पुजंत २०३६ पुजता-क्रि० वि० [हिं० + अंत ( प्रत्य० ) पूजना ( = पूजा मुहा०-पुजापा फैलाना = (१) वस्तुप्रो को बिना किसी क्रम के इधर उधर फैलाकर रखना । (२) पावर फैलाना। करना) ] पूजन करने के लिये । पूजनार्थ । उ०-गौरि बखेडा फैलाना। पुजतहि वेटी प्राई सुभद्रा । --पोद्दार अभि० ग्र० पृ० ९५८ । २ पूजा की सामग्री रखने की झोली । पुजाही। पुजता-सहा पुं० [सं० पूजा + अन्ता (प्रत्य॰)] वह व्यक्ति जो पूजा करे । पुजारी। पूजा करनेवाला । पुजापेदानी-सञ्ज्ञा सी० [हिं० पुजापा+फा० दान (प्रत्य॰)] पूजा का पात्र । उ०-घरेलू बरतन भांडे प्राय मिट्टी के भाँति भौति पुजना-क्रि० अ० [हिं० पूजना ] १ पूजा जाना । पाराधना का के प्रकार और प्राकृति फे, बनाए जाते थे, जैसे, पुजापेदानी, विषय होना। जैसे,—वहाँ अनेक देवता पुजते हैं । २ भारत पीने के प्राबखोरे आदि । -हिंदु० सभ्यता, पृ० २१ । होना । समानित होना । ३ पूर्ण होना । पूरा होना। पुजारो-सज्ञा पुं॰ [ म०, पूजा+कारी ] १ पूजा करनेवाला । जो पुजवनाg- क्रि० स० [हिं० पूजना ] १ पुजाना । भरना। २ पूजा करता हो। २ किसी देवमति की नियमित रूप से पूरा करना । ३ सफल करना। उ०-जिन व्रज वीथिन मे सेवा शुश्रूपा करनेवाला व्यक्ति । सदा विहरत स्यामा स्याम । सकल मनोरथ मजु मम ते पुजवह सुख घाम । -(शब्द०)। पुजाही-मशा समो. [ हिं० पूजा+श्राही (प्रत्य॰)] पूजन की सामग्री रखने की थैली या पात्र। पुजवना-नशा पुं० [हिं० पूजा ] पूजा के लिये सामग्री । पूजा का पुजेराहु-सज्ञा पुं० [हिं० पूजा + एरा (प्रत्य॰)] दे 'पुजारी' । उपकरण। पूजा करने का सामान । पुजापा। उ.-जब यह बात पुजेरा कही । सरग सेन जिय मानी पुजवाना-क्रि० स० [हिं० पूजना का प्र० रूप ] १ पूजन सही। अध०, पृ० १०॥ कराना । पूजा करने में प्रवृत्त करना । पाराधन कराना । जैसे, हम अपने ठाकुर दूसरे से पुजवा लेंगे। २ अपनी पुजेरी-सज्ञा पुं० [हिं० पूजा + एरी (प्रत्य॰) ] 'पुजारी' । उ.-अाप देव पाप ही पुजेरी । आपुहि भोजन जैवत ढेरी । पूजा कराना । पूजा प्रतिष्ठा लेना । जैसे,-ये देवता ऐसे हैं -सूर (शब्द०)। जो सबसे पुजवाते हैं । ३ अपनी सेवा शुश्रूषा कराना । आदर पुजेलान-सज्ञा पुं० [हिं० पूजा ] दे॰ 'पुजारी। समान कराना । जैसे,-गाँवो मे साधु अपने को खूब पुजवाते हैं। पुजैया'-मज्ञा पुं० [हिं० पूजन + ऐया (प्रत्य॰)] पुजारी। पूजा पुजाई-सचा सी० [हिं०/पूज+पाई (प्रत्य॰)] १ पूजने का भाव या क्रिया। जैसे, गगापुजाई । २ पूजने का दाम या पुजैयार-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० पूजना (=भरना) ] पूरा करनेवाला । भरनेवाला। मजदूरी। पुजाई -सज्ञा स्त्री० [हिं० पूजना( = पूरा होना) ] १ पूरा करने पुजैया'-सञ्ज्ञा स्रो० १ > 'पुजाई' । २ वाजे गाजे के साथ सपरि- की क्रिया या भाव । २ पूरा करने की मजदूरी। वार किसी देवता के गीत गाते हुए पूजन के निमित्त जाने की क्रिया। पुजाना'-क्रि० स० [हिं० पूजना का प्र० रूप] १ दूसरे से पूजा पुजौना-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० पूजा+ौना (प्रत्य॰)] दे० 'पुजवना' । कराना । पूजा मे प्रवृत्त या नियुक्त करना । जैसे, पुजारी से पुजोरा-सक्षा पुं० [ हि० पूजा+भार ? ] १ पूजन । अर्चना । २ ठाकुर पुजाना। २ अपनी पूजा प्रतिष्ठा कराना। पादर पूजा के समय देवता को अर्पित करने की सामग्री। सम्मान प्राप्त करना । भेंट चढ़वाना। ३ घन वसूल करना। पुज्जना–क्रि० स० [सं० पूजन ] मर्चन करना । 'पूजना' । जैसे,—(क) गांवों में बैरागी खूब पुजाते हैं । (ख) माज ५) उससे पुजाए। उ.-करि होय देव पुज्जे अपार । गो भुभि रत्थ हाटक सुढार । -ह. रासो, पृ० १५ । संयो॰ क्रि०-लेना। पुज्जना२-क्रि० प्र० [हिं० पूजना] पूरा होना । पूण होना । पुजाना'-क्रि० स० [हिं० पूजना (= पूरा होना, भरना)] १ पूजना। उ०-भय चद चद तन मन प्रसन । अस प्रभूत भर देना। किसी घाव, गढे आदि को बरावर करना । पुज्जिय रलिय। -पृ० रा०, ६। जैमे,-यह दवा घाव को बहुत जल्दी पुजा देगी। पुट'-सज्ञा पुं० [अनु० पुट पुट ( छोटा = गिले का शब्द ) ] १. सयो० कि०-देना। किसी वस्तु से तर करने या उसका हलका मेल करने के लिये २ पुग करना । पूर्ति करना । कमी दूर करना। उ०-पड़वधू डाला हुआ छींटा। हलका छिरकाव । जैसे,- (क) पकाते पटहीन सभा में कोटिन वसन पुजाए। - सूर (शब्द०)। वक्त ऊपर से पानी का हलका पुट दे देना। ३ परिपूर्ण करना। सफल करना । उ०-करि विवाह क्रि० प्र-देना। ताही ले पायो । तासु मनोरथ सकल पुजायो ।-पूर २ रंग या हलका मेल देने के लिये किसी वस्तु को घुले हुए (शब्द०)। रग या और किसी पतली चीज में डवाना । बोर । जैसे- पुजापा-सझा पु० [ मं० पूजा+? ] १ देवपूजन की सामग्री, जैसे, इसमें एक पुट लाल रंग का दे दो। उ०—ज्यो बिन पुद पट फूलपत्र, नैवेद्य, पचपास, अरघा इत्यादि । पूजा का सामान । गहत न रंग को, रग न रसै परे ।-सूर (शब्द०)। करनेवाला।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३२९
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।