पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४४५

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प्रतिपूजन प्रतिवल प्रतिपूजन-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० ] अभिवादन प्रत्यभिवादन । साहब प्रतिफलन-मश पुं० [सं०] १० 'प्रतिफल' (ले०] । सलामत । प्रतिफला-माया [ मं०] वावघो । वयुनो। प्रतिपूजा-सा सी० [सं०] प्रतिपूजन । अभिवादन । प्रतिफलित- [7] १ प्रतिविवित । प्रतिच्छायित । उ०- प्रतिपूज्य-वि० [सं०] जो अभिवादन करने पर, अभिवादन किए भगवान मरीचिमाली यो किरणे भनेक वस्तुमो पर प्रति- जाने के योग्य हो। फलित होती है । -रसपलश, पृ० १७ । २ प्रतिकृत । प्रतिपूरुष-सज्ञा पुं० [ स०] दे० 'प्रतिपुरप' । प्रतिशोषित (d) प्रतिपोषक-सज्ञा पु० [ म० ] सहायता करनेवाला । समर्थक । मदद प्रतिफुल्लक-f० [सं० ] फूला हुप्रा । पुष्पित । प्रफुल्ल ! o ! करनेवाला। प्रतिवध- पुं० [सं० प्रसियाध ] १ रोक। रुकावट । पटकाव । प्रतिप्रणाम-सशा पुं० [स०] प्रणाम के बदले मे विया जानेवाला २ विघ्न । बापा ३ वदोयस्त । प्रवध। ४ निरापा । प्रणाम । प्रतिनमस्कार । प्रत्यभिवादन (को०] । प्राशाभग। नैराश्य (को०)। ५ मवघ। सपर्क । लगाव प्रतिप्रत्त-वि० [सं० ] प्रत्यपित (को०] । (को०)। ६ वधन । धांधना। याँधने की क्रिया या भाव । प्रतिप्रदान-सज्ञा पुं० [०] १ वापस करना। प्रतिदान । २ वह ८ (दशन०) सदा घना रहनेवाला पविच्छेद सपथ (को०)। जो विवाह आदि मे दिया हुपा हो [को०] । प्रतिवधक-राजा पु० [सं० प्रतिपन्धक ] १. वह जो रोकता हो । रोकनेवाला प्रतिप्रभ-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] भत्रि वश के एक ऋषि का नाम । । २. वाधा डालने याला। विप्न परनेवाला। ३ वृक्ष । पट । ४ शाखा (को०)। प्रतिप्रभा-मचा सी [ म० ] प्रतिबिंब । परछांही। प्रतिप्रयाण-सज्ञा पुं॰ [ स०] वापस होना । लौटना [को०] । प्रतिवधकता-राजा मा० [सं० प्रतियन्धकता ] १ यकावट । रोक । प्रतिप्रश्न-सा पुं० [ स० ] १ प्रश्न के यदले मे किया जानेवाला प्रतियधवान् -वि० [सं० प्रतिपन्धयत् ] प्रतियधयुक्त i०] । अडचन । २ विघ्न । वाधा। प्रश्न । २ उत्तर । जवाव (को०) । प्रतिप्रसव-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ किसी अवसर पर कोई ऐसे काम प्रतिवधि- दो० [० प्रतियन्धि) ० 'प्रतिवघी' । के लिये स्वच्छदता जो मौर अवसरों पर निषिद्ध हो। जिस प्रतिबंधा'-० [५० प्रतियन्धिन् ] १ बाधक । अवरोधक । बात का एक स्थान पर निपेध किया गया हो, उसी का किसी २ वाँधनेवाला। ३. यापामो से ग्रस्त । कठिनाई से भरा विशेष अवसर के लिये विधान । किसी बात के लिये एक हुप्रा [को०] । स्थान पर निपेष और दूसरे स्थान पर प्राशा । जैसे, रविवार प्रतिवनी-सा स्त्री॰ [सं० प्रतिवन्धी ] १. वह मापत्ति या इतराज शुक्रवार, द्वादशी को श्राद्ध में तर्पण करने का निपेष है। जो समान रूप से दोनो पक्षो पर लागू हो। २. भापत्ति । पर अयन, विपुव, सक्राति या ग्रहण के समय अथवा तीर्थस्थान इतराज । विरोध [10 मे रविवार, शुक्रवार, द्वादशी को भी तिल से श्राद्ध करने प्रतिबंधु-सामी [10 प्रतिवन्धु ] वह जो बघु के समान हो । की आशा है। प्रतिवद्ध-० [.] १ बंधा हुप्रा । २ जिसमें किसी प्रकार का प्रतिप्रसूत-वि० [सं०] १ जिसके विषय में और स्थानो में तो प्रतिवध हो। जिसमें कोई रुकावट हो। ३ जिसमे कोई निषेध हो पर किसी विशेष स्थान में विधान हो। जिसके वाधा डाली गई हो। ४. नियमित। ५. निसर्गत । सवद विषय में प्रतिप्रसव हो। २ पुन सभावित [को०] । या सयुक्त । पूर्णत पविच्छेद्य । जैसे, पूम भोर पग्नि प्रतिप्रस्थाता-सञ्ज्ञा पुं० [स० प्रतिप्रस्थात ] सोमयाजी १६ ऋत्विजो (को०)। ६ सचित । जडा या पिरोया हुप्पा (को०)। ७. मे से छठा ऋत्विज । दूर या भलग किया हुमा । दूरीगृत (को०)। ८. निराश । प्रतिप्रस्थान-सज्ञा पुं० [सं०] शत्रु या विरोधी पक्ष से मिल हताश (को०)। जाना (को०] । प्रतिवल'-वि० [सं०] १. समर्थ । शक्त । २ बराबर की ताकत- प्रविप्रहार-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] दे॰ 'प्रत्याघात' (को०] । वाला। पाक्ति में समान । प्रतिप्राकार-सचा पुं० [सं०] दुर्ग के बाहर की भोर का प्राकार । प्रतिवल-पा पु. १. शत्रुसेना के भिन्न भिन्न पगो का सामना बाहरी परकोटा। करने की शक्ति या सामान । प्रतिप्रिय-सञ्ज्ञा पुं० [स०] प्रत्युपकार । उपकार के बदले की सेवा विशेप-कौटिल्य ने लिखा है कि हस्तिसेना का मुकाबला करने- या कृपा किो०] । वाली हस्तियत्र, शकट गर्भ, फुज, प्रास, शल्य धादि से युक्त प्रतिप्लवन-सचा पु० [सं०] पीछे को मोर कूदना या प्लवन को०)। सेना है । जिस सेना मे पापाण, लकुट ( लाठिया), कवच, प्रतिफल-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ प्रतिक्वि । छाया। २. परिणाम । कचग्रहणो प्रादि अधिक हो, वह रथ सेना के मुकाबले के लिये नतीजा । ३ वह बात जो किसी बात का बदला देने या लेने ठीक है, इत्यादि। के लिये की जाय। २. शनु । दुश्मन । वैरी (को०)।