प्रख्याति २१३६ प्रगल्भती मशहूर। विख्यात । २ प्रसन्नतायुक्त। सुखी (को०)। ३ शापित (को०)। प्रख्याति-ज्ञा मी [सं०] १ प्रख्यात होने का भाव । प्रसिद्धि । दित्याति । २ वेधता । गोचरता । इद्रियग्राह्यता (को०)। प्रत्यान-सना पुं० [पुं०] १. सूचना । खबर । वृत्त । २ खबर देना । सूचना देने का काम | ३ ग्रहण या अनुभव करना [को०) । प्रख्यापन-सज्ञा पु० [सं०] १ प्रसिद्ध करना । स्यात करना। २. सचारित करना सचा रण | ३. समाचार । सूचना [को०] । प्रख्यापित-वि० [स०] जिसको ख्यात किया गया हो। जिसकी प्रसिद्धि की गई हो । जिसके संबंध में कहा गया हो। उ०- वे नए से नए और अधिक भडकीले, प्रचारित एव प्रख्यापित वादों से प्रभावित नहीं होते । -शुक्ल अभि० ग्र०, पृ० १४२ प्रगस- सज्ञा पुं० [म. प्रगगढ ] कधे से लेकर कोहनी तक का भाग । प्रगही-सला सी० [ मं०] दुर्ग प्रादि का प्राकार जिसपर बैठकर दूर दूर की चीजें देखते हैं । बाहरी दीवार । प्रगंध-सा पु० [म० प्रगन्ध ] दवन पापहा । प्रगट-वि० [स० प्रकट ] दे० 'प्रकट' । प्रगटन-सज्ञा पु० [ स० प्रकटन ] दे० 'प्रब टन' । प्रगटना'-क्रि० प्र० [स० प्रकटन ] प्रगट होना। सामने प्राना । जाहिर होना। उ०-प्रगटत दुरत करत छल भूरी।- मानस, ३॥२१॥ प्रगटना-क्रि० स० व्यक्त करना । प्रकट करना। उ०-प्रान तजत प्रगटेसि निज देहा । -मानस ३२१ । प्रगटाना-क्रि० स० [स० प्रकटन, हिं० प्रगटना का सक० रूप ] प्रकट करना । जाहिर करना। प्रगटित-वि० [स० प्रकटित ] दे० 'प्रकटित' । उ०-जो फोठ जोति ग्रह्ममय, रसमय सबकी भाइ। सो प्रगटित निज रूप करि, इहि तिसरे अध्याइ।-नद ग्र०, पृ० २३१ । प्रगट्टना-कि० अ० [हिं०] दे० 'प्रगटना'। उ०-तिमिर तुलित तुरकान प्रबल दिसि विदिस प्रगट्टत। -मति० ग्र०, पृ० ३६७ । प्रगट्टनारे-क्रि० स० दे० 'प्रगटाना' । उ०-'मतिराम' एक दाता निमनि जमजस अमल प्रगट्टियउ । -मति० प्र०, पृ० ३६४ । प्रगड-मज्ञा पुं॰ [स० प्रकट, प्रा० प्रगह, हिं० पगरा वा फा० पगाह (= सवेरा)] । यात्रारभ का समय । सूर्य का प्रकाश । तडका। सवेरा। पगरा। उ०-पुगल जाइ प्रगडउ करइ, फरइ मारवरिण दाइ।-ढोला०, दू० ३८७ । प्रगत-वि० [सं०] १ प्रागे गया हुआ। गत । २ जो पृथक् या दूर हो । अलग । पृथक् [को०] । यौ०-प्रगतजानु, प्रगतजानुक=जिसके घुटने एक दूसरे से अधिक अंतराल पर हो। धनुषाकार मागे की भोर जिसको जानु निवली हो। प्रगति-संशा पी० [सं०] भागे बढना । तरक्की । उन्नति [को०] । प्रगतिवाद-सज्ञा पुं० [सं० प्रगति +वाद ] १ वह सिद्धांत जिसमें साहित्य को सामाजिक विकास का साधन माना जाता है। २ सामान्य जनजीवन को साहित्य में व्यक्त करने का सिद्धात । एक साहित्यिक विचारधारा, जिसमें सामाजिक यथार्थ पोर मास के पार्थिक क्षेत्र में प्रतिपादित सिद्धातो के लिये विशेष श्राग्रह रहता है। विशेष-प्रगतिवाद का प्रारभ सन् १९४० के पूर्व ही हो गया था। सामाजिक और प्रायिक उत्पीडन सवधी प्रगतिवादी विचारो ने साहित्यकारों को सहज रूप से अपनी ओर आकृष्ट किया, फलत श्रमिको, कृषको और सामाजिक उत्पीड़ितो को केंद्र बनाकर साहित्य की रचना हुई । साहित्यिक विचारधारा के अतिरिक्त प्रगतिवाद जनादोलन के रूप में भी पनपा और सारे ससार को इसने प्रभावित किया। इस रूप में इसने मानवमुक्ति के लिये स घर्ष किया, अव्यावहारिक प्राचीन स स्फारो और रूढियों के निराकरण तथा समाज की वर्गस्थिति को समाप्त करने की चेष्टा की। प्रगतिवादी'-सक्षा पुं० [सं० प्रगति + वादिन् ] प्रगतिवाद का अनुयायी। प्रगतिवादी-वि० १ प्रगतिवाद के सिद्धात पर चलनेवाला। प्रगति- वादी विचारधारा को माननेवाला। २ प्रगतिवाद सवधी। ३ प्रगतिवाद के सिद्धात पर माधृत । प्रगतिशोल-वि० [हिं० प्रगति+सं० शील ] १ बराबर आगे बढ़ने- वाला । उन्नतिशील । २ सुधारवादी। ३ जो प्रगतिवाद का अनुयायी हो। ४ प्रगतिवाद सवधी । ५ प्रगतिवाद के सिद्धात पर आधारित । प्रगम-सशा पुं० [सं०] पूर्वानुराग। प्रथम प्रेम । प्रेमी और प्रेमिका में अनुराग का प्रथम उदय (को॰] । प्रगमन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वि० प्रगमनीय ] १ मागे वढना । २. उन्नति । तरक्की । ३. झगड़ा। लडाई। ४ दे० 'प्रगम' । ५ वह भाषण जिसमे कोई अच्छा उत्तर दिया गया हो। मनूठा या माकूल जवाब । प्रगर्जन, प्रगर्जित-सज्ञा पुं० [ स०] गरजना। गर्जन । चिल्लाहट । (को०] । प्रगल्भ-वि० [सं०] १ चतुर । होशियार । २ प्रतिभाशाली । संपन्न बुद्धिवाला। ३ उत्साही। साहसी। हिम्मती। ४. समय पर ठीक उत्तर देनेवाला। हाजिरजवाब । ५ निष्ठर। ६ बोलने में सकोच न रखनेवाला। बकवादी । ७ गभीर । भरापूरा । ८ प्रधान । मुख्य । ६ निलज्ज । बेहया । धृष्ट । १ उद्घत। जिसमें नम्रता न हो । ११. अभिमानी। १२ पुष्ट । प्रौढ़ । प्रगल्भता-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १. बुद्धिमत्ता । होशियारी। २ प्रतिमा। बुद्धि की सपन्नता। ३ उत्साह । ४ हाजिर- जवाबी। वाक्चातुरी। ५ निर्भयता। सकोच का प्रभाव । ६. गभीरता । ७ प्रधानता। मुख्यता । ८ निर्लज्जता। बेहयाई । घृष्टता । ६. उद्धतता। १० प्रभिमान । ११. निर्मय।
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