पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४४७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 1 लग्नक। ६ प्रतिभास प्रतिमुख प्रतिभास-सज्ञा पुं० [सं०] १ प्राकृति । प्राकार । २ भ्रम । घोसा । २ मिट्टी, पत्थर या घातु प्रादि की बनी हुई देवताओं को मिथ्याज्ञान । ३ प्रकाश मा मूर्ति जिसकी स्थापना या प्रतिष्ठा करके पूजन किया प्रतिभासन-सज्ञा पुं० [ म० ] जान पडना। प्रतीत होना। धोतित जाता हो । देवमूर्ति । ३. प्रतिविम् । छाया। ४ हाथियों के होना । व्यक्त होना। दौत पर गा पीतल या तपादि का बघन । ५ तौलने का प्रतिभाहानि-एचा रती० [सं०] १.प्रतिभा को हानि । बुद्धिहीनता । बाट । बटपग । माप । ६ प्रतीष । चिह्न (को०)10 वुद्धि का प्रभाव । २ प्रकाश पर शुति का प्रभाव । साहित्य का एक अल कार जिसमें किसी नग्य पदार्थ या व्यक्ति अंधकार । मधेरा यो । को म्यागना का वर्णन होता है। जैगे,-'ही जीवित हो प्रतिभिन्न-वि० [सं०] १. विभक्त । जो अलग हो गया हो। जगत में अनि यारी माघार । प्रानपिया उनिहार यह विभाजित । २ जिमका भेदन किया गया हो (मो०) । ननदी या अधार'। गमे विदेश गए हुए पति के प्रभाव प्रतिभू-सा पुं० [ म० ] व्यवहार शारस में वह व्यक्ति जो ग्राण मे नाविणा ने पति के ममान पायनियानी ननद फो हो देनेवाले ( उत्तमर्ण) के सामने ऋण लेनेवाले (अधमण) उगरा म्यानापन्न वाया है, इसलिये या प्रतिमा पनपार है। की जमानत करे। जमानत में पड़नेवाला । जामिन । यो०-प्रतिमागत = चित्र या मी में स्थित । प्रतिमाचत्र- चद्रमा या प्रतिक्रि । प्रतिमापरिचारक = मूर्ति पी रोया प्रतिभेद-सज्ञा पुं० [म०] १ प्रभेद । प्र तर । फर्क। २. प्राविकार । गाने वाला । पुजारी। प्रतिमापूजन, प्रतिमापूजा = मूर्तिपूजा । रहस्य का स्पष्टीकरण (यो०)। प्रतिमान- पुं० [१०] १. प्रतिबिंब । परतही। २ हामी का प्रतिभेदन-सरा [ म०] १ विभाग करना। भेद उत्पन्न करना । मस्तमः । हामी फे दोनो से दांतो ने बीचमा सान।.. २ खोलना। ३ विदीर्ण करना। फाटना (को०)। गमानता। रायगे। ४ दृष्टांत । उदाहरण ।” प्रतिलिपि । प्रतिभोग- मशा पुं० [सं०] उपभोग । दसरा । मान । वाट (गो०)। ७ विरोधी। मा। प्रतिभोजन-सज्ञा पुं० [सं०] विहित पाहार [को०] । दुश्मन ।।६. चित्र । अनुमति । मूर्ति । प्रतिमा (को०)। प्रतिमडक-सझा पुं० [म० प्रतिमण्डक ] शालक राग का एक भेद । प्रतिमानीकरण-० [1 प्रतिमान+करण ] प्रतिमान स्थिर प्रतिमडल-सज्ञा पु० [ मं० प्रतिमण्डल ] सूर्य प्रादि चमकते हुए करना। बET या व्यवस्था निश्चित करना। वसोटी महल का घेरा । परिवेश । उपस्थित करना। प्रतिमडित-वि० [ मं० प्रतिमण्डित ] गलत । मडित को॰] । प्रतिमाया-मगा पी० [२०] माया के उत्तर में माया । इद्रजाल प्रतिमत्रित-वि० [सं० प्रतिमन्त्रित ] मत्र से पवित्र किया हुपा। या जादू या जगवी ना। प्रतिम-अव्य० [म.] ममान । सदृश । प्रतिमालासा. [ ०] स्मरण शक्ति का परिचय देने के विशेप-इस शब्द का व्यवहार केवल यौगिक में, शब्द के मंत लिये दो प्रादमियो पा एक एनरे के पीछे लगातार श्लोक या कविता पढना। मे होता है । जैसे, मेघप्रतिम = मेघ के समान । विशेप-कभी कभी एफे श्लोक का मंतिम पसर लेकर प्रतिमत-सज्ञा ॰ [ मं० प्रति + मत ] भिन्न मत । विरोधी मत । उ०-यदि हम काव्य सबधी इन विविध संप्रदायो फे उनत दूमग उसी अक्षर से आरभ करनेवाला लोक पड़ता है। प्रारंभिक निरूपणो को उनका मत मानें तो ये द्वितीय उसे प्रत्याक्षरी रहते हैं। जो प्रागे नहीं कह सकता उसकी स्थिति के विवेचन प्रतिमत कहे जा सकते हैं।-न० सा० हार समझी जाती है। न० प्र०, पृ २३ । प्रतिमान-पव्य० [ न.] प्रत्येक महीने में । हर महीने । प्रतिमर्श-सज्ञा पुं० [सं० ] सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार की शिगे- प्रतिमास्य -- पु० [सं०] १ महाभारत के अनुसार एक प्राचीन वस्ति जो नस्य के पात्र भेदो के प्रतर्गत है। देश का नाम । २. इस देश का निवासी। विशेष-प्रतिमर्श प्राय प्रात काल सोकर उठने के समय, नहाने प्रतिमित-० [सं०] १ जिममा किया गया हो। घोने, या दिन को सोकर उठने के उपरात अथवा सध्या समय जिसकी नकल पी गई हो । २.जिसकी तुलना की गई हो। किया जाता है । इसमे सोपधियां डालकर पकाया हुमा घी ३ प्रतिबिंबित । प्रतिच्छायित मो० । नाक के नथनो मे चढ़ाया जाता है जिससे नाक का मल प्रतिमुक्त-वि० [सं०] १ पहना हुमा (कपदा आदि) । २. निकल जाता है, दांत मजबूत होते हैं, घाँखो की ज्योति जिसका त्याग कर दिया गया हो । जो छोड़ दिया गया हो। बढती है, और शरीर हलका हो जाता है। भिन्न भिन्न ३. जो बंधा हुमा हो । ४ जो फेंका हुप्रा हो । प्रक्षिप्त (ले०) । समय के प्रतिमर्श का भिन्न भिन्न परिणाम बतलाया गया है। ५ मुक्त । स्वतत्र किया हुआ (को०) । प्रतिमल्ल-सज्ञा पुं० [सं०] विरोधी मल्ल । प्रतिस्पर्धी योद्घा [यो०]। प्रतिमुख'-सरा पु. [ मैं०] १. नाटक की पांच मगस पियो में से प्रतिमा-सशा स्त्री॰ [ मं०] १ किसी की वास्तविक अथवा कल्पित एक जिसमे विलास, परिसर्प, नर्म (परिहास), प्रगमन, माकृति के अनुसार वनाई हुई मूर्ति या चित्र सादि । मनुकृति। विरोध, पर्युपासन, पुष्प, वज, उपन्यास और वणसंहार