प्रेयमार्ग ३२४६ प्रेयःमार्ग-- सज्ञा पु० [ म० प्रयस्मार्ग ] वह मार्ग जो मनुष्य को करनेवाला। उभाटनेवाला। २. भेजनेवाला। ३ भाशा सामारिक विषयो मे फंसाता है । अविद्यामार्ग। देने वाला। प्रेय'-रूज्ञा पुं॰ [सं० प्रेयस् ] एक प्रकार का पलकार जिसमें कोई प्रेरित-•ि [ म०] १ जो किसी कार्य के लिये प्रेरित या नियुक्त भाव किसी दूसरे भाव अथवा स्थायी का मग होता है। किया गया हो । २. भेजा हुप्रा। प्रचालित । प्रेषित । ३ प्रेयर-वि०प्रिय । प्यारा । ढकेला हुमा । धसा दिया हुप्रा । प्रयर-सज्ञा स्त्री॰ [अं०] १ प्रार्थना । स्तुति । २ ईश्वरप्रार्थना । प्रेप-सग पुं० [स०] १ प्रेरणा । २ पीडा । कष्ट [को०] । प्रेयस्'-पि० [सं०] [वि० मी० प्रेयसी ] सबसे प्यारा । बहुत प्रेपक -सा पुं० [सं०] १ भेजनेवाला । २ प्रेरफ। प्यारा । प्रियतम । प्रेपण-सरा पु० [ म०] १ प्ररणा करना। २ भजना। रवाना करना। प्रेयस्-सञ्ज्ञा पुं० १ प्यारा व्यक्ति । प्रियतम । २ पति (को०) । ३. प्रिय मित्र (को०)। ४ चापलूसी (को०)। प्रपणीय-वि० [सं०] १ भेजने योग्य । २ प्रेरित करने योग्य । प्रेयान्-वि०, सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] दे० 'प्रेयस्' (को॰] । ३ दूमरे तक पहुँचाने लायक । दूसरे के मन में जमाने योग्य । उ.-उमे पणोय बनाने के लिये-दुसरों के हृदय तक प्रेयसी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ वह स्त्री जिसके साथ प्रेम किया जाय । पई गने के लिये-भाषा का सहारा लेना पड़ता है। -चिता- प्यारी स्त्री । प्रेमिका । २. पत्नी। स्त्री (को०) । मणि, भा॰ २, पृ० १०४ । प्रेरक-वि, सज्ञा पु० [सं०] १ प्रेरणा करनेवाला । उत्तेजना देने या प्रपतीयता-सा पी० [म.] प्रेषित होने का भाव । दूसरे के हृदय दबाव डालनेवाला। किसी काम में प्रवृत्त करनेवाला। तक पई ने की स्थिति । उ०-उनकी रचनाएं स्यातासुखाय २ भेजनेवाला (को०)। ३ निर्देश करनेवाला (को॰) । हैं, पर उनमे प्रेपणीयता वहृत है ।-शुक्ल अभि० ग्र०, प्रेरफता-सज्ञा स्त्री० [स० प्ररक+ता (प्रत्य॰)] प्रेरणा देने का पृ०२३६। भाव । उ०—शास्त्रनहू कछु प्रेरकता कहि उलटो दियो प्रपना-क्रि० स० [सं० प्रेषण ] प्रेपित करना । भेजना। भुलाई । सब मैं मिल्यो सवन सो न्यारो कैसे यह न वुभाई। प्रेषित'-वि० [स०] १ प्रेरित । प्रेरणा किया हुप्रा। २ भेजा -भारतेंदु न , भा॰ २, पृ० ५४३ । हपा। रवाना किया हुप्रा । ३ निर्वासित (को०)। प्रेरण-सज्ञा पुं० [सं०] १ किसी को किसी काम में लगाना । कार्य में प्रेपित-मज्ञा पुं० [म.] संगीत में स्वरसाधन को एक प्रणाली प्रवृत्त करना। २ फेंकना। प्रक्षेपण (को०)। ३ भेजना। जो इस प्रकार है-सारे, रेग, गम, मप, पप घनि, निसा । प्रेपण (को०) । ४ प्रदेश । निर्देश (को० ।५ सक्रियता। सानि, निघ, घप, पम, मग, गरे, रेसा। परिश्रमशीलता (को०)। प्रेपितव्य-१० [स०] जो प्रेपण करने के योग्य हो । प्रेरणा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [म०] १ किसी को किसी कार्य में लगाने की प्रेष्ठ'-वि० [सं०] [स्त्री० प्रष्ठा ] अतिशय प्रिय । प्रियतम । किया। कार्य में प्रवृत्त या नियुक्त करना । दवाव डालकर या बहुत प्यारा। उलाह देकर काम में लगाना। उजना देना। २ दवाय । जोर | धक्का । झटका। ३. फेंकना (को०)। ४ भेजना। प्रेटर - ससा पु० पति । प्रियतम [को॰] । प्रेषण (को०) । ५. पादेश । निर्देश (को०)। ६ सक्रियता । प्रेष्ठतमा-पि० सी० [सं० प्रप्ठ + तम ] सबसे अधिक प्रिय । सर्वा- परिश्रमशीलता (को०)। धिक प्रिय । उ०-प्रेतमा नायिका के साथ इस सुखो. प्रेरणार्थक क्रिया-सज्ञा खी० [सं०] क्रिया का वह रूप जिससे पभोग के लिये वह कितना उत्कठित है । मोद्दार अभि० म०, पृ० १४४ । किया के व्यापार के सबध मे यह सूचित होता है कि वह किसी की प्रेरणा से कर्ता के द्वारा हुआ है। जैसे,- प्रेप्ठा-तश प्रो० [ स० ] १. वह जो बहुत प्यारी हो । मत्यत प्रिय लिखना का प्रेरणार्थक रूप है लिखाना या लिखवाना, स्त्री। २ जांच। देना का दिलाना या दिलवाना, पढना का पढ़वाना। प्रेष्य'-मज्ञा ५० [स०] १ दास । सेवक । २ दून। ३ प्रेरणीय-वि० [स०] प्रेरणा करने के योग्य । किसी काम के लिये सेवा (को०)। प्रवृत्त या नियुक्त करने के योग्य । प्रेष्य-वि० १ जो प्रपण करने के योग्य हो । जिसे भेजा जाय । प्रेरनाल-क्रि० स० [सं० प्रेरणा ] १ प्रेरणा करना । चलाना । प्रेष्यजन--मज्ञा पुं० [स०] नौकर समुह । दाससमुदाय [को॰] । २ भेजना । पठाना । उ०-(क) तब उस शुद्ध माचोरवाले प्रेष्यता-संज्ञा स्त्री॰ [ स०] ३ दासत्व । २. दूनत्व । काकुत्स्थ ने दुष्टों का प्रेरा हुमा दूषण न सहा ।-लक्ष्मण प्रेष्यभाव-सा पुं० [सं०] दासत्व । गुलामी [को०] । सिंह (शब्द॰) । (ख) भूतन जान प्ररि रघुवीरा । विरह प्रष्या-तशा स्त्री० [म०] दासी । सेविका [को०] । विवस भा सिथिल सरीरा।-रामाश्वमेष (शब्द॰) । प्रेस-सज्ञा पुं० [३०] १. वह कल जिससे कोई चीज दवाई या कसी प्रेरयिता-सच्चा पुं० [ स० प्रेरयित ] [ स्त्री० प्रेरयित्री ] १. प्रेरणा जाय । च । २ हाथ से चलाने की वह कल जिससे छपाई
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५३७
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