पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/३४९

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ब्रह्मत्व प्रधपुर ४. ब्रह्माल स ब्रह्मत्व-संज्ञा पु० [सं०] १. शुद्ध ब्रह्म भाव । २. ब्राह्मणत्व | ३. ब्रह्मनदो-संज्ञा स्त्री० [स०] सरस्वती नदी का एक नाम [को०] | ब्रह्मा नामक ऋत्विक होने का भाव या धर्म । ब्रह्मनाभ-सज्ञा पुं० [स०] विष्णु । ब्रहादंड-संज्ञा पुं॰ [ ब्रह्मदण्ड ] १. ब्राह्मण ब्रह्म वारी का डंडा । २. ब्रह्मनिर्वाण-सञ्ज्ञा पु० [स०] १. कैवल्प । मोक्ष । २. दे० 'ब्रह्मा- तीन गिखावाला केतु। ३. ब्राह्मण का शाप । नद' [को०] । (को०)। ५. शिव (को०) । ६. ब्रह्मयष्टि । भारंगी (को०) । ७. ब्रह्मनिष्ठ'- वि० [सं०] १. ब्राह्मणभक्त । २. ब्रह्मज्ञानसंपन्न । प्रभिचार (को०)। ब्रह्मनिष्ठ-संज्ञा पु० पारिस पीपल । शहतूत । ब्रह्मदंडी-सशा सी० [स०] एक जही जो जंगलों में प्रायः पाई जाती है । इसकी पत्तियो और फलो पर कांटे होते हैं । वैद्यक में इसे ब्रह्मनोड-सञ्ज्ञा पु० [ सं० ] ब्राह्मण का निवासस्थान (को०)। गरम और कडवी तथा कफ पीर वातनाशक माना गया है । ब्रह्मपत्र-सज्ञा पु० [सं०] पलास का पत्ता । पर्या-अजदंती । कटपत्रफला । ब्रह्मपद-सज्ञा पु० [ स०] १. ब्रह्मत्व । २. ब्राह्मणत्व । ३. मोक्ष । ब्रह्मदर्भा-संज्ञा स्त्री० [ ] अजवाइन । मुक्ति। ब्रह्मपर-सञ्ज्ञा पु० [स०] वह जो ब्रह्मत्व को प्राप्त हो । ब्रह्मतत्व का ब्रह्मदाता-सज्ञा स्त्री॰ [ मं० ब्रह्मदातृ ] वेद पढ़ानेवाला प्राचार्य । ज्ञाता। उ.--जीवनमुक्त ब्रह्मपर चरित सुनहि तजि ध्यान । ब्रह्मदान-सा पुं० [म.] वेदविद्या देना । वेद पढाना । -मानस, ७॥ ४२ । ब्रह्मदाय-सज्ञा पुं० [स०] वेद का वह भाग जिसमें ब्रह्म का ब्रह्मपरिषद्-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] दे० 'ब्रह्मसभा । निरूपण है । २. ब्राह्मण की अधिकारगत भूमि या धन | ब्रह्मपर्णी-संज्ञा स्त्री० [सं०] पिठवन नाम को लता। ब्रह्मदारु-संज्ञा पु० [सं०] तुत का पेड । शहतूत । ब्रह्मपवित्र-ज्ञा पुं० [म.] कुश । ब्रह्मदिन-सज्ञा पु० [स. ब्रह्मा का एक दिन जो १०० चतुयुगियों ब्रह्मपादप-संज्ञा पुं० [सं०] पलास का पेड । का माना जाता है। ब्रह्मपार-संज्ञा पु० [सं० ] ब्रह्मज्ञान का मूल तत्व या अंतिम ब्रह्मदूपक-वि० [सं०] १. वेदनिंदक । नास्तिक । २. ब्रह्म या लक्ष्य । [को०] । ब्राह्मणों की निंदा करनेवाला [को०] । o-ब्रह्मपारग-ब्रह्मतत्व को जाननेवाला । वेदपारग । ब्रह्मदेय-सज्ञा पु० [ स०] ब्राह्मणों को दान में दी हुई वस्तु । (शिलालेख)। ब्रह्मपारायण-संज्ञा