पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/१८६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

Fi ! . बहुकेतु. ३४.२५ बितात बहुकेतु-संज्ञा पुं० [सं] वाल्मीकि रामायण में उल्लिखित एक 1 'गहना । छोठा बहूटा। 36-बहु नग सगे जरांव की अंगिया पर्वत का नाम । भुला बहुदनी बलय संग को ।-पूर (शब्द॰) । बहुक्षम-वि० [सं०] [वि० सी० , बहुक्षमा ] १. बहुत सहन करने; बहुतंत्री-वि० [सं० बहुतन्निन् ] १. पनेक तंतुषोंवाला (शरीर)। वाला । २. अनेक कार्यों को करने में समर्थ । २. अनेक तारों वाला जैसे, सितार मादि वाप। [को०].1 बहुक्षीरा-या स्त्री० [सं० ] अधिक दूध देनेवाली गो। वह गाय बहुतत्रीक-वि० [सं० बहुतन्त्रीक-] पनेक तंतुओं या तारों से युक्त जो अधिक दूध देती हो (को०] ! - : : (वाद्य ) । बहुगंध-वि० [सं० बहुगन्ध] बहुत गंधवाला ।, तीव्र गंध का [को०] । बहुत -वि० [सं० बहुतर; अपवा सं० प्रभूत, प्रा० पहुक्त] 1. एक दों यौ०-बहुगंधदा = कस्तूरी । मृगमद | से अधिक । गिनती में ज्यादा । भनेक । जैसे, वहाँ बहुत से बहुगंध-संज्ञा पुं० १. दारचीनी । २ कुंदरू । ३. पीतचंदन । आदमी गए । २. जो परिमाण में पल्प या न्यून न हो । यो बहुगंधा-संज्ञा श्री० [ सं० यद्गन्धा ] १. जूही । २. स्याहजीरा । मात्रा में पधिक हो । जैसे,—माज तुमने बहुत पानी पिया। 1., ३. मावश्यकता भर या उससे अधिक । यथेष्ट । बस। ३. चंपा की, कली।। काफी । जैसे, अब मत दो, इतना बहुत है। बहुगव-सञ्ज्ञा पु० [ सं०] भागवत मे वर्णित पुरुवंशीय राज । बहुगुडा-संज्ञा स्त्री॰ [सं०] कंटकारी । भटकटैया । २. भूम्यामलको । मुहा-बहुत अच्छा = (१) स्वीकृतिसूचक वाक्य। एवंमस्तु । ऐसा ही होगा । (२) धमकी का वाक्य । खैर ऐसी करो, हम बहुगुण-वि० [ सं०] १. जिसमें बहुन . सून हों। अनेक सूनोंवाला । देख लेंगे। कोई परवा नहीं। बहुत करके = (१) मधिकतर । २. भनेक गुणयुक्त किो०] । ज्यादातर । बहुषा । प्रायः। मक्सर । पधिक अवसरों पर। बहुगुना-संक्षा पुं० [हिं• बहु+गुण ] चौडे मुह का एक गहरा जैसे,-बहुत करके वह शाम को ही माता है ।, (२) पषिक वरतन” जिसके पैदे और मुह का घेरी बरावर होता है । सभव है । बीस बिस्वे । जैसे,-बहुत करके तो वह वहा इससे यात्रा प्रादि में कई काम ले सकते हैं। शायद इसी से पहुंच गया होगा, न पहुंचा हो तो भेज देना। बहुत कुछ - इसे वह गुना कहते हैं। कम नही। गिनती करने योग्य । जैसे,—भी उनके पास बहुगुनी-वि० [सं० बहुगुणिन् ] विशेष जानकारः। उ०-कह्या तब बहुत कुछ धन हैं। बहुत खूब ! = (१) वाह ! क्या कहना ऐ बहुगुनी, नामदार । तेरा-नाम रोशन ,प्रछो ठार ठार । है। ( किसी मनोखी रात पर)। (२) बहुत मच्छा बहुत दक्खिनी०, पृ०.