पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/३७६

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भद्रगणित भद्रश्रिय, भद्रभी भद्रगणित-संज्ञा पु० [ स०] बीज गणित के अंतगतं एक प्रकार का भद्रवन-संज्ञा पुं० [सं०] मथुरा के पास का एक वन । गणित जो चक्रविन्यास की सहायता से होता है। भद्रबलन, भद्रवल्लभ-सचा पु० [सं०] बलराम । भद्रगौड़ -सशा पु० [स० भद्गौड] एक प्राचीन देश जो पुराणानुसार भद्रवला-सज्ञा स्त्री० [सं०] १. प्रसारिणी लता। २. माधवी पूर्वी भारत में था। लता। भद्रगौर-सज्ञा पु० [सं०] पुराणानुसार एक पर्वत का नाम । भद्रबाहु-संज्ञा स्त्री॰ [स०] रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न वसुदेव के एक पुत्र का नाम। भद्रघट-संज्ञा पु० [सं०] वह ड्रम या घट जिसमें से लाटरी निकाली जाती है । भद्रभीमा-संज्ञा पुं० [स०] पुराणानुसार कश्यप की एक कन्या का भद्रधन-सज्ञा पु० [ स०] नागरमोथा। नाम जो दक्ष की कन्या क्रोधा के गर्भ से उत्पन्न हुई थी। भद्रचारु-संज्ञा पु० [सं०] श्रीकृष्ण के पक पुत्र का नाम जो भद्रभूषणा--संज्ञा स्त्री० [सं० ] देवी की एक मूर्ति का नाम । रुक्मिणी से उत्पन्न था। भद्रमंद-संज्ञा पु० [सं० भद्रमन्द ] हाथियों की एक जाति । भद्रज-मा पु० [स० ] इंद्रजी। भद्रमनसी-सज्ञा स्त्री० [सं०] ऐरावत की माता का नाम । भद्र जन-संज्ञा पु० [स०] भला व्यक्ति । शिष्ट जन । भद्रमल्लिका-ज्ञा स्त्री० [स०] इंद्रवारुनी । गवाक्षी !को०] । भद्रतरुणी-संज्ञा स्त्री॰ [ स०] एक प्रकार का गुलाब। भद्रमुंज-पंज्ञा पुं॰ [ मं० भद्रमुञ्ज ] सरपत । विशेष-पाटल, कुजिका, भद्रतरुणी इत्यादि गुलाब की कई भद्रमुख-संज्ञा पुं० [सं०] १. पुराणानुसार एक नाग का नाम । जातियां हैं। २.[खी० भद्रमुस्त्री ] श्रीमान् । एक शिष्ट संवोधन । भद्रता-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] भद्र होने का भाव । शिष्टता। सभ्यता। भद्रमुस्तक-संज्ञा पुं० [सं०] नागरमोथा । भद्रमुस्ता को०] । शराफत । भलमनसी। भद्रमुस्ता-संज्ञा स्त्री० [सं०] नागरमोथा । भद्रतुंग-संज्ञा पुं० [सं० भद्रतुङ्ग ] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन तीर्थ । भद्रमृग-संज्ञा पु० [सं०] हाथियों की एक जाति । भद्रतुरग-संज्ञा पुं० [सं०] जंबू द्वीप के नौ वर्षों में से एक वर्ष । भद्रयव-संज्ञा पुं० [सं०] इंद्रजी । भद्रदत-संज्ञा पुं० [सं० भद्रदन्त ] हाथी। भद्रयान-संज्ञा पुं० [सं०] शाखाप्रवर्तक एफ वौद्ध प्राचार्य । भद्रदंती-संज्ञा सी० [ स०] दंती वृक्ष का एक भेद । भद्ररेणु-संशा पु० [सं०] ऐरावत । विशेष-वैद्यक में इसे कटु, उष्ण, रेचक और कृमि, शूल, कुष्ठ, भद्ररोहिणी-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ] कटुका । श्रामदोष आदि का नाशक माना है। भद्रवट-संज्ञा पुं० [सं०] पुरणानुसार एक प्राचीन तीर्थ का नाम । पर्या-केशरहा । भिपरभद्रा । जयावहा । श्राव की । जरांगी। भद्रवती-संशा स्त्री० [सं०] १. कटहल । २. नाग्नजिती के गर्भ से भगदतिका। उत्पन्न श्री कृष्ण की एक कन्या का नाम । भद्रदारु-सा पुं० [सं०] देवदारु । भद्रवर्मा-संज्ञा पुं॰ [सं० भद्रवर्मन् ] चमेली । नवमल्लिका [को०] । भद्रदेह-संज्ञा पुं० [सं०] पुराणानुसार श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम। भद्रवल्लिका-संशा स्त्री० [सं०] अनंतमूल । भद्रद्वीप-सज्ञा पु० [सं०] पुराणानुसार कुरु वर्ष के अंतगर्त एक भद्रवल्लो-संशा [सं०] १. माधवी लता । २. मल्लिका । द्वीप का नाम । भद्रवान्-संज्ञा पु० [सं० भद्वत् ] देवदारु वृक्ष [को०] । भद्रनाम-संज्ञा पु० [सं० भद्नामन् ] १. खंजन पक्षी। खंडरिच । भद्रविंद-संज्ञा पुं० [सं० भद्रविन्द ] पुराणानुसार श्रीकृष्ण के एक २. दे० 'कठफोड़वा'। पुत्र का नाम। भद्रनामिका-संशा स्त्री॰ [ स०] एक लता। प्रायती । वि० ३० भद्रविराट-संशा पु० [सं० भद्रविराज ] वसिम वृत्त का नाम 'प्रायमाणा'। जिसके पहले और तीसरे चरण मे १० प्रौर दूसरे तथा चौथे भद्रनिधि-संज्ञा पु० [सं० ] पुराणानुसार एक प्रकार का महादान । चरण में ११ अक्षर होते हैं। विशेप-यग्निपुराण ने 'भद्रनिधिदान' शीर्षक अध्याय मे इसकी भद्रवेश-संशा पु० [२० भद्र+वेश ] वह जो मुडित हो। भद्र । विस्तृत विधि प्रादि वणित है । उ०-इनके दश चिह्न होते हैं-भद्रवेष अर्थात् दाढी, मूंछ, भद्रपदा-संश सी० [ स०] दे० 'भाद्रपदा' ( नक्षत्र )। सिर के बाल मुड़े हुए।-कवीर मं०, पृ० ६१ । भद्रपर्णा, भद्रपणी-शा खा० [सं०] प्रसारिणी। कंटभरा वृक्ष । भद्रशाख-संश पु० [सं०] कार्तिकेय । भद्रपाल-उंडा पु० [सं०] एक बोधिसत्व का नाम । भद्रश्रय-मा पु० [सं०] चंदन । भद्रपीठ-संशा पु० [सं०] १. भासन जिसपर बैठा जाय । २. भद्रश्रवा-संशा पुं० [ग० भद्रश्रवस् ] पुराणानुसार धर्म के एक पुत्र वह सिंहासन प्रादि जिसपर राजानों या देवताग्रो का मभिषेक होता है। भद्रधिय, भद्रश्री-वंश पु० [सं०] चंदन का वृक्ष । का नाम।