पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४४३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

- यौ०-प्रतिपा र प्रतिनव प्रतिपद् प्रतिनव-वि० [ स० ] नया । ताजा । मूतन [को०] । यौ०-प्रतिनिविष्ट मूर्ख = महामूर्ख । जडमति । प्रतिना-संज्ञा स्त्री॰ [स० पृतना ] दे० 'पृतना' । प्रतिनिष्क्रय-सज्ञा पुं० [सं०] वदला [को०] । प्रतिनाड़ी-सशास्त्री० [म० प्रतिनाडी ] छोटी नाडी। उपनाडी। प्रतिनोद-सञ्ज्ञा पुं० [स०] पीछे करना । दूर हटाना [को०] । विशेष- 'नाडी'। प्रतिप-सज्ञा पुं॰ [स०] राजा शातनु के पिता का नाम । प्रतिनाद-सज्ञा पुं० [०] दे॰ 'प्रतिध्वनि' । प्रतिपक्ष-सञ्ज्ञा पुं० [म०] १ शत्रु । वैरी। दुश्मन । २. प्रतिवादी । प्रतिनादिव-वि० [स०] गु जित । प्रतिध्वनित । [को०] । उत्तर देनेवाला । ३ सादृश्य । समानता। वरावरी। ४ प्रतिनायक-सज्ञा पुं० [०] नाटको और काव्यो प्रादि में नायक विरोधी पक्ष । विरुद्ध दल । विरुद्ध पक्ष । दूसरे फरीक की बात। का प्रतिद्व द्वी पात्र । जैसे, रामायण में राम का प्रतिनायक गवण है। प्रतिपक्ष-वि० समान । मदृश [को०] । प्रतिनाह-सञ्ज्ञा पु० [म०] एक प्रकार का रोग जिसमें नाक के प्रतपक्षता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [न०] विरोधिता । बाधा । विरोध । नयनो मे कफ रुकने से श्वास चलना वद हो जाता है । प्रतिपक्षित-वि० [१०] १ प्रतिपक्ष का। विरोधी दल मे गया प्रतिनिधि-सशा पु० [स०] १ प्रतिमा । प्रतिमूर्ति । २ वह व्यक्ति हुया । २. न्याप में (वह हेतु) जो सत्प्रतिपक्ष दोष से युक्त जो किमा दूसरे की ओर से कोई काम करने के लिये नियुक्त हो (को०] । हो । दूसरो का स्थानापन्न होकर काम करनेवाला । प्रतिपक्षी-सरा पु० [म० प्रतिपपिन् ] विपक्षी । विरोधी । शत्रु । विशेष-(क) हमारे यहाँ प्राचीन काल से धार्मिक यो प्रतिपच्छ-सचा पुं० [म० प्रतिपक्ष 70 प्रतिपक्ष'। मादि के लिये प्रतिनिधि नियुक्त करने की प्रथा है। यदि प्रतिपच्छो --सच्चा पु० [२० प्रतिपक्षिन् ] दे० 'प्रतिपक्षी' । उ०- कोई मनुष्य नित्य या नैमित्तिक आदि कर्म प्रारभ करने प्रतिपच्ची को मान मारि अपनी विस्तारै ।-प्रजप्र०, के उपरात बीच मे ही असमर्थ हो जाय तो वह उसकी पृ० ११२। पूर्ति के लिये किसी दूसरे व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि स्वरूप प्रतिपत्-सञ्चा स्त्री० [स०] 'प्रतिपद' । नियुक्त कर सकता है। (ख) अाजकल साधारणत. सर्व- र्य = एक प्रकार का वाद्य । नगाहा। साधारण की अोर से सभामो प्रादि में, विचार प्रकट फरने और मत देने के लिये, अथवा किसी राज्य या बहे प्रतिपत्ति-सज्ञा सी० [स०] १ प्राप्ति । पाना। २ ज्ञान । ३. आदमी की ओर से किसी बात का निर्णय करने के लिये अनुमान । ४ देना। दान। ५. कार्य रूप में लाना। लोग प्रतिनिधि बनाकर भेजे जाते हैं। प्रतिपादन | निरूपण । किसी विषय का निर्धारण। ७ ३ जमानतदार। प्रतिभू । जामिन (को०)। ४. प्रतिबिंब प्रमाणपूर्वक प्रदर्शन | जो में बैठाना । ८ मानना । स्वीकृति (डि०)। ५ वह वस्तु या द्रव्य जो किसी वस्तु के अभाव मे कायल होना। ६ पदप्राप्ति । धाक । प्रतिष्ठा । साख । प्रयुक्त हो (को०)। १०. प्रादरसत्कार । ११. प्रवृत्ति । १२. निश्चय । दृढ़ प्रतिनिधित्व-संज्ञा पुं० [स० ] प्रतिनिधि होने की क्रिया या भाव । विचार । १३ परिणाम । १४ गौरव । १५ ढग । तरीका प्रतिनिधि होने का काम । (को०)। १६ सवाद (को०)। प्रविनियत-वि० [ स०] १. दृढ़ । कपरहित । स्थिर । २. पूर्व- प्रतिपत्तिकर्म-सज्ञा पुं० [ म० प्रतिपत्तिकर्मन् ] श्राद्ध प्रादि मे वह निश्चित । पहले से ते किया हमा [को०] । कर्म जो सबके प्रत मे किया जाय। सबके पीछे किया जाने- वाला कर्म । प्रतिनियम- पु० [स०] १. अलग अलग व्यवस्था। २ सामान्य नियम । सामान्य व्यवस्था [को०] । प्रतिपत्तिदक्ष-वि० [ म० ] कार्यसपादन में चतुर [को०] । प्रतिनिर्जित-वि० [सं०] १ स्वकायप्रयुक्त । अपने काम में प्रयुक्त । प्रतिपत्तिपटह-सक्षा पु० [सं०] वह ढोल जिसे बजवाने का अधि- २ जीता हुमा । विजित [को०] । फार फेवल अमिजात वर्ग के लोगो (सरदारों) को था। प्रतिनिर्दश-सञ्ज्ञा पु० [स०] [वि० प्रतिनिर्देश्य ] फिर से कहना । प्रतिपत्तिभेद-सज्ञा पु॰ [ स०] समतिभेद । मतभेद [को०] । दुवारा कहना (को०)। प्रतिपत्तिमान-वि० [स० प्रतिपतिमत् ] १ प्रतिपत्तियुक्त। प्रतिनियोतन-सञ्चा पुं० [सं०] वह अपकार जो किसी अपकार के बुद्धिमान । २. चतुर । कार्य मे पक्ष । ३ प्रसिद्ध । बदले में किया जाय। मशहूर । ख्यात [को०] । प्रविनिवर्तन-श पुं० [सं०] [ वि० प्रतिनिवर्तित ] १ लौटना । प्रतिपत्तिविशारद-वि० [सं०] चतुर । कुशल [को०] । वापस होना।२ निवारण । वारण को०] । प्रतिपत्रफला-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] करेली। प्रविनिवासन-सशा पुं० [स०] बौद्ध भिक्षुमो के पहनने का प्रदिपद्-सज्ञा सी० [ स०] १ मार्ग । रास्ता । २ प्रारभ । ३. एफ वल। पक्ष की पहली तिथि । प्रतिपदा। परिवा। ४ बुद्धि । प्रतिनिविष्ट-वि० [सं०] जो स्थिर या दृढ़ हो [को०] । समझ। ५. घेणी । पक्ति । ६. प्राचीन काल का एक प्रकार . . 1