प्रत्याधान प्रत्युच्चारण (को०) । ६. निवारण (को०)। ७ शर्मिदा करने, हेय वनाने प्रत्याश्वासन-सचा पुं० [सं० ] ढाढम । धैर्य । सात्वना [को०] । या हटानेवाला (को०)। प्रत्याश्वस्त-वि० [सं०] पाश्वासन प्राप्त । प्राश्वस्त । जिसे गात्वना , प्रत्याधान-सञ्ज्ञा पु० पु० [सं०] वस्तुमो को जमा रखने की जगह । दी गई हो [को०] । वह स्थान जहाँ वस्तुएँ जमा की जाय । प्रागार [को॰] । प्रत्यासकलित-सग पु० [सं० प्रत्यासहलित ] पक्ष और विपक्ष की प्रत्याध्मान-सज्ञा पुं० [ म० ] एक प्रकार का वात रोग जिसमे पेट बातो को मिलाकर विचार करना [को०] । फूलता है और नाभि के ऊपर फुछ पीडा होती है । २० प्रत्यासग-संज्ञा पुं० [सं० प्रत्यास] सवय । सयोग । लगाव (को०] । और वही रोग प्रामाशय में उत्पन्न होय तो उसको प्रत्याध्यान प्रत्यासत्ति-पग पी० [म.] निकटता। गामीप्य ! नजदीकी । कहते हैं।-माधव०, पृ० १४५ । २६० 'प्रासत्ति' । ३ निरुट सवध (को०)। ४ प्रसन्नता । प्रत्यानयन-सज्ञा पुं० [सं०] वापस लाना । फिर से प्राप्त उत्फुल्लता (को०)। फरना [को०] । प्रत्यासन्न-० [सं०] पास पाया हुमा । निकट पहुँचा हुया । प्रत्यानीत-वि० [सं०] वापस लाया हुपा । पुन' प्राप्त किो०)। यो०-प्रत्यासन्नमरण । प्रत्यासन्नमृत्यु = जिसकी मृत्यु निकट प्रत्यापत्ति-संज्ञा स्त्री॰ [ म०] १ लौटना। वापसी । वापस होना। हो । जो मरणा सन्न हो। २ विरक्ति होना । वैराग्य [को०] । प्रत्यासर-पग पुं० [१०] १ सेना का पिछला भाग । २ एक के प्रत्याम्नान'-वि० [सं०] प्रतिनिधित्व करनेवाला । प्रतिनिधि [को०] । वाद दूसरा व्यूह के क्रम से स योजित सेना । वह सैन्यस्थिति प्रत्याम्नाय-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ निगमन । अनुमान वाक्य का जिसमें एक के बाद दूसरा व्यूह हो (को०)। पांचा अवयव । २ प्रतिनिधि [को०] । प्रत्यासार-गडा पुं० [सं०] दे० 'प्रत्यासर' । प्रत्याय-सहा पुं० [ स० ] राजस्व । कर । प्रत्यास्वर-सशा पुं० [स०] सूर्य जो डूबने के बाद पुन उगा हो। प्रत्यायक-वि० [ स०] १ विश्वास देनेवाला। विश्वासदायक । प्रत्यास्वर'-वि० पुन लोटनेवाला । जैरो, सूर्य । २ पुन दोप्त । २ व्याख्या करनेवाला। पुन. द्योतित होनेवाला (फो०)। प्रत्यायन-सज्ञा पु० [ मं० ] १ (व को) घर ले माना । विवाह प्रत्याहत-वि० [म०] प्रतिरोधित । निवारित । हटाया हुपा (को०] । करना । २ (सूर्य का) अस्त होना। ३ विश्वास पैदा प्रत्याहरण-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ इद्रियनिग्रह । प्रत्याहार । २ करना । ४ व्याख्या करना [को०] । हटाना । पीछे करना । ३. निग्रहण (को०)। प्रत्यायित-सझा पु० [म०] वह दूत या प्रतिनिधि जो पूर्णत विश्वस्त प्रत्याहार-संज्ञा पुं॰ [सं०] १. योग के भाठ अगो में से एक मंग हो [को०] । जिसमें इद्रियों को उनके विषयो से हटाकर चित्त का प्रत्यारंभ-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ पुन शुरू करना । पुनरारम । अनुसरण किया जाता है । जैसे, यदि प्राखें किसी सुदर २ निरोध । निषेध । निवारण [को॰] । रूप पर बुरे भाव से जा पहें तो उन्हे यही से हटाकर अपने चित्त को शांत फरना । इसका अभ्यास बहुत ही कठिन माना प्रत्याद्र-वि० [सं० ] स्वच्छ । मूतन । ताजा [को०] । जाता है। इद्रियनिग्रह | उ०-प्रत्याहार घारना ध्यान, प्रत्यालोढ़-सशा पुं० [ मं० प्रत्यालीढ ] धनुष चलानेवालो के ले समाघि लावै ठिकठौना ।-मुदर प्र०, भा २, पृ०८६२ । बैठने का एक प्रकार जिसमें वे धनुष चलाने के समय वायाँ २ प्रलय । सृष्टि का विनाश (को०)। ३ हटाना । पीछे पैर मागे वढा देते हैं और दाहिना पैर पीछे खीच लेते हैं । करना (को०)। ४ संक्षेप । सारसंग्रह (को०)। ५ निग्रह प्रत्यालीढ-वि० खाया हुप्रा । मुक्त । करना । निग्रहण (को०)। ६ व्याकरण में विभिन्न वर्ण- प्रत्यावर्तन-सद्या पुं० [सं०] लौट प्राना। वापस पाना । उ० समूह को अभीप्सित रूप से सक्षेप मे ग्रहण करने को पद्धति गत प्रत्यागत में और प्रत्यावर्तन मे दूर वे चले गए।-लहर, या स फेत । जैसे, 'पण' सेम इ उ पोर मच् से समग्र स्वर वर्ण-म, इ, उ, बट, लु, ए मोर प्रो, इत्यादि । प्रत्याशा-सशा खी० [सं०] पाशा । उम्मेद । भरोसा । प्रत्याहूत-पि० [सं०] वापस बुलाया हुमा (को०] | प्रत्याशी–वि० [सं० प्रत्याशिन् ] १ आशा करनेवाला । इच्छुक । प्रत्याहृत-० [स०] १. वापस लिया हुमा । फिर से प्राप्त किया चाहनेवाला । उ०-स्त्री का हृदय था, एक दुलार का हुमा । २ निगृहीत । जिसका निग्रह किया गया हो । ३ प्रत्याशी, उसमें कोई मलिनता न थी।-तितली, पृ० ५३ । हटाया या पीछे खींचा हुआ [को०] । २ (चुनाव में) उम्मीदवार । प्रत्युक्त-वि० [सं०] उत्तरित । जिसका जवाब दिया गया हो। प्रत्याश्रय-सज्ञा पु० [सं०] वह स्थान जहाँ आश्रय लिया जाय । उत्तर मे कहा हुमा (को०] 1 पनाह लेने की जगह । प्रत्युक्ति-नचा स्त्री० [सं०] जवाव । उत्तर । प्रत्याश्वास-सझा पुं० [ सं०] पुन प्रवास लना। फिर से सांस प्रत्युच्चार-सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'प्रत्युच्चारण' । लेना [को॰] । प्रत्युच्चारण-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] पुनरुक्ति । पुन कधन [को॰] । - पृ०७३।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४६१
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