पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३७९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गृधीपति ३०८८ पृथुशिध पृयीपति-आ० [हिं० पृथी+म० पति ] पृथ्वीपति । राजा। अपना घोडा छीनकर उसका नाम 'विजिताश्व' रखा । पृयु 30--कोटि मरद गग्ध पसरय, पृथीपति होन की चाह उस समय इद्र को भस्म करना चाहते थे, पर ब्रह्मा ने माकर उगेगी।-सतयागी, भाग २, पृ. १२१ । दोनो में मेल करा दिया। यज्ञ समाप्त करके पृयु ने सनत्कुमार से ज्ञान प्राप्त किया और तब वे अपनी स्सी को साथ लेकर पृथु'-० [म०] १ चौड़ा। विस्तृत । २ बडा। महान् । ३ तपस्या करने के लिये वन मे चले गए। वही उन्होने योग के अधिक । प्रगणित । अमरय । ४. कुगल । चतुर । प्रवीण । द्वारा अपने इस भोगशरीर का मंत किया। ५. स्थल । मोटा (ो.)। ६ प्रभूत । प्रनुर (को०)। पृथुर-शा पुं० [१०] १ एक हाय का मान । दो वालिश्त की पृथु -सञ्ज्ञा स्ो [सं०] १ काला जीरा । २ हिगुपत्री। ३. नंबाई। २ अग्नि। ३ विपणु। ४ शिव का एक नाम । पहिफेन । अफीम। ५ एक विश्वेदेवा गा नाम । ६ चौये मन्यतर के एक सप्तर्षि पृथुक-सवा ५० [सं०] १ चिडवा । २ पुराणानुसार चाक्षुष का नाम । ७ पुगणानुसार एक दानव का नाम । ८ तामम मन्वतर का एक देवगण । ३ बालक । लडका। ४ मन्यंतर के एक अपि का नाम । ६ इक्ष्वाकु वश के पांचवें हिंगुपत्री। गजा गा नाम जो पिशकु या पिता था। १०. राजा वेणु पृथुका-सभा सी० [ स०] हिंगुपत्री। मे पुत्र का नाम । पृथुकीर्ति'-सज्ञा स्त्री० [सं० ] पुराणानुसार पृथा (या वसुदेव ?) की विशेप-पुगणो में वहा है कि जब राजा वेगु गरे, तब उनके एक छोटी बहन का नाम । कोई मतान नही थी। इसलिये प्राह्मण लोग उनके हाथ पृथुकोतिर–वि० जिसकी कीर्ति बहुत अधिक हो । पाटपर हिलाने लगे। उस समय उन हाथो में से एक स्त्री पृथुकोल-सज्ञा पुं० [सं०] वड़ा वेर । मोर एक पुरुप उत्पन्न हुा। ग्राह्मणो ने उस पुरुप का नाम 'यु' रया और उस स्त्री को उनकी पत्नी बनाया। इसके पृथुग-तज्ञा पुं० [सं० ] चाक्षुप मन्वतर के देवताप्रो का एक भेद । उपगत मव ब्राह्मणो ने मिलकर पृथु फा राज्याभिषेक किया पृथुग्रीव-वि० [सं०] मोटी गरदनवाला [को०। और उन्हें पृथ्वी का स्वामी बनाया। उस समय पृथ्वी मे.