प्रौढ २२५० प्लक्षजाती हुमा । २. जिसकी अवस्था अधिक हो चली हो। जिसकी व्यग्य से कोप प्रस्ट फरे| ताना देकर कोप प्रकट करनेवाली युवावस्था समाप्ति पर हो। ३ पक्का । पुष्ट । मजबूत । दृढ । पौड़ा। ४ पुराना । ५ गंभीर । गूढ़ । ६ निगुण । होशियार। प्रौढाधीराधीरा-सग पी० [म० प्रौढाधीराधारा ] साहित्य में वह चतुर । ७ घना । सघन । भरा हुधा । परिपूर्ण। (को॰) । नायिका जो अपने नायत में परस्त्रीगमन चिह्न देखने पर ८ उद्धत । प्रगल्भ । अभिमानी (को०)। ६. विलासी (को०)। कुछ प्रत्यदा पोर कुछ व्यग्यपूर्वक को प्रकट करे। यह मोठा १० विवाहित (को०)। ११ उठाया या ऊपर किया हुआ। जिसमे धीराधीरा क गुण हो। १२ तफित । पिरोध किया हुमा (को०) । १३ वडा । महान प्रौदि-सचा खी० [स० प्रोटि१. सामय्यं । शक्ति । २. धृष्टता । (को०) । १४ व्यस्त । लीन (को॰) । ढिठाई । ३ प्रौढ़ता । ४ वादविवाद । ५ पूण वृद्धि (को०)। प्रौढर--सज्ञा पु० तानिको का चौवीस अक्षरो का एक मत्र । यो-प्रोटिवाद %प्रोढवाद । प्रौढ़जलद-सज्ञा पुं० [स० प्रौढजलद ] घने बादल [को०] । प्रौढ़ोकतिल- सी० [सं० प्रौढोक्ति ] एक अलकार । दे० प्रौढ़ता-सज्ञा सी० [स० प्रौढता ] प्रौढ होने का भाव । प्रोढ़त्व । 'प्रोढाक्ति' । उ०--ौड़ोति तासो कहत, भूपन कवि विरदेत। प्रौढत्व-ज्ञा पुं० [स० प्रौढत्व ] प्रौढ होने का भाव । प्रौढ़ता । भूपन ग्र०, पृ०६०। प्रौढ़ गद्-यश पु० [ स० प्रौढपाद ] पैर के दोनो तलुए जमीन पर प्रौढोक्ति-शा पुं० [ मं० प्रढोक्ति ] १ अलकार विशेष जिसमें रखकर बैठना । उकहूँ, वैठना। उत्कर्ष का जो हेतु नहीं है वह हेतु कल्पित किया जाय। विशेष-शास्त्रो में इस प्रकार वैठकर, भोजन, स्नान, तर्पण, २ दृढ़ कथन । हठोक्ति । ३ गूढ़ रचना। किसी वात को वहुत बढ़ाकर कहना। पूजन, अध्ययन मादि कार्य करने का निपेष है। प्रौण -वि० [पुं०] प्रवीणा । चतुर । होशियार [को० । प्रौढ़पुष्प-वि० [स० प्रौढपुष्प ] पुर्णत. विकसित । पूरा खिला प्रौष्ठ-सा पुं० [स०] सौरी मछली । हुया [को०] । प्रौढ़मताधिकार-सज्ञा पु० [सं० प्रौढ़ +मत+ अधिकार] प्रजातात्रिक प्रौष्ठपद--Hश पु० [सं०] १. कुवेर के निपिरक्षको मे से एक का नाम । २. भाद्रमास का नाम || मादो। प्रोष्ठपद । शासन की वह व्यवस्था जिसमे प्रत्येक प्रौढ़ ( बालिग ) माने गए व्यक्ति को चुनाव में अपना मत देने का अधिकार पौष्ठपदिक-व सं० [मं०] भाद्रपद । भादो। होता है। प्रौष्ठपदो-सरा पी० [सं०] भाद्रमास की पूर्णिमा । प्रौढ़मनोरमा-सज्ञा स्त्री० [ स० प्रौढमनोरमा ] सिद्धातकौमुदी की प्रौह-वि०, सगा पु० [सं०] दे० 'प्रोह' । एक टीका या व्याल्पा। प्लक-मया पुं० [०] स्त्रियो