शिव)। जो भस्म लगने से श्वेत हो (को०] । भूतावास-संज्ञा पु० [ स०] १. संसार । दुनिया। २. शरीर। भूतो-संज्ञा पुं॰ [हिं० भूत +ई (प्रत्य०) । भूतपूजक | देह । ३. बहेडे का वृक्ष । ४. विष्णु । भूतीक-मशा पु० [ स०] १. चिरायता । २. अजवायन । ३. भूतृण । ४. कपूर। भूताविष्ट-वि० [ स०] १. जिसे भून या पिशाच लगा हो । २. जो भूनो भादि के प्रभाव से रोगी हुप्रा हो । भृतीबानी-संशा सी० [सं० विभूति ] भस्म । राख । (डि०) भूतावेश-संशा पु० [स०] भून का प्रावेश । भून लगना । प्रेतबाधा। भूतुंबी-संज्ञा स्त्री० [स० भूतुम्यो ] वर्कटी । एक प्रकार की ककरी। भूतावेस@--सज्ञा पुं० [ स० भूनावेश ] भून का प्रावेश । भूत भूतृण- संज्ञा पु. ( स०] रूसा घास जिसका तेल बनता है। वैद्यक लगना । उ.- भूनावेस अबसि है भाई। दोरहु क्छु इक में इसे कटु मौर तिक्त तथा विषदोषनाशक माना है । करहु उपाई।-नद० ग्र०, पृ० १३८ । पर्या-रोहिष । भूनि । कुटुबक | मालातृण। छत्र । पहि- भूति-संज्ञा स्त्री० [ ] १. वैभव | धन संपत्ति । राज्यधी। उ० छत्रक । सगंध । प्रतिगंध । वधिर । करंदुक । धरमनीति उपदेशिय ताही । कीरति भूति सुगति प्रिय जाही। भूतेज्य -सज्ञा पु० [ स०] १. प्रेतपूजा । प्रेतों की पूजा अर्चना । -तुलसी (शब्द०) । २. भस्म । राख । उ०-भव अंग भूनि २. वह जो प्रेतो का पूजक हो। प्रेठपूजा करनेवाला मसान की सुमिरत सोहावनि पावनी-तुलसी (शब्द०)। व्यक्ति को०] । ३. उत्पत्ति । ४. वृद्धि । अधिकता। ५. अणिमा प्रादि पाठ प्रकार की सिद्धियाँ। ६. हाथी का मस्तक रंगकर उसका भतेज्या-मक्षा श्री[स०] प्रेतपूना । शृगार करना । ७. पुराणानुसार एक प्रकार के पितृ । ७. भूतेश -संज्ञा पुं॰ [स०] १. परमेश्वर । २. शिव । ३. कार्तिकेय । लक्ष्मी । ६. वृद्धि नाम की पोषधि । १०. भूतृण । ११. सत्ता। भूतेश्वर-संज्ञा पु० [ सं०] १. महादेव । २. एक तीर्थ का नाम । १२. पकाया हुमा मांस । १३. विष्णु । १४. सा घास । भूतेष्टा--संज्ञा झी० [ स०] १. कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी। २. भूतिक-संज्ञा पु० [स०] १. कटहल । २. मजवायन । ३. चंदन । पाश्विन कृष्ण चतुर्दशी। ४. कपूर (को०)। ५. भूनिव । चिरायता । ५. रूसा घास । भूतोन्माद -सज्ञा पु० [सं०] वैद्यक के अनुसार वह उन्माद रोग जो स०