से पृथुच्छद-सज्ञा पु० [सं०] १ एक प्रकार का डाम । २ हाथोफेद । मन्न उत्पन्न होना यद हो गया जिससे सब लोग बहुत दुखी पृथुता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] ३. पृयु होने का भाव । २ पृथुत्व । हुए। उनका दुग्प देखकर पृथु ने पृथ्वी पर चलाने के लिये विस्तार । फैलाव। पमान पर तीर चढाया। यह देखकर पृथ्वी गो का रूप पृथुत्व-सच्चा पु० [सं०] दे० 'पृथुता' । धारण करके भागने लगी और जब भागती भागती थक गई पृथुदर्शी-वि० [ सं० पृथुदशिन् ] दूरदर्शी [को॰] । तब फिर पृयु की शरण मे पाई और कहने लगी कि ब्रह्मा ने पृथुपत्र-सशा पुं० [सं०] १ लाल लहसुन । २ हायीकद । पहले मुझपर जो प्रोपधियाँ प्रादि उत्पन्न की थी, उनका लोग दुरुपयोग करने लगे, इसलिये मैंने उन सबको अपने पेट पृथुपलाशिका-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] कचूर । भे रस लिया है। अव पाप मुझे दुहकर वे सव प्रोषधियाँ पृथुपाणि-पद्या पुं० [सं०] जिसके हाथ बहुत लवे या घुटनो तक निकाल लें। इसपर पृयु ने मनु को बछडा पनाया और अपने हों। पाजानुवाह। हाथ पर पृश्वीरूपी गौ से मव घोषधियां दुह ली। इसके पृथुबीजक-सज्ञा पु० [ स०] मसूर [को॰] । उपरात पद्रह ऋषियो ने भी वृहस्पति को बछडा बनाकर पृथुभैरव-सच्चा [ सं०] वौद्यो के एक देवता का नाम । अपने गानों में वेदमय पवित्र दूध दुहा पोर तव दैत्यों, दानवो पृथुयशा-वि० [सं० पृथुयशस् ] जिसकी ख्याति दूर दूर तक फैनी गों, मप्मराम्रो, पितरों, मिद्घो, विद्याधरो, खेचरो, हो । सुप्रसिद्ध [को०] । पिन्नरों, मायाचियो, यक्षों, गक्षसो, भूतो और पिशाचों मादि पृथुरोमा-सहा पुं[ स० पृथुरोमन् ] पृथुलोमा । मछली । प्रपनी अपनी रुचि के अनुसार सुरा, पासव, सुदरता, मधुरता, गव्य, परिणमा मादि मिडिया, खेचरी विद्या, पृथुल-वि० [स०] १. मोटा ताजा । २ दीर्घाकार | भारी । प्रसर्धान विद्या, माया, मानव, विना फन फे सांप, बिच्छू वडा । उ०-पीयर मासल प्रस, पृयुल उर, लवी बांहें ।- मादि पनेक पदार्थ दुहे। इसके उपरात पृथु ने सतुष्ट होकर साकेत, पृ० ४१४ । ३ बहुत । ढेर । अधिक । पृथ्वी को 'दुहिता' पाहकर सदोधन किया प्रोः तव उसके यौ०-पृथुलनयन, पृथुलमोचन = बड़ी वही प्राखोवाला । मायत बहुत से पर्वतो मादि को तोडकर इसलिये सम कर दिया नेत्रोवाला। पृथुलवधा = चौड़े सीनेवाला। पृथुलविक्रम = जिसमे वर्षा का जल एक स्थान पर रुकन जाय, भोर तब प्रत्यत पराक्रमी शूरवीर । उसपर भनेक नगर मौर गाय प्रादि बसाए । पृथु ने ६६ पृथुला-सा पी० [सं०] हिंगुपत्री। या किए थे। जब ये सौपायम करने लगे तब इद्र उनके यश पृथुलाक्ष-वि० [सं०] बढी वही प्रांखोंपाला (को॰] । पा घोटा लेयार भागे। मृयु ने उनका पीछा किया । इद्र ने पृथुप्लोमा-सञ्चा स्त्री० [म. पृथुलोमन् ] १ मछली । २. ज्योतिष मे घनेन प्रमा- प धारण किए थे, जिनसे जैन, बौद्ध मीन राशि पोर पापातिक मादि नतो की 'गृष्टि हुई। पृयु ने इंद्र से पृथुशिव-सज्ञा पुं० [सं० पृथुशिम्य] १ सोनापाठा । २ पीसी सोध ।