प्रतिच्छा ३१५० प्रतितुलन प्रतिच्छा - सज्ञा स्त्री॰ [स० प्रतीक्षा ] दे० 'प्रतीक्षा'। में अनुमान के पांच खंडों या अवयवों में से पहला अवयव । प्रतिच्छाया-सचा स्पी० [सं०] १. चित्र । तस्वीर । २ मिट्टी पत्थर वह वाक्य या कथन जिससे साध्य का निर्देश होता है। उस आदि की पनी हुई मूर्ति । ३. परछाई । प्रतिबिंब । बात का कथन जिसे सिद्ध करना हो। ५. स्वीकार । स्वी- प्रतिच्छायिका-सज्ञा सी० [म०] दे० 'प्रतिच्छाया [को०] । करण । अगीकरण (को०)। प्रतिच्छायित--वि० [सं०] प्रतिच्छाया युक्त । चित्रित । प्रतिबिंबित । प्रतिज्ञात'-वि० [ म० ] १ जिसके सवध में प्रतिज्ञा की जा चुकी उ०—चिर निराशा नीरधर से, प्रतिच्छायित अश्र, सर में । हो । स्वीकार किया हमा। २ करने या हो सकने योग्य | मधुप मुखर मरद मुकुलित मैं सजल जलजात रे मन ।-कामा- साध्य। यनी, पृ०२१७। प्रतज्ञिात-सज्ञा पुं० प्रतिज्ञा । वादा । वचन [को०] । प्रतिच्छेद--सञ्ज्ञा पुं॰ [ म०] १ बाधा । रुकावट । विरोध । २. छेदन प्रतिज्ञातार्थ-सज्ञा पुं॰ [ स० ] वक्तव्य । कथन [को०] । करना । खडित करना (को०] । प्रतिज्ञान-सज्ञा पुं० [सं०] १ स्वीकृति । स्वीकरण । राजीनामा । प्रतिछवि-सज्ञा पुं० [सं० प्रति + हिं० छबि] दे० 'प्रतिच्छवि' । उ०- २ प्रतिज्ञा । वादा । वचन किो०] । तू बहती सरिता के जलपर, देख रहा अपनी प्रतिछवि नर । प्रतिज्ञापत्र, प्रतिज्ञापत्रक-संशा पुं० [म० ] वह पत्र जिसपर कोई -मधुज्वाल, पृ०६६ । प्रतिज्ञा लिखी हो। वह कागज जिसपर शत लिखी हों। प्रतिछाँई लज्ञा सी [हिं० ] 20 'प्रतिच्छाया'-३। इकरारनामा। प्रतिछाँह-सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'प्रतिच्छाया'-३ । प्रतिज्ञापालन-सज्ञा पुं० [ म०] प्रतिज्ञा पूरी करना। प्रण पूरा प्रतिछाही-मज्ञा स्त्री० [सं० प्रनि+हिं० छाँह] दे० 'प्रतिछाया' । करना। बचन निभाना [को०] । प्रतिछाया--मज्ञा ली० [ स० प्रतिच्छाया ] प्रतिबिंब । परछांहीं। प्रतिज्ञाभंग-सज्ञा पु० [स० प्रतिज्ञाभङ्ग ] वादा न करना। प्रतिजघा-संज्ञा स्त्री० [सं० प्रतिजध] जांघ का अगला भाग | वचन न निभाना को॰] । प्रतिजन्म--सज्ञा पुं० [सं०] पुन जनमना । फिर पैदा होना [को०] । प्रतिज्ञाविरोध-सञ्ज्ञा पु० स० ] न्याय के अनुसार एक प्रकार का प्रतिजन्य--वि० [सं०] प्रतिकूल । विरोधी । वैरी । विरुद्ध [को०] । निग्रहस्थान । दे० 'निग्रहस्थान'। प्रतिजल्प-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] परामर्श । समति । सलाह । प्रतिज्ञाविवाहित-वि० [ स० ] जिसकी शादी हो गई हो [को०] । प्रतिजल्पक-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ प्रादरणीय, अनुकूल या योग्य प्रतिज्ञास-यास-सपा पुं० [स०] एक