पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४९१

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प्रवृत्तिज्ञ १२०० प्रवेष्टा ६ प्रर्वतन । फाम का चलना । ७. सासारिक विषयों का ग्रहण । ५ नाटक में किसी पात्र का रगमच पर प्रवेश (को०)। ६. संसार के कामो में लगाव । दुनिया के घधे मे लीन होना । उद्देश्योन्मुखता (को०) । ७ किसी लग्न या राशि में सूर्य का निवृत्ति का उलटा । ८ उत्पत्ति। प्रारभ । ६ शब्दार्थ गमन (को०) । ८ माना। उपस्थित होना जैसे रात । (को०)। बोधक शक्ति (को०)। १० भाग्य । किस्मत । (को०)। १० व्यवहार । उपयोग (को०)। ११ पद्घति । ढग (को०)। ११. उज्जयिनी का एक नाम (को०) १२ ( गणित में) १२. पाय | पागम (को०)। गुणक । गुणक अ क (को०) । १३. हाथी का मद । प्रवेशक-सा पुं० [सं०] १ प्रवेश करनेवाला । २ नाटक के यौ०-प्रवृत्तिज्ञ । प्रवृत्तिनिमित्त = प्रवृत्ति का कारण । किसी अभिनय में यह स्थल जहाँ कोई पान दो अंकों के बीच की विशिष्ट अर्थ में शब्दप्रयोग का कारण । प्रवृत्तिपराङ्मुख = घटना का (जो दिखाई न गई हो) परिचय अपने वार्तालाप जिसकी समाचार देने में रुचि न हो । प्रवृत्तिपुरुप = गुप्तचर । द्वारा देता है। प्रवृत्तिमार्ग = भौतिक जीवन के कार्यव्यापारो में भासक्ति । प्रवेशद्वार-ज्ञा पुं० [सं०] प्रवेश करने का मार्ग [को०] 1 प्रवृशिलेख = मार्गदर्शन करानेवाला । पालेख । प्रवृत्तिविज्ञान । प्रवेशन-सज्ञा पुं० [स०] [वि० प्रविष्ट, प्रवेशनीय, प्रवेशित, प्रवृत्तिज्ञ-सञ्ज्ञा पुं० [स०] जासूस । खुफिया [को०) । प्रवेश्य ] १. भीतर जाना । घुपना । पैठना । २. सिंहद्वार । प्रवृत्तिविज्ञान-सञ्ज्ञा पुं० [स०] वाह्य पदार्थों से प्राप्त ज्ञान | ३ ले जाना । प्रवेश कराना । पहुंचाना (को०)। ४. स्त्री- प्रसग । रतिक्रिया। संभोग (यो०) । ( बौद्ध दर्शन )। प्रवृद्ध'-वि० [ स०] १ वृद्धियुक्त । खुब बढ़ा हुमा । २ प्रौढ़ । खूब प्रवेशनिषेध-सहा पुं० [ स० ] किसी के प्राने वा प्रवेश को निषिद्घ ठहराने का प्रादेश। पक्का । ३ विस्तृत । खूप फैला हुमा। विशाल । ४ उम्र । घमडी । गर्विष्ठ (को०)। प्रवेशनाए-क्रि० प्र०, क्रि० स० [ स० प्रवेशन ] दे० 'प्रवेसना'। प्रवृद्ध-सशा पुं० १ तलवार के ३२ हाथो मे से एक जिसे प्रसृत भी प्रवेशपत्र-सशा पुं० [ प्रवेश+पत्र] १ वह प्रमाणपत्र जिसके प्राधार पर सबद्घ स्थान या कार्यक्रम में भाग लिया जा कहते हैं। इनमे तलवार की नोक से शत्रु का शरीर तू भर सकता है । टिकट । २ वह प्रमाणपत्र जिसके आधार पर जाता है । २. पयोध्या के राजा रघु का एक पुत्र जो गुरु के विदेशयात्रा की जाती है और जो विदेश में प्रवेश फरते समय शाप से १२ वर्ष के लिये राक्षस हो गया था। मधिकारियो को दिखाया जाता है। प्रवेक-वि० [सं० ] उत्तम । प्रधान । प्रवेशशुल्क-समा पुं० [सं०] वह द्रव्य जो किसी स्थान या सस्या प्रवेग-सशा पुं० [सं० ] प्रकृष्ट वेग । तीव्र गति [को०] । में प्रवेश का पधिकार पाने के लिये दिया जाय । प्रवेट-सज्ञा पुं० [सं०] यव । जो । प्रवेशिका-सचा स्त्री० [१०] १ वह पत्र, चिट्ठी या चिह्न जिसे प्रवेण-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का बकरा। (वाल्मोकि दिखाकर कही प्रवेश करने पाएँ। २ प्रवेश के लिये दिया रामायण )। जानेवाला धन । दाखिला । प्रवेणी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ वेणी । केशविन्यास । २ हाथी की प्रवेशित-वि० [सं०] १ प्रवेश कराया हुमा । घुसाया या पैठाया पीठ पर का रगबिरगा झूल । ३. एक नदी। ( महा हुमा । २. पहुँचाया हुमा [को०] । भारत )। ४. धारा का प्रवाह । जलादि का बहाव (को॰) । प्रवेश्य'-संगा पुं० [स०] कौटिल्य अर्थशास्त्रानुसार देश के भीतर प्रवेता-सबा पुं० [सं० प्रवेतृ ] सारथी । रथवान । मानेवाला मान । मायात । प्रवेदन-सज्ञा पुं॰ [सं०] ज्ञात कराना, व्यक्त या जाहिर करना (को०] । प्रवेश्य'-वि० [सं०] प्रवेश के योग्य । जिसमें प्रवेश हो सके। २ जिसका प्रवेश फराण जाय । ३ जो बजाया जाय, जैसे वाद्य प्रवेध-सञ्ज्ञा पुं० [०] १ वाण का छोडा जाना । २ एक विशेष प्रादि को०] । मफार की माप [को०)। प्रवेश्यशुल्फ-सशा पुं० [सं०] देश के भीतर मानेवाले माल का प्रवेप, प्रवेपक, प्रवेपथु, प्रवेपन-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] कंपन | कापना । महसूल । आयात कर । हिलना सोलना [को०] । प्रवेष-सज्ञा पुं० [सं० परिवेश ] परिधि । मडल । घेरा। प्रवेरित-वि० [सं०] इधर उधर फेंका हुआ। इतस्तत क्षिप्त या प्रवेष्ट-सचा पुं० [सं०] १ पाहु । २ पाहु का निचला भाग । पहुँचा। विकीरणं [को० । ३ हाथी के दांत पर का मास । हाथी का मसूडा । ४ हाथी प्रवेल-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] पीली मूग। की पीठ का मांसल भाग जिसपर सवारी होती है। ५. प्रवेश-सच्चा पुं० [सं०] १. पतनिवेश । भीतर जाना । घुसना । हाथी की झूल (को०)। पैठना । दखल । २ गति । पहुँच । रसाई । जैसे,-वहाँ तक प्रवेष्टक-सच्चा पुं० [सं०] दाहिना हाथ । उनका प्रवेश नहीं है। ३. किसी विषय की जानकारी। प्रवेष्टा-सज्ञा पुं॰ [सं० प्रवेष्टा ] १ प्रवेश करनेवाला । २ प्रवेश जैसे-यायशास्त्र में उनका ऐसा प्रवेश नहीं है। ४ द्वार । करानेवाला (को०)। .