पैड़ारे ३०६ पेन्सिज माहिं । परगट पेडाइत बस तहँ सत काहे को जाहिं । दादू, अतर्गत प्रतिजीवाणू (ऐंटीबायोटिक ) वर्ग की प्रमुख पृ०२६१। ओषधि जिसका प्रयोग मुख्यत मतपेशी ( इट्रामस्वयुलर ) पेडारा-वज्ञा पुं॰ [सं० पिण्ड ] एक प्रकार का वृक्ष । इजेक्शन के रूप में किया जाता है। टिकिया रूप में खाने पैडिल-मचा स्त्री॰ [म.] साइकिल का वह भाग जिसपर पैर तथा मलहम के रूप में लगाने में भी इसका व्यवहार होता है। रखकर चलाया जाता है। पांवदान । विशेष-लदन सेंट मेरी चिकित्सालय के प्रो. अलेक्जेंडर पेडी-मज्ञा श्री० [ स० पिण्ड ] १ वृक्ष की पीड । पेड का तना । फ्लेमिंग ने सन् १९२८ में सवर्धन पट्टिकाप्रो (कल्चर प्लेटो) घड़ । काह । २ मनुष्य का घट। शरीर का ऊपरी भाग । का सामान्य परीक्षण करते समय प्राकस्मिक रूप से इसका ३ पान का पुराना पौधा । जैसे, पेडी का पान । ४ पुराने पता लगाया था। परतु इसके वास्तविक सघटन, गुण और पौधे के पान । वह पान जो पुराना तोडा हुआ तो न हो, पर शक्तियों का सही ज्ञान दस वर्षों बाद प्राप्त हुपा। यह एक पुराने पौधो मे बाद में हुमा हो । उ०-हौं तुम्ह नेह पियर प्रकार की फफूंद या भुकडी है जिसके सपर्क में आने पर मा पानू । पेही हुन सोनरास बखानू ।-जायसी प्र०, पृ० अनेक दुस्साध्य रोगो के जनक और वाहक रोगाणु तत्काल १३५ । ५ वह कर जो प्रति वृक्ष पर लगाया जाय। ६ वह नष्ट हो जाते हैं और रोग दूर हो जाता है। पेनिसिलिन खेत जिसमें पहले ख बोया गया और जो फिर जो या का आविष्कार चिकित्सा जगत् मे वर्तमान शताब्दी की गेहूँ बोने के लिये जोता जाय । ७ एक बार का काटा हुमा सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है । दुष्टग्रण, पृष्ठवण, नील का पौधा । ८ दे० 'पंडी' । न्यूमोनिया, उपवण, सूजाक आदि अनेक अमाध्य समझे जानेवाले रोगो की चिकित्सा में पेनिसिलिन गमवाण मिद्ध पेड़-सशा [हिं० पेट] १ नामि मौर मूत्रंद्रिय के बीच का स्थान । हुई है। फ्लेमिंग महोदय को इसके आविष्कार के उपलक्ष में उपस्थ । २ गर्भाशय । 'सर' की उपाधि और नोवेल पुरस्कार मिला था। मुहा०-पेड़ की थाँच = (१) किसी पुरुष साथ स्त्री का वह प्रेम जो केवल कामवासना के कारण हो। (२) स्त्री को पेनी-शा स्त्री० [अ० ] इगलैंड मे चलनेवाला तांबे का सिक्का जो एक शिलिंग का बारहवाँ भाग होता है । यह भारत कामवासना । पेणा-सज्ञा पु० [ दश० ] पीना साँप । उ०-4 रिणछोड छके के प्राय तीन (अव प्राय. पांच ) पैसो के बराबर मूल्य का होता है। मुख पाया। पेणं जाण नींद वस पाया।-रा० रू., पेनीवेट-सज्ञा पुं॰ [ H०] एक अंगरेजी तौल जो लगभग १० रत्ती पृ० २५८। के बरावर होती है। पेत्व-सज्ञा पुं० [सं०] १ सुधा । पीयूष । २ घृत । घो। ३ छाग पेन्शन-सा मी० [ मं०] वह मासिफ या वार्षिक वृत्ति जो किसी या मेप (को०] । व्यक्ति भथवा उसके परिवार के लोगो को उसकी पिछली पेदड़ी-सशा स्त्री० [हिं० ] दे० 'पिद्दी' । सेवामों के कारण दी जाय । पेदर-मज्ञा पुं॰ [ देश० ] एक प्रकार का बहुत बडा जगली पेट विशेप-जो लोग कुछ निश्चित समय तक किसी राजकीय जिसके पत्ते हर साल झड जाते हैं। (जैसे, शासन, सेना आदि ) विभाग में काम कर नुकते हैं, विशेप-इमकी लकही भीतर से सफेद और बहुत मजबूत होती उन्हे वृद्धावस्था में, नौकरी से अलग होने पर, कुछ वृत्ति है । यह मेज, कुरसियाँ, अलमारियाँ और नावें वनाने तथा दी जाती है जो उनके वेतन के प्राधे के लगभग होती है। इमारत के काम में आती है। इसकी जड, पत्ते और फूल सेना विभाग के कर्मचारियों के मारे जाने पर उनके परिवार- पोषधि रूप में भी काम आते हैं। यह पेड मदरास और वालों को, अथवा किसी राज्य को जीत लेने पर उस वगाल मे अधिकता से होता । । राजकुल के लोगो और उनके वशजों को भी इसी प्रकार कुछ पेन'–सज्ञा स्त्री॰ [अ० पेन् ] कलम । लेखनी । वृत्ति दी जाती है । इसी प्रकार की वृत्तियां पेनशन पेन–सद्धा स्त्री० [अ० पेऽन ] पीडा । दर्द । वेदना । कहलाती हैं। पेन-सज्ञा पुं० [ देश ] लसोडे की जाति का एफ वृक्ष जो गढवाल क्रि० प्र०-देना। -पाना। -मिलना । -लेना। में होता है । इसकी लकडी मजबूत होती है। इसे 'कूम' पेन्शनर-सञ्ज्ञा पुं० [प्र. ] वह जिसे पेन्शन मिलती हो। भी कहते हैं। पेनशन पानेवाला व्यक्ति । पेनशनिया-सञ्ज्ञा पुं० [अ० पेन्शन ] वह जिसे पेंशन मिलती हो। पेन्स-संज्ञा पुं० [अ० ] पेनी का बहुवचन । विशेष दे० 'पेनी' । पेंशन पानेवाला । पेंशनर । पेनसिल-सज्ञा स्त्री॰ [ प.] लिखने का एक प्रसिद्ध साधन जिससे पेनाना@+-क्रि० स० [हिं० पहिनाना, पेन्हाना ] दे० 'पहनाना' । बिना दावात या स्याही के ही लिखा जाता है। उ.-लाल कमली वोढे पेनाए, बेसु हरि थे कैसे बनाए। विशेष—यह प्राय. सुरमे, सीसे, रगीन खडिया या इसी प्रकार दक्खिनी०, पृ० १०३ । की और किसी सामग्री की बनी हुई पतली लबी सलाई पेनिसिलिन-सक्षा श्री० [अ०] ऐलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के होती है। जो या तो कलम के माकार की गोल लबी लकड़ी
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३८९
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