प्रकार का निग्रह स्थान । कथन । परामर्श । २ नम्र पर वक्र उत्तर [को०] । दे० 'निग्रहस्थान'। प्रतिजागर-सज्ञा पुं० [म.] १ खूब अच्छी तरह ध्यान देना। खूब प्रतिज्ञाहानि-सज्ञा स्त्री० [म० ] एक प्रकार का निग्रहस्थान । होशियार रखना । सचेत रहना । सावधान रहना । २ रक्षा । विशेष-दे० 'निग्रहस्थान । प्रतिजागरण-सज्ञा पुं॰ [सं०] दे० 'प्रतिजागर' को०] । प्रतिज्ञेय-सझा पुं० [ स०] १ वह जो प्रतिज्ञा करने में समर्थ हो । प्रतिजिह्वा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] गले के मदर की घटी। कौवा । छोटी प्रतिज्ञा कर सकने योग्य । २ वह जो स्तुति या प्रशसा करे। स्तुति करनेवाला । प्रशसा करनेवाला । प्रतिजिबिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'प्रतिजिह्वा' (को०] । प्रतितंत्र-मज्ञा पुं० [सं० प्रतितन्त्र] अपने मत से विरुद्ध मत का शास्त्र । प्रतिजीवन-मगा पुं० [सं०] फिर से जन्म होना। नया जन्म । वह शास्त्र जिसके सिद्धांत अपने शास्य के सिद्धांतो के प्रति- प्रतिज्ञता- सज्ञा स्त्री० [सं० प्रतिज्ञ + हिं० या (प्रत्य॰)] प्रतिज्ञा लेने कूल हो। का भाव । उ०—जिसके अर्थ बहुत कुछ प्रात्मत्याग, देशा प्रतितत्रसिद्धात-पमा पुं० [सं० प्रतितन्त्रसिद्धान्त ] वह सिद्धांत जो नुराग, दृढ प्रतिज्ञता आदि गुणों की आवश्यकता है। प्रेम कुछ शास्त्रो में हो और कुछ में न हो । जैसे, मीमासा में घन०, भा० २, पृ०२३७ । 'शब्द' को नित्य माना है परतु न्याय में वह अनित्य माना प्रतिज्ञांतर-संज्ञा पुं॰ [ स० प्रतिज्ञान्तर ] तर्क में एक निग्रह स्थान । जाता है। विशेष-दे० 'निग्रहस्थान' । प्रतितर-सज्ञा पुं० [सं०] १ नाव का ढाँट । नाव खेने का बल्ला। प्रतिज्ञा-मज्ञा स्त्री॰ [स०] १ भविष्य में कोई कर्तव्य पालन करने, २ नाव को खेनेवाला । कणधार । फेवट । कोई काम करने या न करने आदि के सवध में दृढ़ निश्चय । प्रतिताल, प्रतितालक-संज्ञा पुं० [स०] सगीत मे ताल का एक प्रकार वह रढतापूर्ण कथन या विचार जिसके अनुसार कोई कार्य जिसमें कातार, समराम्य, वैकुठ भौर वाछित ये चारो करने या न करने का एढ़ संकल्प हो। किसी बात को अवश्य ताल हैं। करने या कभी न करने के सबंध में वचन देना। प्रण। जैसे प्रतिताली-सज्ञा स्त्री० [सं०] दरवाजे की चाभी । कुजी । ताली [को॰] । भीष्म ने प्रतिज्ञा की थी कि मैं प्राजन्म विवाह न करूंगा। प्रतितुलन-सज्ञा पु० [म० प्रति + तुलन] तुलना । समता । सतुलन । २, एपथ । सौगद । कसम । ३. ममियोग | दावा । ४, न्याय समानीकरण । उ०-जिंदा जातियो के इतिहास में उन दोनो जीभ। 1
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४४१
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