प्रतिष्ठापन ११६१ प्रतिसारण प्रतिष्ठापन-सज्ञा पुं॰ [म.] १. देवता मादि की मूर्ति स्थापित प्रतिसंधि-मज्ञा स्त्री० [सं० प्रतिमन्धि ] १. वियोग । विछोह । २ करने का काम । २. स्थापित करना । प्रतिष्ठित करना। अनुसंधान । हूँढ़ना। ३. पुनर्जन्म (को०)। ४ परिसमाप्ति प्रतिष्ठापना--सहा स्त्री० [स० प्रतिष्ठापन ] स्थापित करना। नींव (को०) । ५ दो युगों का सक्राति काल (को०)। डालना । स्थापना । उ०-पुराने लाग 'सामान्य' की प्रतिष्ठा- प्रतिसंधित-वि० [सं० प्रतिसन्धित ] दृढीकृत । स्थिरीकृत (को०] । पना उस विरोध के विरुद्ध कर गए थे जो मनुष्य की सर्वभूत प्रतिसधेय-वि० [प्रतिसन्धेय ] १. प्रतिसघि के योग्य । अनुमधेय । , सामान्यता को नहीं मानता था।-काव्यशास्त्र, पृ० १४ । २.प्रतीकार्य। प्रतिष्ठापार्यता-वि० सज्ञा पुं० [स० प्रतिष्ठापयितु] प्रतिष्ठापन करने प्रतिसंलयन-मज्ञा पु० [सं०] पूर्णत विरक्ति या एकानवास वाला सस्थापक [को०] । करना [को०] । प्रतिष्ठापित-वि० [स०] जिसका प्रतिष्ठापन किया गया हो को०] । प्रतिसलीन-पज्ञा पुं॰ [ स० ] » 'प्रतिसलयन [को०) । प्रतिष्ठावान्-वि० [सं० प्रतिष्ठावत् ] जिसकी प्रतिष्ठा हो। प्रतिसविद्-मज्ञा स्त्री॰ [ म० ] किसी विषय का पूर्ण ज्ञान [को०] । इज्जतदार। प्रतिसंवेदक-वि० [सं०] किसी विषय का सागोपाग ज्ञान कराने- प्रतिष्ठिका-सहा स्त्री० [स०] पाधार । नीव । मूल [को०] । वाला । विषय की पूर्ण जानकारी देनेवाला [को०) । प्रतिष्ठित'—वि० [सं०] १. जिसकी प्रतिष्ठा हुई हो। पादर- प्रतिसंवेदन-राशा पुं० [ स० ] अनुभव । परीक्षण [को०] । प्राप्त । इज्जतदार । जैसे-(क) हिंदी का प्रतिष्ठित पत्र । प्रतिसस्तर-सञ्चा पुं० [सं०] मैत्रीपूर्ण उपचार या पादर समान [को०] । (ख ) चार प्रतिष्ठित सज्जन । २. जिसकी प्रतिष्ठा की गई हो। जो स्थापित किया गया हो । जैसे,—वहां शिव जी वी प्रतिसहार-मज्ञा पुं० [सं०] १ घापस लेना। २ कम करना । सक्षिप्त करना। ३ त्यागना। ४. समेटना । मिलाना । एक मूर्ति प्रतिष्ठित की गई है । ३ पूर्ण। परिसमाप्त (को॰) । समर्पण [को०] । ४ पदाभिषिक्त । पदासीन । ५ निश्चित (को०)। ६ प्राप्त । पाया हुधा (यो०) । ७. जीवन में स्थापित । विवाहित (को०)। प्रतिसहृत्त-वि० [सं०] १ वापस लिया हुमा । २. कम या सक्षिप्त प्रतिष्ठित--सशा पुं० १ विष्णु । २. कच्छप । कूर्म (को॰) । किया हुमा । परीक्षित [को०] । प्रतिष्ठिति-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] स्थापित करने या होने का भाव या प्रतिसम-वि० [सं०] १ जो देखने में समान न हो। २ गुकाबले कार्य । प्रतिष्ठान । फा । वरावरीवाला (को॰) । प्रतिसकाश-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० प्रतिसद्धाश] सादृश्य । तुल्यता [को॰] । प्रतिसर-पज्ञा पुं० [म०] १ सेवक । नौकर । २. सेना का पिछला प्रतिसक्रम-सञ्ज्ञा पुं० [स० प्रतिसक्रम ] १. प्रतिच्छाया । प्रतिबिंब । भाग । ३ व्याह में पहनने का कारण। ४.