पेश पेशवाज सामने रखना । दिखलाना । समुख उपस्थित कर देना । (२) पेशदामन-सज्ञा पु० [फा०] सेवक । नौकर (को०] । भेंट करना। नजर करना । पेश जाना या चलना- वश पेशबंद-सज्ञा पु० [फा०] चारजामे मे लगा हुआ वह दोहरा बधन जो चलना । अधिकार या जोर चलना । (किसी से) पेश पाना = घोडे के गर्दन पर से लाकर दूसरी पोर बांध दिया जाता जीतना। वाजी, होड, मुकाविले आदि में बढ़ना। कृतकार्य विशेष-इस बंधन के कारण चारजामा घोडे की दुम की ओर होना। नहीं खिसक सकता। पेश२-- सज्ञा पु० [स० पैसस् ] १ वैदिक काल का लहंगे की तरह पेशबंदी-सज्ञा स्त्री० [फा०] १ पहले से किया हुआ प्रबंध 4 का एक प्रकार का पहनावा जो नाचने के समय पहना जाता बचाव की युक्ति । पूर्वचिंतित युक्ति । २ षड्यत्र । था और जिसमें सुनहला काम बना होता था। २. आकार । कपठ । घोखा। रूप । स्वरूप (को०)। ३ सोना (को०)। ४. कांति । चमक । पेशराज-सञ्ज्ञा पुं० [फा० पेश + हिं० राज ( =मकान बना प्रभा । (को०)। ५ श्राभूषण । सजावट (को॰) । वाला )] वह मजदूर जो राज मेमार के लिये पत्थर पेशकब्ज - मशा स्त्री॰ [फा० पेशकब्ज़ ] कटारी। ढोकर लाता हो । पत्थर ढोनेवाला मजदूर । पेशकश-सञ्ज्ञा पुं० [फा०] १ नजर । भेंट । उपहार । २ सौगात । विशेष-कहीं कही पेशराज लोग ई टो की चुनाई प्रादि का तोहफ़ा । उ०-कौन भयो ऐसो नृपति को ह्व है यहि भाय । काम करते हैं। जाके डर गज पेशकश दिग्गज देत पठाय । -गुमान पेशरी-वि० [फा०] १ अग्रगामी । २ पथप्रदर्शक । ३ सना (शब्द०)। भाग । हरावल । पेशकार-सज्ञा पुं० [फा०] २ किसी दफ्तर का वह कार्यकर्ता जो पेशल-वि० [सं०] १. मनोमुग्घकारी। मनोहर । सुदर । २ उस दफ्तर के कागज पत्र अफसर के सामने पेश करके उनपर चतुर । प्रवीण । ३ धूर्त । चालाक । ४ कोमल । मृदु । ५ उसकी आज्ञा लेता है। हाकिम के सामने कागज पत्र पेश क्षीण । कृश । तनु । जैसे, कटि (को०)। करके उसपर हाकिम की आज्ञा लिखनेवाला कर्मचारी। पेशल:-सज्ञा पुं० [स०] १ विष्णु । २ सौंदर्य । लावण्य पेश करने या उपस्थित करनेवाला व्यक्ति । सुंदरता (को०)। पेशकारी-राज्ञा स्त्री० [फा०] पेशकार का पद या स्थान । २ पेशकार पेशलता-सज्ञा स्त्री० [ स०] १. सुदरता। सौंदर्य । खूबसूरती का काम। २. सुकुमारता । नजाकत । ३, धूर्तता । चालाकी। पेशखेमा-सञ्ज्ञा पुं॰ [फा० पेश +० खै मह ] १. सेना को खेमा, पेशवा-सञ्ज्ञा पुं॰ [ फा०] १. नेता। सरदार । अग्रगण्य । उ० तवू प्रादि वह आवश्यक सामग्री जो उसके किसी स्थान पर पेशवा भी किए इमाम तुम्हें, ऐ अमल हाय सद पहुंचने से पहले उसके सुभीते के लिये भेजी जाती है। , तुम्हें ।-फवीर सा०, पृ०६८० । २. महाराष्ट्र राज्य फौज का वह सामान जो पहले से ही आगे भेज दिया जाय । प्रधान मत्रियों की उपाधि । २ फौज का वह अगला हिस्सा जो आगे पागे चलता है। विशेष-मुसलमानो के राज्यकाल मे दक्षिण की मुसल हरावल । ३ किसी बात या घटना का पूर्व लक्षण । रियासतों के प्रधान मत्री 'पेशवा' कहलाते थे। पर उ समय तक यह शब्द अधिक प्रसिद्ध नहीं हुआ था पेशगाह-सज्ञा ली० [फा०] १ आँगन । अजिर । २ दरवार । इसके उपरात शिवाजी के प्रधान मत्री भी पेशवा ही राजसभा [को०)। जाने लगे। यद्यपि आगे चलकर शिवाजी ने यह शब्द पेशगोपज्ञा स्त्री॰ [फा०] वह धन या रकम जो किसी को किसी दिया था, तथापि कुछ दिनो के बाद फिर इसका प्रचार काम के करने के लिये उस काम के करने से पहले ही दे दी गया और धीरे धीरे यह शब्द 'प्रधान मत्री' का पर्याय सा जाय। पुरस्कार या मजदूरी आदि का वह मंश जो काम गया। आगे चलकर जब शिवाजी के राजवश का ह्रास हो होने से पहले ही दिया जाय। अगौडो । भगाक। पग्रिम लगा, तव पेशवा लोग ही महाराष्ट्र साम्राज्य के -4व हुए। कई एक पेशवामो के समय में महाराष्ट्र साम्राज्य पेशगोई-सज्ञा स्त्री० [फा० ] पेशीनगोई । भविष्यवाणी । (को०] । शक्ति वहुत बढ़ गई थी। पेशतर-क्रि० वि० [फा०] पहले । पूर्व । पेशवाई-सच्चा श्री० [फा० ] किसी माननीय पुरुष के आने पेशताख-गज्ञा त्री० [फा० पेशताक ] एक प्रकार की मेहराब जो कुछ दूर भागे चलकर स्वागत करना । अगवानी । अच्छी इमारतों मे दरवाजे के उपर और आगे को पोर पेशवाई-सच्चा श्री० [हिं० पेशवा + ई (प्रत्य॰)] १ शव निकली हुई बनाई जाती है । की शासनकला । २ पेशवा का पद या कार्य। पेशदस्त-सञ्ज्ञा पुं० [फा० ] द० 'पेशकार'। पेशवाज-सज्ञा स्त्री॰ [फा० पेशवान ] वेश्यानो या नतंकियो पेशदस्ती-मज्ञा स्त्री० [फा०] वह 'अनुचित कार्य जो किसी पक्ष वह घाघरा जो वे नाचते समय पहनती हैं। इसका घेरा 3 की ओर से पहले हो। छेडखानी। जबरदस्ती । ज्यादती । अधिक होता है और इसमें प्राय जरदोजी का काम व ६-४८ घन ।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३९२
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।