पुं० [सं०] १. समग्न वेदों का साद्यंत अध्ययन । ब्रह्मदेया-वि० स्त्री० [ स० ] ब्रह्मविवाह में दी जानेवाली (कन्या)। २. संपूर्ण वेद [को०। ब्राह्मविवाह विधि द्वारा दी जानेवाली (पुत्री)। ब्रह्मपाश-संज्ञा पुं० [मं०] ब्रह्मा का दिया हुआ पाश नामक अस्त्र । ब्रहादैत्य-संज्ञा पुं॰ [ सं०] वह ब्राह्मण जो प्रेत हो गया हो । ब्रह्म विशेष-पाश या फदे का प्रयोग प्राचीन काल में युद्ध में होता था। राक्षस। ब्रह्मदोष-सशातपुं० [सं०] ब्राह्मण को मारने का दोष । ब्रह्महत्या ब्रह्मपिता-संज्ञा पु० [सं० ब्रह्मपितृ ] विष्णु का एक नाम [को०] । का बुरा प्रभाव । जैसे,—इस कुल में ब्रह्मदोष है। ब्रह्मपुत्र-संज्ञा पुं० [सं०] १. ब्रह्मा का पुत्र । २. नारद । ३. ब्रह्मदोपी-वि० [सं० ] वह जिसे ब्रह्महत्या लगी हो । वशिष्ठ । ४. मनु । ५. मरीचि । ६. सनकादिक । ७. एक प्रकार का विष। ब्रह्मद्रव-सशा पुं० [सं० ) गंगाजल । उ०-के वसुधा पै सुधाधार ब्रह्मद्रव द्रौनी।-का० सुषमा, पृ०६ । विशेप-यह एक पौधे का कंद है जो मलयाचल पर होता है। म-संज्ञा पुं० [सं०] पलास । टेसू । इसका प्रयोग रसायन और बाजीकरण में होता है । ८. एक नद । ब्रह्मपुत्र नाम की प्रसिद्ध नदी। ब्रह्मद्रोही-वि० [सं० ब्रह्मद्रोहिन् ] ब्राह्मणों से वैर रखनेवाला । विशेप-यह मानसरोवर से निकलकर हिमालय के पूर्वीय प्रांत ब्रह्मद्वार-संज्ञा पुं० [स०] खोपडी के बीच माना हुआ वह छेद से भारतवर्ष में प्रवेश करता है और प्रासाम, वंगाल होता जिससे योगियों के प्राण निकलते हैं । ब्रह्मरंध्र । ब्रह्मछिद्र । हुप्रा बंगाल की खाड़ी में गिरता है। इसका प्राचीन नाम उ०-(क) पटदल श्रष्ट द्वादस दल निर्मल अजपा जाप 'लोहित्य' है । 'प्रमोधानंदन' नाम भी मिलता है। जपाली । त्रिकुटी संगम ब्रह्मद्वार भिदि यों मिलिहैं बनमाली। ---सूर (शब्द०) (ख) ब्रह्मद्वार फिरि फोरिक निकसे गोकुल ब्रह्मपुत्रा-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. एक जहरीला पौधा । २. ब्रह्मपुत्र नद [को०] । राय ।-सूर (शब्द०)। ब्रह्मपुत्री-संज्ञा स्त्री० [मं०] १. सरस्वती। वाक् की पधिष्ठात्री ब्रहाद्वेप-सज्ञा पुं० [सं०] वेद अथवा ब्राह्मण के प्रति द्रोह या निदा देवी। २. सरस्वती नदी । ३. बाराही कद । भाव [को०] । ब्रह्मदपी-वि० [सं० ब्रह्मद्वेपिन् ] दे० 'ब्रदुषक' । ब्रह्मपुर-संज्ञा पुं० [सं०] १. ब्रह्मलोक । २. ब्रह्म के अनुभव का स्थान । हृदय । ३. वृहत्संहिता के अनुसार ईशान कोण में ब्रह्मधर-वि० [सं०] १. ब्रह्मज्ञ । २. वेद का ज्ञाता [को०] । स्थित एक देश । ४. शरीर । देह (को०)। ब्रह्मद्रम