ककरण नाम का २ प्रलय । नाश [को०)। गहना। ५. जादू का मत्र। ६ जरूम का भर पाना । ७. प्रति संक्रात-वि० [सं० प्रतिसक्रान्ति ] प्रतिबिंबित [को॰] । माला । ८ प्रात काल । सवेरा । ६. रक्षक । देखरेख करने- वाला व्यक्ति (को०)। १०. वह सूत्र जो रक्षा की दृष्टि से प्रतिसंख्या-सञ्चा स्त्री॰ [ सं० प्रतिसङ्ख्या ] १ चेतना । २ सांख्या- मणिवध या गले मे पहना जाता है। रक्षासूत्र [को०] । नुसार ज्ञान का एक भेद । प्रतिसंख्यानिरोध-सधा पुं० [सं० प्रतिसंट ख्यानिरोध ] वैनाशिक प्रतिसर-वि० अनुवर्ती । अस्वतत्र । पराधीन [को०] । बौद्ध दार्शनिको के मसुसार बुद्धिपूर्वक भावपदाथ का नाश । प्रतिसरण-सज्ञा ली० [सं०] किसी वस्तु पर या उसके सहारे उठघना या लेटना [को०। प्रतिसंगी-वि० [सं० प्रतिसगिन् ] साथ लगा रहनेवाला । निरतर साथ रहनेवाला [को०] । प्रतिसरा--मया खा० [सं०] १ सेविका । दासी । २. तस्मा । पट्टी। प्रतिसचर-सज्ञा पुं० [सं० प्रक्षिसञ्चर ] १ पुराणानुसार प्रलय का प्रतिसर्ग-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] १. पुराणानुसार वे सब सृष्टियां जो रुद्र, एक भेद । २ पीछे जाना (को०)। ३. सचरण । सचार विराटपुरुष, मनु, यक्ष भोर मराचि पादि ब्रह्मा के मानसपुत्रो ने उत्पन्न की था।२ प्रलय । ३ पुराणो का वह पंश जिसमें (को०) । २ नित्य मागमन का स्थान (को॰) । प्रतिसर्ग अर्थात् सृष्टि प्रलय का वणन होता है (को०) । प्रतिसदेश-सज्ञा पुं० [सं० प्रतिसन्देश ] उत्तर । जवाब को०] । प्रतिसर्य-सा पुं० [सं०] १. एक रुद्र का नाम । (वैदिक)। २ प्रतिसधान-सहा पुं० [सं० प्रतिसन्धान ] १ अनुसघान । ढूढना । विवाह के समय हाथ मे बाधा जानेवाला कगन । खोजना । २ साथ साथ जोडना । मिलाना। ३ दो युगो का सक्राति या सघि काल (को०)। ४ प्रात्मनियत्रण । आवेशादि प्रतिसव्य-वि० [सं०] जो सध्य पर्थात् अनुकूल न हो। विपरीत । को वशीभूत कर लेना (को०)। ५. स्तवन । स्तुति । प्रशसा प्रतिकुल [को॰] । (को०)। स्मृति । स्मरण । अनुचितन (को०)। ७ प्रोपधि । प्रतिसांधानिक-सचा पुं० [स० प्रतिसान्धानिक ] मागध । प्रति- उपचार । उपाय (यो०)। सधानिक [को० ॥ प्रतिसंधानिक-सचा पु० [ प्रतिसन्धानिक ] राजामों आदि की स्तुति प्रतिसामंत-समा ५० [सं० प्रतिसामन्त] शत्रु । दुश्मन । परि [को॰) । करनेवाला । मागध। प्रतिसारण-सपा पुं० [सं०] १. दूर हटाना । मलग करना। २.
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