पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४५४

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प्रतिहारण प्रतीक्षित विशेष शुक्रनीति में लिखा है कि जो मनुष्य अस्त्र शस्त्र चलाने पत्र के प्रकाशित होने के साथ होता है। यह उन्नीसवीं में कुशल हो, दृढाग हो, आलसी न हो और जो नम्र होकर शताब्दी के स्यूल काव्यसिद्घातो के विरोध में उत्पन्न हुआ दूसरो को बुला सके वह इस पद के योग्य होता है। था । प्रतीकवादियों का सिद्धांत था कि प्रतीकों के माध्यम से वे अधिक संवेद्य काव्य का निर्माण कर सकते हैं। प्रत' प्रतिहारण-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ द्वार । दरवाजा । २ द्वार यादि में प्रवेश करने की प्राशा। यह काव्य स्थूल घटनाओं को गोपन प्रतीतियो के रूप में व्यक्त करता है। प्रतीकवाद आधुनिक युग का प्रमुख साहित्यिक प्रतिहारतर-सज्ञा पुं० [स०] पुराणानुसार एक प्रकार का प्रस्त्र पादोलन है। जिसका उपयोग दूसरो के चलाए हुए अस्त्रो को निष्फल करने के लिये होता है। प्रतीकार-सञ्ज्ञा पुं० सं० [सं०] १ वह काम जो किसी के किए प्रतिहारत्व- सज्ञा पु० [स०] योढ़ीदारी । प्रतिहार या द्वारपाल हुए अपकार का बदला चुकाने अथवा उसे निष्फल करने के लिये किया जाय । प्रतिकार । बदला। उ०-अगर का काम या पद। जयनाथ होते तो उन्हे कुछ न कुछ प्रतीकार अवश्य करना प्रतिहारी-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० प्रतिहारिन् ] [ वि० सी० प्रतिहारिणी ] पडता।-रति०, पृ० १३ । २ चिकित्सा। इलाज । दे० द्वारपाल । डेवढीदार । द्वाररक्षक । उ०-पाकर 'लघु कुमार 'प्रतिकार'। पाते हैं' बोली नत हो प्रतिहारी। 'प्रावै' कहा भरत ने, प्रतीकारसधिसज्ञा स्त्री॰ [ स० प्रतीकारसन्धि ] कामदवीय नीति तत्क्षण पाए वे धन्वाधारी।-साकेत पृ० ३७२ । के अनुसार वह सघि जो उपकार के बदले में उपकार करने प्रतिहारी-सज्ञा स्त्री० [सं०] द्वार की रक्षा करनेवाली महिला । की गतं करके की बाय, जैसी राम और सुग्रीव के बीच द्वारपालिका बो० । हुई थी। प्रतिहार्य-सज्ञा पुं० [सं०] इद्रजाल । जादूगरी । बाजीगरी [को०)। प्रतीकार्य-वि० [सं०] जो प्रतीकार के योग्य हो। निष्फल करने प्रतिहार्यर-वि. जिसका प्रतिहार या निवारण किया जाय। जो के योग्य । बदला चुकाने या व्यथ करने के लायक । पीछे हटाया जाय [को०] । प्रतीकाश-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] दे० 'प्रतिकाश' [को०] । प्रतिहास-सशा पुं० [ स०] १. कनेर। २. सफेद कनेर । ३. हंसी प्रतीकोपासना-सचा स्त्री० [सं०] १ किसी विशेष पदार्थ में के बदले में हंसी (को०)। (जैसे, सूर्य, ईश्वर के नाम, मन इत्यादि ) व्यापक ब्रह्म प्रतिहिंसा-तज्ञा स्त्री० [सं०] [वि॰ प्रतिहिंसित ] १. यह हिंसा जो की भावना करके उसे पूजना पौर यह मानना कि हम किसी हिंसा का बदला चुकाने के लिये की जाय । वैर निका- उसी ब्रह्म की पूजा करते हैं। २. किसी के प्रतीक की लना । २ वैर चुकाना । बदला लेना। उपासना । प्रतिमादि का पूजन । प्रतिहिंसित-संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'प्रतिहिंसा' [को०] । प्रतीक्ष-सज्ञा पु० [ स०] दे॰ 'प्रतीक्षक' [को०] । प्रतिहित-वि० [म० ] रखा हुआ । स्थापित [को०] । प्रसीक्षक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ वह जो प्रतीक्षा करता हो । आसरा प्रतींधक-सज्ञा पुं॰ [सं० प्रतीन्धक] विदेह नाम का एक देश [को०] । देखनेवाला। २. वह जो पूजा अर्चन करता हो। पूजा प्रतीक'-वि० [स०] १ प्रतिकूल । विरुद्ध । २. जो नीचे से ऊपर करनेवाला । पूजक । की ओर गया हो । उलटा । विलोम । प्रतीक्षण-सहा पुं० [म.] १ प्रतीक्षा करना। पासरा देखना। प्रतीक-सज्ञा पुं० [सं०] १ पता। चिह्न। निशान । २ किसी २. कृपादृष्टि। मेहरबानी की नजर । ३ अपेक्षा । पाशा । पद्य या गद्य के पादि या प त के कुछ शब्द लिखकर या उम्मीद (को०)। ४ पादर । संमान । इज्जत (को०)। ५ पढकर उस पूरे वाक्य का पता बतलाना । ३ अग। अवयव । प्रतिज्ञा, वचन प्रादि पूर्ण करना (को०)। ६ देखना।। ४ मुख । मुह । ५ प्राकृति । रूप । सूरत । ६ प्रतिरूप । देना (को०)। स्थानापन्न वस्तु । वह वस्तु जिसमें किसी दूसरी वस्तु का प्रतीक्षा-सज्ञा स्त्री० [०] १ किसी व्यक्ति अथवा काल के पारोप किया गया हो। ७ प्रतिमा। मूर्ति । ८ वसु के पुत्र या किसी घटना के होने के प्रासरे मे रहना । किसी कार्य और प्रोधवान के पिता का नाम I ( मरु के पुत्र का नाम । होने या किसी के पाने की प्राशा मे रहना । पासरा । इत १० परवल । ११ प्रश। भाग । हिस्सा (को०)। १२. जार । प्रत्याशा । जैसे,—(क) मैं एक घटे से प्रापकी किसी वस्तु का सामने का हिस्सा (को०) । १३ लालटेन । कर रहा हूँ। (ख) वे इस मास की समाप्ति की प्रतीक्षा क दीपक (को०)। १४. प्रतिलिपि । प्रतिलेख (को०)। रहे हैं । उ०—हूब वची लक्ष्मी पानी में, सती प्राग मे पैठ प्रतीकवाद-सज्ञा पु० [ म० प्रतीक + वाद ] प्राधुनिक काव्य का जिए उमिला करे प्रतीक्षा, सहे सभी घर बैठ । एक प्रांदोलन या सिद्धात, जिसमें काव्यरचना का मुख्य पृ० ३१८।२ किसी का भरण पोपण करना । प्रतिपालन प्राधार प्रतीक अनुध्वनिमूलक स्वर आदि होते हैं । ३ पूजा। ४ समान (को०)। ५ ध्यान देना । ful विशेष-प्रतीकवाद फा पारम सन् १९८६ में फास मे कवि करना (को॰) । जीन मोरेपास के प्रतीकवाद (सिंबोलिज्म) विषयक घोषणा- प्रतीक्षित-वि० [स०] १. जिसकी प्रतीक्षा की जाय । जस- न .