का कमर के नीचे का भाग । प्रौढ़वाद-सा पुं० [सं० प्रौढवाद ] दृढ़ कथन । प्रबल उक्ति (को॰] । शक्ष-सजा पुं० [स०] १ पाकर नाम का वृक्ष । पिनसा । २. प्रौढ़ा-पशा सी० [सं० प्रौदा ] १. पधिक वयसवाली स्त्री । वह पुराणानुसार सात कल्पित द्वीपो मे से एक द्वीप का नाम । स्त्री जिसे जवान हुए बहुत दिन हो चुके हो। २ साहित्य में विशेप-कहते हैं. यह जवुद्वीप के चारो गार है। और दो एक नायिका। वह नायिका जो कामकला आदि अच्छी तरह लाख योजन विस्तृत है। इसमे शातभर, शिशिर, सुखोदय, जानती हो। मानद, शिव, क्षेमक और व नामक सात वर्ण और गोमेद, विशप-साधारणत ३० वर्ष से ५० या ५५ वर्ष तक की पायु- चद्र, नारद, दुदुभि, सोमक, सुमना और वैभ्राज: नाम के वाली स्त्री प्रौढ़ा मानी जाती है। भावप्रकाश के अनुसार ऐसी सात पवंत माने जाते हैं। भागवत म इसके वर्षा का नाम स्लो वर्षा और वसत ऋतु में सभोग करने के योग्य होती शिव, वयस, सुभद्र, शात, क्षेम, अमृत मौर अभय तथा पर्वतो है। साहित्य में इसके रतिप्रीता और पानदसमोहिता ये दो का नाम मरिणक्ट, वनफ्ट, इ सोम, ज्योतिष्मान, सुवर्ण, हिरण्यष्ठीन और मेघमाल लिखा है । विष्णुपुराण के अनुसार भेद माने गए हैं। मानभदानुसार धोरा, अधीरा मोर धीरा- धोरा ये तीन भेद तथा स्वाभावानुसार अन्यसुरतदु खिता, अनुतप्ता, शिखो, विपाशा, प्रिदिवा, क्रम, अमृता और सुकृता वक्रोक्तिगविता और मानवती ये तीन भेद माने जाते हैं। इसके नाम की सात नदियाँ हैं, पर भागवत में उनका नाम अरुण, अतिरिक्त स्वकीया, परकीया और सामान्या ये तीन भेद इसमे नृमला, आगिरसो, सावित्री, सुप्रभात ऋतभरा और सत्यभरा लगते हैं। दिया है। कहते हैं, इस द्वीप मे युगव्यवस्था नहीं है, इसमे सदा प्रेतायुग बना रहता है। यहाँ चातुर्वणं का नियम है । प्रौढ़ाअधोरा-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० प्रौढाधीरा ] वह प्रौढ़ा नायिका इस द्वीप में प्लक्ष का एक बहुत बडा वृक्ष है, इसी से इसे जो अपने नायक में विलासमूचक चिह्न देखने पर प्रत्यक्ष कोप प्लक्षद्वीप कहते हैं । ३ अश्वत्य वृक्ष । पीपल । ४ वही खिडकी फरे । वह प्रौढ़ा जिसमें अधोरा नायिका के लक्षण हो । या दरवाजा। ५. पार्वस्य या पिछला दरवाजा (को०) ६ द्वार प्रौढाधोरा-सञ्चा स्त्री० [स० प्रौढाधीरा ] वह प्रौढ़ा नायिका जो अपने के पास की भूमि (को०)। ७ एक तीर्य का नाम । नायक में विलाससूचक चिह्न देखने पर प्रत्यक्ष कोप न करके प्लदजाता-सक्षा सी० [स] सरस्वती नदी का एक नाम । H
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५४१
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