प्रजातंत्र ३१४१ प्रजंघ प्रजघ-सज्ञा पुं॰ [ स० प्रजन] १ रावण की सेना का एक मुख्य प्रजलना-क्रि० स० [स० प्रज्वलन ] दे० 'प्रजरना' ऊ०-(क) राक्षस जिसे प्रगद ने मारा था । २ एक फपि का जल महि पावक प्रजल्यउ पूज प्रकाश । कवल प्रफुल्लित भइले नाम (को०)। मधिक सुवास ।-सुदर० प्र०, मा० १, पृ॰ ३७८ । (ख) खानखाना नवाब दे, खाँडे भाग खिवत । जलवाला नर प्राजले प्रजघा-सा मी० [स० प्रजड्वा ] उरु या जांघ का निचला ' भाग [को०। तृणवाला जीवत ।-अकबरी०, पृ॰ १४२ । प्रजल्प-मचा पुं० [ स०] १ व्यर्थ की या इधर उधर की बात । प्रजंत पु-अव्य [ स० पर्यन्त ] दे॰ 'पर्यंत' । उ०-राधा जल गप । २ वह बात जो अपने प्रिय को प्रसन्न करने के लिये विहरति सखियनि मग । ग्रीव प्रजत नीर मैं ठाढी, छिरकति की जाय । जल अपने अपने रंग।-सूर०, १०११७५३ । प्रजल्पन-सञ्चा पु० [स०] बातचीत । गपशप । प्रज-सज्ञा पुं॰ [स] पति । खाविंद । शौहर [को०] । प्रजल्पित-वि० [स०] जिसके विषय में बात की जा चुकी हो प्रजटी@-वि० [ स० प्र+जटित ] जटित । एकत्रित । सज्जित । (वातचीत) । जो (वार्तालाप) कथित हो । [को०] । उ०-तम तम तामस तमोगुन सी तोयद सी नीलम जटान प्रजवन-वि० [सं०] गतिशील । तेज [को०] । पाटी जटा प्रजटी सी है।-पजनेस०, पृ॰६। प्रजवित-वि० [मं०] १ प्रेरित । चालित । २ पाह्त (को०] । प्रजन-सञ्चा पु० ] स०] १ गर्भधारण करने के लिये (पशुओ प्रजयो' -वि॰ [स० प्रजविन् ] गतिशील । तीव्र गतिवाला । का) मैथुन । जोडा खाना | २ पशुप्रो के गर्भधारण करने का समय । ३ लिंग। पुरुद्रिय । ४ सतान उत्पन्न करने प्रजवी --सञ्ज्ञा पुं० दूत । चर । सवादवाहक (को॰] । प्रजहित-सशा पुं० [सं०] १ पुराण । २ गार्हपत्य अग्नि । का काम | ५ जनक । जन्म देनेवाला। प्रजातक-सज्ञा पु० [सं० प्रजातिक] यम । प्रजनक-वि० [ म० प्रजनन ] [ वि० मी० प्रजनिका ] उत्पन्न करनेवाला। जन्म देनेवाला । जनक । उ०-पहले जो प्रजा-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ सतान । प्रौलाद । २. वह जनसमूह जो भावात्मक निस्स ग, एक ही ऋषिकठ से निकला हुआ था, किसी एक राजा के अधीन या एक राज्य के अतर्गत रहता हो। ३. राज्य के निवासी । रिमाया । रैयत । ४ प्रजनन । वह वाद को समुदाय के मानद का प्रजनक हुमा । -गीतिका (भू०), प० । उत्पत्ति । उत्पादन (को०)। ५ शुक्र । वीर्य (को०)। ६. प्राणधारी। प्राण | जीव (को०)। ७ भारतीय गांवो में प्रजनन सञ्चा पुं० [स०] १ संतान उत्पन्न करने का काम । छोटी जातियो के वे लोग जो बिना वेतन पाए ही काम २ जन्म । ३. लिंग । पुरुषंद्रिय (को०)। ४ योनि । ५ करते हैं। शुक्रा । वीर्य (को०)। ६ दाई का काम । पात्रीकर्म (सुश्रुत) । ७ जन्म देनेवाला। पिता । जनक । ८ पशुकर्म । जोडा विशेप-ऐसे लोगो को कभी किसी उत्सव पर अथवा ब्याह खाना (को०)। सतति (को०)। आदि मे कुछ पुरस्कार दे दिया जाता है। नाऊ, वारी, भाट, नट, लोहार, कुम्हार, चमार, धोबी इत्यादि की गिनती 'प्रजा' प्रजनन-वि० प्रजनन करनेवाला । पैदा करनेवाला [को०] । मे होती है। प्रजनयिता-वि०, सञ्चा पुं० [ स० प्रजनयित् ] दे० 'प्रजनक' । प्रजाकाम-सञ्ज्ञा पुं० [स०] वह जो पुत्र का अभिलाषी हो। जिसे प्रजनिका-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] माता । पुत्र की इच्छा हो । पुत्रप्सु । प्रजनिष्णु-वि० [स०] १. प्रजनन करनेवाला । उपजाऊ । २ प्रजाकार-सञ्चा पु० [स०] प्रजा उत्पन्न करनेवाले, ब्रह्मा । प्रजापति । बढनेवाला । जैसे, फसल (को॰] । प्रजागर-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ विष्णु । २ प्राण । ३ जागरण । प्रजनुक-सच्चा स्त्री॰ [सं०] १ वह जो संतान उत्पन्न करता हो। जगना । ४. नीद न पाने का रोग। ५ सुरक्षा करनेवाला। २ शरीर । देह (को०)। रक्षक जन (को०) । ६. सावधानी । सतर्कता (फो०)। प्रजनू-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] योनि । भग [को०] । प्रजागरण-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] जागना । जागरण (को०] । प्रजन्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं० पर्जन्य ] दे० 'पर्जन्य-१'। उ०-नीरद, प्रजागरा-सञ्चा श्री० [सं०] एक अप्सरा का नाम । क्षीरद, अवुवह, वारिद, जलद, प्रजन्य ।-नद० प्र०, प्रजागरूक-वि० [स०] अच्छी तरह जागा हुा । पूर्णत सावधान पृ॰ ११०। या सचेत [को०] । प्रजय-समा पु० [सं०] विजय । जय । जीत (को०] । प्रजागुप्ति-सज्ञा स्त्री० [सं०] प्रजारक्षण । जनता की रक्षा [को०] । प्रजरत-वि० [ म० प्रज्वत् >प्रज्जलत् ] जलता हुआ। प्रज्वलित । प्रजाततु-संज्ञा पुं० [ स० प्रजातन्तु ] १. सतान | पोलाद । २ वंश । प्रजरना-क्रि०प० [स० ( प्रत्य० ) प्र+हिं० जरना, या सं० कुल । वशपरपरा। /प्रज्वल ] अच्छी तरह जलना । उ०—प्रजरति नीर गुलाब प्रजातन-सज्ञा पुं० [सं० प्रजातन्त्र ] वह शासनव्यवस्था जिसमें के पिय की बात सिराति ।-बिहारी (शब्द॰) । कोई राजा न होता हो, बल्कि राज्यपरिचालन के लिये
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४३२
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