पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५३०

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प्रियमधु ३२३४ प्रिवीकौंसिल प्रियमधु-सञ्चा पुं० [सं०] १. बलराम का एक नाम । २ वह जिसे प्रियांबु-सञ्ज्ञा पु० [ स० प्रियाम्बु] १ 'माम का पेड । २ आम का मदिरा प्यारी हो (को०)। फल । ३. वह जिसे जल बहुत प्रिय हो। प्रियमेध-सज्ञा पु० [स०] १ एक ऋषि का नाम । २ भागवत के प्रिया-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ नारी। स्त्री। २ भार्या । पत्नी । अनुसार मजमीढ़ के एक पुत्र का नाम । जोरू । ३ इलायची। ४. मल्लिका । चमेली। ५ मदिरा, प्रियरण-वि० [स०] युद्धप्रिय । वीर [को॰] । शराव । ६ प्रेमिका स्त्री। माशूका । ७ एक वृत्त का नाम प्रियरूप-वि० [सं०] मनोहर । सुदर। जिसके प्रत्येक चरण में रगण (sis) होता है, इसका दूसरा नाम मृगी है।८१४ मात्रा का एक छद । जैसे, तब प्रियल्ली-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० प्रियवल्ली] दे० 'प्रियवर्णी' । लंकनाथ रिसाय कै । ९ कॅगनी । १० समाचार । प्रियवक्का-वि० [स० प्रियवक्तृ] १ प्रिय वचन बोलनेवाला। मधुर- खबर (को०)। भाषी । २. चापलूस (को०)। प्रियाख्य-वि० [स०] प्रिय । प्यारा। प्रियवचन-वि० [स०] मीठी बात करनेवाला । मधुरभाषी। प्रियाख्यान-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] सुखद समाचार । शुभ समाचार (फो०] । प्रियवचन-सज्ञा पुं० १. कृपापूर्ण शब्द । २ प्रिय लगनेवाली प्रियातिथि-वि० [स०] अतिथि का मादर सत्कार करनेवाला (को०] बात [को०]। प्रियात्मज-सञ्चा पु० [स०] चरक के अनुसार पसह जाति का प्रियवर-वि० [स०] भति प्रिय । प्यारो मे श्रेष्ठ । सबसे प्यारा । एक पक्षी। विशेष—इसका व्यवहार प्राय पत्रों आदि में सबोधन के रुप प्रियात्मा-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रियात्मन् ] वह जिसका चित्त उदार और में होता है। सरल हो। प्रियवर्णी-सञ्ज्ञा सी० [सं०] कॅगनी नाम का अन्न । प्रियान्न-सञ्ज्ञा पुं० [स०] महंगा खाद्य पदार्थ (को०] । प्रियवल्ली-सञ्चा स्त्री॰ [सं०] प्रियवर्णी (को०] । प्रियापाय-सज्ञा पुं० [स०] प्रिय वस्तु की हानि । प्रिय वस्तु का प्रियवादिनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार का पक्षी [को॰] । विश्लेष या प्रभाव [को०] । प्रियवादिन्-वि० स्त्री० [स०] मधुर बोलनेवाली।' प्रियाप्रिय'-वि० [सं०] प्रिय भौर पप्रिय । रुचिकर और अरुचिकर प्रियवादी-सच्चा पुं० [ स० प्रियवादिन् ] [खी० प्रियवादिनी ] प्रिय (भावना मादि)। बोलनेवाला । मधुरभाषी । मीठा बोलनेवाला। प्रियाप्रिय-सचा ० भनुकूलता भौर प्रतिकूलता । हित और अहित [को०], प्रियव्रत-सचा पुं० [सं०] १ स्वायंभुव मनु के एक पुत्र का नाम जो उत्तानपाद का भाई था । पुराणों के अनुसार इसके रथ दौडाने प्रियाई'-वि० [स०] १ प्रेम या कृपा के योग्य । २ सुशील । से पृथ्वी में जो गड्ढे हुए, वे ही पीछे समुद्र हो गएँ। २. वह प्रियाईसा पुं० विष्णु (को॰) । सुप्रिय [को०] । जिसे प्रत प्रिय हो। प्रियाल-सज्ञा पुं० [स०] चिरौंजी का पेड़ । प्रियाल | प्रियशालक-सञ्चा पुं० [सं०] प्रियासाल । प्रियश्रवा-सशा पुं० [सं० प्रियश्रवस् ] परमेश्वर का एक नाम । प्रियाला-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] दाख । द्राक्षा। प्रियाव-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रिय + हिं० श्राव (थाना) ] मामत्रण प्रियसंगमन-सज्ञा पु० [सं० प्रियसङ्गमन् ] १. वह स्थान जहाँ प्रिय और प्रिया का मिलन हो । अभिसार का स्थान ।' युक्त सबोधन। हे प्रिय, तू प्रा। उ०-वावहियउ नइ विरहिणी, दुहुवाँ एक सहाव । जव ही वरसाइ घण घणउ, सकेत स्थान । २ वह स्थान जहाँ अदिति मौर कश्यप का तबही कहइ प्रियाव ।-ढोला०, दु० २७ । मिलन हुमा था। प्रियासु-वि० [सं०] जिसे प्राण प्रिय हो। जिसे जीवन प्रिय हो (को०)। प्रियसदेश-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रियसन्देश ] . १ खुशखबरी। अच्छा संदेसा । २. चपा का पेड । प्रियाह वा--संज्ञा स्त्री॰ [स०] कंगनी नामक अन्न । प्रियैषी-वि० [स० प्रियपिन् ] १ प्रिय की इच्छा करनेवाला । २ प्रियसंप्रहार-वि० [ स० प्रियसम्प्रहार ] मुकदमा लडने का शौकीन । किसी को प्रसन्न करने या किसी की सेवा करने का इच्छुक । मुकदमेवाज (को०] । २ मैत्रीपूर्ण । स्नेहपूर्ण (को॰] । प्रियसख-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ खैर का पेड़ । २ प्रिय मित्र (को॰) । प्रियोक्ति-सञ्चा श्री० [स०] चाटुकारिता से भरी उक्ति । प्रिय प्रियसत्य-वि० [स०] १ जिसे सत्य प्रिय हो । २ सत्य होने पर।' लगनेवाली बात । चापलूसी [को०] । भी प्रिय [को०] । प्रिविलेज लीव-सचा स्त्री॰ [भ] वह छुट्टी जो, सरकारी तथा प्रियसालक-वश पुं० [सं०] पियासाल नामक वृक्ष । किसी गैर सरकारी सस्था या कपनी के नौकर, कुछ निर्दिष्ट प्रियसुहृद्-सज्ञा पुं० [सं०] अंतरग मित्र । दिली दोस्त [को०] । अवधि तक काम कर चुकने के बाद, पाने के अधिकारी या प्रियस्वप्न-वि० [सं०] १ जिसे निद्रा प्रिय हो । २. मालस्ययुक्त । हकदार होते हैं। भावसी [को०] । प्रिवोकौंसिल-सञ्ज्ञा पुं० [म.] किसी बड़े शासक को शासन 1 1 1