६२ । है = कुछ नहीं है। (व्यंग्य)। बहुत हो जिए रहने दो। बहुगुरु-ज्ञा पुं० [सं०] वह व्यक्ति जिसने, ऊपरी तौर से या ..... जाव । चल,दो। तुम्हारा काम नहीं। :- पगंभीरता से बहुन पधिक पढ़ा हो । अल्पज्ञ या पल्लवग्राही, बहुत-क्रि० वि० । अधिक परिमाण में । ज्यादा । जैसे,—वह व्यक्ति। वहुत दौड़ा। बहुग्यता, संज्ञा स्त्री० [सं० बहुज्ञता ].३० 'बहुजता' । उ०—पिंग. बहुतक - वि० [हिं० बहुत +एक अथवा क (स्वार्थे प्रत्य) बहुत से । बहुतेरे । . बहुग्यता धिग सब इौं । विमुख जो कृष्ण अषोक्षज विर्ष । -बहुतक चढ़ी पटारिम्ह निरसहित -नंद० ग्रं॰, पृ० १.४। गगन बिमान । -तुलसी (गन्द). PIRATE बहुप्रथि-संज्ञा पुं० [सं० बहुग्रन्थि ] झाऊ का पेड़ । बहुतरि@-सज्ञा पुं०, वि० [सं० द्वासप्तति, प्रा० बहचरि] दे 'बहत्तर'। उ०-लपिन बतिस बहुतरि कला बाल बेस पूरन बहुच्छल - वि० [सं०] छलयुक्त (को०)। : सगुन | क्रीड़त गिलोल जब लाम कर तब मार बान यापका- बहुछिन्ना-संशा स्त्री० [सं०] कंदगुडूची । गुडबेल [को०] । सुमन ।-पृ० राग ११७२७11-10 बहुजन - संज्ञा पुं॰ [ सं० ] व्यक्तियों को बहुत अधिक संख्या । बहुत बहुता-वि० [हिं० बहुत ] १. बहुत। २. बतियों की बोनी में से लोगों का समूह । जनसमाज । जनसाधारण । तीसरी तौल का नाम । (तीन की संख्या पशुभ-समझी -यौ.-बहुजन हिताय बहुजन सुखाय = बहुत से लोगों या जन- जाती है, इससे तौल, की गिनती में जब बनिये तीन पर पाते 2. साधारण के कल्याण या सुख के लिये । हैं तब यह शब्द कहते हैं। बहुजल्प-वि० [सं०] अत्यधिक बोलनेवाला । बड़बड़िया [को॰] । घहुता-संज्ञा स्त्री० [सं०] बहत्व । प्रषिकता । बहुंज्ञ-वि० [सं०] बहुत बातें जाननेवाला । जानकार । बहुताइत-संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰] दे० 'बहुतायत' । -हमको पिय बहुता-संज्ञा स्त्री० [सं०] बहुत से विषयों का ज्ञान । सर्वज्ञता । तुम एक हो तुम को हम सी कोरि। बहुताइत के रावरे प्रीति न डारो तोरि-नंद० ०, पृ० १६०। 19 उ०-संस्कृत के अनेक कवियों ने वेदांत, आयुर्वेद न्याय के 17 पारिभाषिक शब्दों को लेकर बड़े बड़े चमत्कार खड़े किए बहुताई-संज्ञा स्त्री० [हिं बहुत भाई <आयत (प्रत्य॰)] हैं या अपनी बहुज्ञता दिखाई है।-रस०, पृ०४४। बहुनायत । मषिकता। ज्यादती।। बहुटनी-संञ्चा स्त्री० [हिं० बहूँटा ] बाह पर पहनने का एक बहुतात-संक्षा ली० [हिं॰] दे'बहुतायत'" " : .-२२ -- - !