प्राणपत्नी ३२२४ प्राणवायु प्राणपत्नी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] ध्वनि । आवाज [को०) । प्राणमास्वान्-सशा पुं० [सं० प्राणमारवत् ] समुद्र [को०] । प्राणपन-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्राणपण ] दे० प्राणपण'। उ०-वे प्राणभूत-वि० [ प्राण + भूत ] जीतनरूप । प्राय यत् । किसी दीन प्राणी की रक्षा प्राणपन से कर सकते हैं। प्राणभृत्'-. [सं०] १ प्राण धारण करनेवाला । २. प्राणपोषक । -रगभूमि, भा०२, पृ० ५५० । प्राणभृत्-सहा पुं० १ जीव । प्राणी । २ पिप्रण। प्राणपरिक्रय-संज्ञा पुं॰ [स०] अपने या किसी के प्राण की बाजी प्रणमय-वि० [सं०] प्राण सयुक्त । जिनमे प्राण हो। लगाना (को०] । प्राणमय कोश-संज्ञा पुं० [सं०] वेदात फे अनुमार पाच फोगों में प्राणपरिक्षय-वि० [सं०] जिसका जीवन खत्म हो रहा हो। से दूसग। मरणासन्न [को०] । विशेप-यह पांच प्राणों से जिन्हें प्राण, पपान, ध्यान, उदान प्राणपरिग्रह-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] प्राण धारण करना । जन्म लेना। और समान वाहते हैं, बना हुमा मा जाता है । वेदांतसार प्राणपरिवर्तन-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] किसी मृत पुरुष की मात्मा को में पांचों मेंद्रियों को भी प्राणमय योग के अनर्गत माना है। फिसी जीवित पुरुष के शरीर में बुलाना । (मिस्मेरिज्म) । इसी प्राणमय कोश से मनुष्य को सुम्पदु सादि गा चोध होता प्राणपूरक-वि० [सं० प्राण+पूरफ ] जीवन भरनेवाला। उत्साह है । सूक्ष्म प्राण सारे शरीर में फैनकर मन यो सुदुख का भरनेवाला । जीवत । प्राणमय । उ०-उनके वर्णन में ऐसी शान कराते हैं । यही कोश वौद प्रों में वेदना स्कघ माना स्वाभाविकता और प्राणपूरक प्रवीणता रहती है कि पाठक गया है। साँस बद करके उनके किसी उपन्यास फो तबतक पढ़ता प्राणमोक्षण-मणा पुं० [सं०] १ प्राणो का जाना । मृत्यु । २ जाता है जबतक पुस्तक समाप्त न हो जाय ।-प्रेम० और मात्महनन । यात्महत्या (को०) । गोर्की, पृ० १२६ । प्राणयम-सरा पुं० [ स०] प्राणायाम । माणप्यारा-सशा पुं० [हिं० प्राण+प्यारा ] [ मी प्राणप्यारी ] प्राणयात्रा-राज्ञा सी० [२०] १ ग्यास प्रश्वास के प्राने जाने की १ प्रियतम । अत्यत प्रिय पक्ति । उ०-प्रागन की हानि सी दिखान सी लगी है हाय कौन गुन जानि मान कीन्हों क्रिया । सांस का पाना जाना । २ गोजनादि जो जीवन के प्राणप्यारे सों। -पद्माकर (शब्द०)। २ पति । स्वामी । साधनभूत हैं । वे व्यापार जिनने मनुष्य जीवित रहता है। उ०-खानपान पीछू करति सोवति पिछले छोर । प्राणपियारे प्राणयोग-सज्ञा पुं० [सं० प्राण + योग ] • • 'प्राणायाम' | २०- ते प्रथम जगति भावती भोर ।-पद्माकर (शब्द०)। प्रथम प्राणयोग जो भाखा । कारज सिद्धो बाहेर राखा। प्राणप्रतिष्ठा-सचा स्त्री॰ [ स०] १ प्राण धारण कराना । २ हिंदू -कधीर सा०, पृ० ८७७ ! धर्मशास्त्रों के अनुसार किसी नई बनी हुई मूर्ति को मदिर प्राणयोनि'-मशा पुं० [ स०] १ परमेश्य । २ वायु । हया । प्रादि में स्थापित करते समय मत्रों द्वारा उसमें प्राण का प्राणयोनि-सञ्ज्ञा पी० प्राण का मूल । जीवन का मूल 11 प्रारोप करना। प्राणरध-सज्ञा पुं॰ [सं० प्राणरन्ध] १ नासिरा । नाक । २ मुस । विशेष साधारणत जबतक किसी मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा न हो ले तबतक वह मूर्ति पूजा के योग्य नहीं होती और प्राणरोध-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ प्राणायाम । २ जीवन का खतरा • उसकी गणना साधारण धातु, मिट्टी या पत्थर पादि मे होती (को०) । ३ एक नरक (को॰) । है। प्राणप्रतिष्ठा के उपरात ही उस मूर्ति में देवता का प्राना प्राणरोधन-सज्ञा पुं० [सं०] प्राणायाम । माना जाता है। प्राणप्रद-वि० [सं०] १ प्राणदाता। जो प्राण दे । २. प्राण की प्राणवंत-१० [० प्राणयत् ] जीवत । सजीय । 30-जनता के रक्षा करनेवाला । ३ स्वास्थ्यवर्धक । शरीर का स्वास्थ्य मानस को जिसने प्राणवत, उत्साहित मौर मानदित बनाया और वल आदि बढ़ानेवाला । है।-पोद्दार ममि०प्र०, पृ० ६४८ । प्राणप्रदा-सक्षा ली. [ सं०] ऋद्धि नामक पोषधि । प्राणवत्ता-मशा जी० [सं०] सप्राण या जीवित होने का भाव [को०) । प्राणप्रदायक-वि० [सं०] प्राणदाता । प्राणप्रद । प्राणवध-सज्ञा पु० [सं०] हत्या । प्राण घात । जान से मार डालना। प्राणप्रयाण-सचा पुं० [स०] प्राणो का जाना । मृत्यु (को०] । प्राणवल्लभ-सला पु० [सं०] [को० प्राणवल्लभा ] १ वह जो प्राणप्रिय-वि० [स० ] [ वि० सी० प्रायप्रिया ] जो प्राण के समान बहुत प्यारा हो । प्रत्यत प्रिय । २ स्वामी। पति । प्रिय हो। प्रियतम। प्राणवान्-सज्ञा पु० [सं० प्राणवत् ] [ सी० प्राणवती ] वह जिसमें प्राणप्रिय-सज्ञा पुं० १ प्रत्यत प्रिय व्यक्ति । प्राणप्यारा । २ पति । प्राण हो । प्राणी । जीव । प्राणबल्लभ-सशा पुं० [सं० प्रायवक्तभ ] दे० 'प्राणवल्लम'। प्राणवायु-संज्ञा स्त्री० [सं०] १ प्राण । उ०-ग्राण गयु पुनि माइ प्राणभक्ष-वि० [म. ] केवल हवा पर जीवित रहनेवाला । केवल समावे । ताको इत उत पवन चलावै ।-सूर (शब्द०)।२ हवा पीकर रहनेवाला [को०] । जीव । प्राणी।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५१५
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