पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५०३

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प्रस्फुटित २२१२ प्रहनेमि जाता है कि विरुद्ध संसर्ग से ही किसी अनुकूल भाव का प्रसवी-वि० [सं० प्रस्रविन् ] [ ग्नी प्रस्रविणी ] १ स्रवित होता प्रस्फुटन होता है। -पोद्दार अभि ग्र०, पृ० १०२ । हुप्रा । चूनेवाला । २ दूध देनेवाला । ३ जिसमें अधिक दूध प्रस्फुटित-वि० [सं०] विकसित । प्रस्फुट । हो [को०] प्रस्फुरण-सचा पुं० [स०] १ निकलना । २ प्रकाशित होना। ३ प्रस्राव-सचा पु[म०] १ क्षरण । झरना । वहना । २ वहाव । कपन । फडकना (को०) । ४ स्पष्ट या व्यक्त होना (को॰) । ३ प्रस्रवण। ४. पेशाव । मूत्र । ५ पकते हुए चावल का प्रस्फुरित-वि० [स०] कपित । फड़कता हुपा । हिलता हुआ। उवलकर वहनेवाला माह (को०)। यौ०-प्रस्फुरिताधर = जिसके होठ हिल रहे हो। कुछ कहने के प्रस्न त-वि० [ मे० ] झडा हुमा । गिरा हुमा । लिये जिसका अधर फड़क रहा हो। प्रस्र ति-सहा मी० [सं०] झरना । गिरना [को०] । प्रस्फोटन-सशा पुं० [सं०] १ किसी वस्तु का इस प्रकार एकबारगी प्रस्वन,प्रस्वान-सज्ञा पुं॰ [स०] जोर का शब्द । ऊँचा स्वर । खुलना या फूटना कि उसके भीतर के पदार्थ वेग से बाहर प्रस्वाप-सज्ञा पुं० [सं०] १ वह वस्तु जिसके प्रयोग से निद्रा पाये। निकल पडें । जैसे, ज्वालामुखी का प्रस्फोटन । २ फोड २ सोना। शयन करना (को०) । ३. स्वप्न । सपना (को०)। निकालना। ३ विकसित होना या करना। खिलना या ४ एक अस्स का नाम जिसके प्रयोग से शत्रु को युद्धस्थल में खिलाना । ४ पीटना । ठोकना। ताइन । ५ फटकना निद्रामा जाती है। (अन्न प्रादि)। ६ सूप। प्रस्वापक-वि० [सं०] १ सुलानेवाला। नींद लानेवाला। २ प्रस्मृत-वि० [सं०] विस्मृत । भूला हुआ (को०] । मारक । मृत्यु देनेवाला [को०] । प्रस्मृति-सज्ञा स्त्री॰ [स०] विस्मृत करना । भूल जाना (को० । प्रस्वापन-वज्ञा पुं० [सं० ] दे० 'प्रस्वाप' । प्रस्यद-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० प्रस्यन्द ] टपकना । चूना । वहना। द्रवित प्रस्वापिनी-मचा पुं० [सं०] हरिवंश के अनुसार कृष्णचंद्र को एक होना। स्त्री का नाम । प्रस्यदन-सज्ञा पुं० [सं० प्रस्य दन ] दे० 'प्रस्यद' (फो०] । प्रस्वार-सहा पु० [सं०] मोंकार । ॐ। प्रस्यदी-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रस्यन्दिन् ] वर्षा की झड़ी। वर्षा की प्रस्विन्न-वि० [सं०] जिसे पसीना आ गया हो । प्रस्वेदयुक्त [को॰] । फुहार [को०)। प्रस्वीकरण-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० (उप०) प्र + स्वीकरण ] स्वीकारना । प्रस्रस -सञ्ज्ञा पुं० [सं०] (गर्भ का) पतन | भ्र । गिरना। स्वीकृति देना। प्रस्र सन-सञ्चा पु० [सं०] द्रवणशील वस्तु । द्रावक वस्तु [को०] । प्रस्वेद-सचा पुं० [स०] पसीना । प्रस्र सिनी-सच्चा स्त्री० [सं० ] एक प्रकार का योनिरोग जिसमें प्रस्वेदित'- वि० [म०] १. जिसे पसीना पा गया हो । २. प्रस्वेद- प्रसग के समय रगड़ से योनि वाहर निकल माती है और गर्भ युक्त । २. पसीना लानेवाला । गर्म [को॰] । नहीं ठहरता । प्रस्वेदित-वि० [सं०] पसीने से तर । प्रस्वेद से पाद्रं [को०] । प्रस्र'सी-सज्ञा पुं० [सं० प्रनसिन् ] [खी० प्रस्रसिनी] १ पतनशील | गिरनेवाला। २ मकाल ही में गिरनेवाला (जैसे, गर्म)। प्रहंतव्य-वि० [सं० प्रहन्तव्य] वध करने योग्य । वष्य (को०) । प्रस्रव-सज्ञा पुं० [सं०] चूना । टपकना । २ प्रवाह । धारा । ३ प्रह-सचा सी० [स०प्रम ] १ प्रमा। चमक | दीप्ति । उ.- स्तनो से बहता हुपा दूध । ४ मूत्र । ५ पकते हुए चावल का पहु विन पुकार पह उप्परिग । सु प्रह पहक फट्टी फहन ।- उवलकर वहनेवाला मांड । ६ छलकते वा गिरते हुए पृ० रा०, ६१।१६५८ । २. पौ। उ०-प्रह फूटी दिस पुंडरी, भासू (को०] । हणहणिया हय थट्ट ।-ढोला०, दू०६०२ । प्रस्रवण-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ जल आदि (द्रव पदार्थों ) का टपक प्रहणन-सशा पुं० [ स०] मारना। वध । हनन [को०] । टपककर या गिर गिरकर वहना। २ किसी स्थान से निकल प्रहणेमि-सधा पुं० [सं०] प्रहनेमि । चद्रमा । निकलकर वहता हुमा पानी। सोता। ३ किसी स्थान से प्रहत'-वि० [सं०] १. हत । निहत । मारा हुमा । २ प्रताडित । गिरकर बहता हुआ पानी। प्रपात । झरना । निझर । ४ पीटा हुआ। ३. फेलाया हुमा । प्रसारित । उ०-बहता है पसीना। ५ स्तनो से टपकता हुमा दूष। ६. माल्यवान् साथ गत गौरव का दीर्घकाल प्रहत तरग कर ललित तरल पर्वत । ७ पेशाव करना (को०)। ८ झरने के जल से बना ताल |-अनामिका, पृ० १८६ । ४. माघातित । (नगादा हुमा कुड (को०)। पादि) जिसपर पघात किया गया हो (को०)। ५ पराजित प्रस्रवणी-सज्ञा स्त्री॰ [सं० ] वैद्यक के अनुसार वीस प्रकार की हारा हुमा (को०)। ६. शिक्षित । पठित (को०)। योनियों में एक । प्रहत-सञ्ज्ञा पुं०१ पासे मादि का फेंकना । २. वार । ठोकर । विशेष—इसे दुष्प्रजाविनी भी कहते हैं। इसमें से पानी सा प्रहार। निकलता रहता है। इस योनिवाली स्त्री को सतान होने में प्रहति-सक्षा सी० [सं०] धक्का । माघात [को०] । वडा कष्ट होता है। प्रहनेमि-सशा पुं० [सं०] धद्रमा ।