प्रवर्तयिता ३१६७ प्रवात शीलता। उत्तेजना। प्रेरणा । २ किसी काम में लगाने या नियुक्त प्रवहमान-वि० [स०] [वि॰ स्त्री० प्रवहमाना ] प्रवाहयुक्त । करने की क्रिया । नियोजन । वहता हुषा । प्रवाहित । उ०-(क) प्रवहमान थे निम्न देश प्रवर्तयिता-वि० [स० प्रवर्तयितृ ] प्रवर्तन करनेवाला [को०] । में, शीतल शत शत निझर ऐसे। -कामायनी, पृ० २५८ । प्रवर्तित-वि० [सं०] १ ठाना हुआ। प्रारब्ध । २ चलाया (ख) प्रवहमान पार्वत्य नदियो का मार्ग भिन्न किया था। -प्रा० भा०प०, पृ०५८ । हुमा। ३ निकाला हुा । ४ उत्पन्न । पैदा । ईजाद किया हुआ। ५ उभारा हुमा । उत्तजित । प्रेरित । ६ ज्वलित । प्रवहमानता-सञ्ज्ञा स्त्री० [स] प्रवाहित होने का भाव । प्रवाह- जलाया हुआ। प्रज्वलित (को०)। ७ सूचित (को०)। ८ शुद्ध किया हुमा । पवित्र (को॰) । प्रवह्नि, प्रवह्निका,-सज्ञा स्त्री० [सं०] पहेली। प्रवर्ती–वि० [ स० पर+वर्तिन् ] वाद का । परवर्ती। उ०-इतना प्रवह्नी, प्रवह्नीका-सहा स्त्री॰ [स०] प्रहेलिका [को०] । कहने के बाद मैं इस अध्याय के प्रवर्ती भाग पर आता हूँ। प्राण +-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रमाण ] इयत्ता । सीमा। अवधि । दे० शुक्ल पभि० प्र०, पृ०७२ । 'प्रमाण' । उ०-राजा सोभत दल प्रवाणी, यू सिधा सोभंत प्रवर्ती-वि० [स० प्रवर्तिन् ] प्रवर्तन करनेवाला [को०] । सुषि बुधि की वाणी।-गोरख०, पृ० २४ । प्रवर्द्धक-वि० [स०] वढानेवाला। वृद्धिकारक । उ०-प्रबल प्रवान -सञ्ज्ञा पुं० [ स० प्रमाण ] दे० 'प्रमाण-१' उ०-भक्ति भाव सदैव ही प्रतिपक्ष का। है प्रवर्द्धक वीर जन के वक्ष योग अब सुनहु सयाना। बुद्धि प्रान जु करौं वखाना । का।-शकु०, पृ०४३ । -सु दर० ग्र, भा०१. पृ०६५। प्रवर्द्धन-सज्ञा पुं॰ [सं०] विवद्धन । बढ़ती । वृद्धि । प्रवॉनना-क्रि० स० [स० प्रमाणन, पुहिं• प्रमानना ] दे० प्रवर्ष-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] घनघोर वर्षा । जोर की वर्षा (को॰] । 'प्रमानना'। उ०-प्रज्ञाने अपेक्षा ज्ञान वध की अपेक्षा प्रवर्षण-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. वर्षा । वारिश । उ०—जिस प्रवर्षण मोक्ष, वैत की अपेक्षा सु तो अद्वैत प्रवानिए।-सु दर०, 4, भूमि उर्वर, जिस तपन मरु धूम धूसर, जिस पवन लहरा भा०२, पृ० ६२५। दिगतर, ज्ञान तेरा ही वहाँ है।-पाराधना, पृ० ३५ । २. प्रवाक-सञ्ज्ञा पु० [सं०] घोषणा करनेवाला। बरसात की पहली वर्षा (को०)। ३ किष्किघा के समीप प्रधाच-वि० [सं०] १ बहुत बोलनेवाला । इधर उधर की का एक पर्वत जिसपर श्रीराम और लक्ष्मण ने निवास हांकनेवाला । २ शेखी बघारनेवाला । ३ युक्तिपटु । अच्छी किया था। बहस करनेवाला। प्रवर्षी-वि० [सं० प्रवर्पिन् ] [ वि० सी० प्रवपिणी] १ वृष्टि प्रवाचक-वि० [स०] १. अच्छा वक्ता। वाग्मी। वाक्पटु । २. करनेवाला। वर्षा करनेवाला। २ वौछार करनेवाला। जैसे अर्थव्यजक । अर्थवाचक । बाणों की [को०] । प्रवाचन-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ अच्छी तरह कहना । घोषणा । २ प्रवह-वि० [ स०] प्रधान । श्रेष्ठ । नाम । अभिधान । उपाधि (को०) । प्रवलाकी-पञ्चा पुं० [सं० प्रवलाकिन् ] १. मोर। मयूर । २ प्रवाच्य-वि० [स०] १ अच्छी तरह कहने योग्य । २ निंदनीय । साप । सर्प । प्रवाच्य-सञ्ज्ञा पुं० साहित्यिक कृति या रचना [को०] । प्रवसथ-सज्ञा पुं॰ [स०] १ प्रस्थान । २ प्रवास । प्रवाड़ा-शा पुं० [सं० प्रवाद, हिं० पँवाहा, पवाड़ा, पवारा ] दे० प्रवसन-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ विदेश में जाना या रहना। बाहर 'पवाडा'। उ०—(क) पढे सु कवि जो वश प्रवाडा। हुमै जाना । २. मृत्यु (को०)। वतीत पाव दीहाडा।-रा० रू०, पृ० १२ । (ख) दीसै प्रवह-मचा पुं० [सं०] १ बूय बहाव । २ कुड जिसमें नाली नाहर देखियाँ सह प्रवाडा साच ।-बाकी० प्र०, भा०१, द्वारा जल जाय । ३ सात वायुप्रों में से एक वायु । पृ० २६। विशेष-यह वायु भावह वायु के ऊपर है और इसी के द्वारा प्रवाण---मक्षा पुं० [ स०] वस्त्र का प्रचल बनाना या सज्जित ज्योतिष्क पिंड आकाश में स्थित हैं। करना [को०] । ४. वायु । पवन (को०) । ५ अग्नि को सात जिह्वामों में से एक । प्रवाणि, प्रवाणी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] जुलाहों की ढरकी या भरनी [को०] । ६ घर, नगर प्रादि से बाहर निकलना। प्रेवात-सहा पु० [ स०] १ हवा का झोंका। तेज हवा । उ०- प्रवहण-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ ले जाना। २ कन्या को व्याह पर अत को प्रकाल ही के मेघ तो थे क्षण मे प्रवात से देना। ३ छोटा परदेदार रथ । बहलो। ४ टोली । ५ वियुर गए आकाश खुल गया ।-श्यामा०, पृ० ७। २ नाव । पोत। स्वच्छ या ताजा वायु (को०)। ३ वह स्थान जहाँ खुब प्रवहणोनिकाय-सञ्ज्ञा पु० [स०] कामगर लोगो का सस्थान [को॰] । हवा हो । ४ ढाल । उतार । प्रवरण। ६-६० 1
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४८८
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