पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५०५

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प्रहारक ३२१४ प्रहलाद प्रहारक-वि० [सं०] प्रहार करनेवाला । मारनेवाला । प्रहीण'-वि० [सं०] १ परित्यक्त । २ प्रक्षिप्त । फका हुआ (को०)। प्रहारण-यज्ञा पुं० [स०] काम्य दान । मनचाहा दान । ३. समाप्त । नष्ट (को०)। प्रहारना-क्रि० प्र० [सं० प्रहार] १ मारना । प्राघात पहूँचाना । प्रहीण-सा पुं० यिनाश । हानि [को०] । प्राघात करना । उ०-(क) मन नहिं मारा मनकरी, सका यौ०-प्रहीणजीवित-मृत । मरा हुमा । प्रहीयदोप । न पाँच प्रहारि । सोल सांच सरधा नहीं, अजहूँ इद्रि उघारि। प्रहीणदोष-वि० [सं०] निष्पाप । पापरहित (को०] । -कवीर (शब्द०)। (ख) दीन्हों डारि शैल तें भू पर पुनि प्रहुत-सहा पु० [सं०] वलिवैश्वदेव । भूतयज्ञ । भीतर डारयो । डारि अगिन में शस्तन मारयो नाना भाति प्रहुति-नशा स्त्री० [सं०] प्राइति । उत्तम प्राहुति । जल प्रहारयो।—सूर (शब्द०)। २ मारने के लिये चलाना। प्रहृत-वि० [ म०] १ फेंका हुपा। चलाया हुमा । २ पसारा फेंकना। उ०-(क) वृत्रासुर पर वजू प्रहारयो । तिन हुमा । फैलाया हुपा। उठाया हुमा। ३ मारा हुमा। तिरसूल इद्र पर मारयो।-सूर (शब्द०)। (ख) तव दुहुँ प्रताडित । ४ पीटा हुमा । ठोका हुप्रा। गाइन बज प्रहारा। करि तापर पुनि लातन मारा।- प्रहत-सच्चा पु० १ प्रहार । चोट । भाघात । २ एक गोत्रकार पद्माकर (शब्द०)। (ग) प्राजु राम श्याम को प्रहारि वान ऋषि का नाम । मारिहीं । उग्रसेन सीस काटि भूमि बीच डारिहों ।-गोपाल (शब्द०)। प्रहृष्ट-वि० [म०] १ अत्यत प्रसन्न । प्राह लादित । २ उठा हथा । खडा । जैसे, रोम । प्रहारवल्ली-सहा मी० [सं०] मांसरोहिणी लता। यौ० -- प्रदृष्टचित्त, प्रष्टमना = मानदित । प्रफुल्ल । प्रहृष्टमुस = प्रहारात'- वि० [म०] जो प्राघात से घायल हो गया हो। प्रहृष्टवदन । प्रहप्टरूप = जिसे देखने से प्रसन्नता हो। जो प्रहारातः-सचा पुं० घाव से उत्पन्न तीन पीडा [को॰] । प्रसन्न दिखाई दे। प्रहप्टरोमा = जिसके बाल, रोएँ प्रादि प्रहारित-वि[ स० प्रहार ] जिसपर प्रहार हो। प्रताडित । सडे हो। विशेष-मनुष्य के शरीर में मुष्टिप्रहार आदि से प्रहारित प्रहृष्टक-नश पु० [सं० ] कोपा 1 काक [को०) । रथान का माम दुषित होकर शोथ उत्पन्न करता है । प्रहृष्टात्मा-वि० [स० प्रहप्टात्मन् ] प्रसन्नचित्त । आनंदित [को०) । प्रहारी-वि० [स० प्रहारिन्] [वि० सी० प्रहारिणी] १ मारनेवाला। प्रहेणक-सज्ञा पुं॰ [ म०] लपगी । प्रहेलक । प्रहार करनेवाला । २ चलानेवाला । मारनेवाला । छोडने- प्रहेति -सशा पुं० [सं०] रामायण के अनुसार एक राक्षस का नाम । वाला | ३ नष्ट करनेवाला। दूर करनेवाला। भजन करने- यह हेति का भाई था। वाला । जैसे, गर्वप्रहारी। प्रहेलक-सा पुं० [सं०] १ लपसी । प्रहेणक । २. पहेली । प्रहे- प्रहारी-सप्ता पुं० सर्वश्रेष्ठ योद्धा । प्रधान योद्धा [को०] । लिका (को०)। ३ वह मिष्ठान्न जो उत्सवादि में वितरित प्रहारुक-वि० [स०] बलपूर्वक हरण करनेवाला। जबरदस्ती छीनने- किया जाय (को०)। वाला। प्रहेला-मशा सी० [सं०] आनंदपूर्ण क्रीडा । स्वच्छंद विलास [को॰] । प्रहार्य-वि० [स०] १ प्रहार करने योग्य । २ हरण योग्य । प्रहेलि - सच्चा स्त्री० [सं०] ., 'प्रहेलिका' को० । प्रहास-सज्ञा पुं॰ [स०] १ अट्टहास । जोर की हंसी। ठहाका। गहरी प्रहेलिका-सशा सी० [सं०] पहेलो । बुझौवल । हसी। २ नट । ३ शिव । ४ कातिकेय का एक अनुचर । प्रहत्ति-शा सी० [ स० ] प्रीति । ५ उपेक्षा। तिरस्कार (को०)। ६ व्यग्य कथन । कशक्ति प्रहाद-ज्ञा पुं॰ [सं०] १ दे० 'प्रह्लाद'। २ एक नाग का नाम | ७ रगो की चमक (को०)। ८ सोमतीर्थ का एक नाम । दे० 'प्रभास'-२ प्रहास-सज्ञा ॰ [ स०] क्षीण होना । क्षय [को॰] । विशेष-इस अर्थ में यह पाब्द 'प्रभास' का प्राकृत रूप जान प्रह-वि० [सं०] प्रसन्न । घान दित । पडता है। प्रहत्ति-शा खी० [स०] प्रीति । पानद । प्रसन्नता (को०] । प्रहासक-वि०, सज्ञा पुं० [सं०] वह व्यक्ति या वस्तु जो हँसाए को०) । प्रसन्न-वि० [सं०] प्रसन्न । खुश [फो०] । प्रहासी-वि० [स० प्रहासिन्] १ खूब हँसानेवाला। २ खूब हँसने- प्रहलन्नि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] द० 'प्रचि । वाला । ३ चमकीला । धोतित । चमकनेवाला (को०] । प्रहलाद-वा पु० [ म०] १ प्रामोद। मानद । २. एक दैत्य जो राजा हिरण्यकशिपु का पुत्र था। प्रहासो-सबा पु० विदूषफ । मसखरा (को०] । विशेष-यह बचपन ही से बडा भगवद्भक्त था। हिरण्य- प्रहि-सहा पु० [सं०] कूप । कूपा को॰] । कशिपु ने प्रह्लाद को ईश्वर की भक्ति से विचलित प्रहित-वि० [सं०] १ प्रेरित । २ फेंका हुमा । क्षिप्त । ३ फटका करने के लिये अनेक प्रयत्न किए मौर बहुत कष्ट हुप्रा । निष्कासित । ४ उपयुक्त । ठीक (को०) । नियुक्त (को०)। पहुँचाया पर वह विचलित न हुमा। मत में भगवान प्रहित-सहा पुं० १. एक प्रकार का साम । २ सूप । पकी हुई दाल। ने नरसिंह रूप धारण कर प्रह्लाद की रक्षा की और -