पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३२

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पंजहजारी २७४१ पंजि पंजहजारी-सञ्ज्ञा पुं० [फा० पंजहजारी ] एक उपाधि जो मुसलमान १०. ताश का वह पत्ता जिसमें पांच चिह्न या बूटियाँ हो । राजाओं के समय मे सरदारो और दरवारियों को मिलती जैसे, ईंट का पजा। ११ जुए का दांव जिसे नक्की भी थी। ऐसे लोग या तो पांच हजार सेना रख सकते थे अथवा कहते हैं। पांच हजार सेना के नायक वनाए जाते थे। मुहा०-छक्का पजा=दांव पेंच । चालवाजी। उ०-नीकी पंजा-सशा पु० [फा० पंजह तुलनीय वि० स० पंचक ] १. पांच चाल काहू की सिखाई जो न मानै श्री न जाने भली भांति चलिवे को व्यवहार है। छक्का पजा बद कामादिक के का समुह । गाही । जैसे, चार पजे आम । २ हाथ या पैर की पांचों उँगलियो का समूह, साधारणत हथेली के सहित हाथ न चूके सौ न जीवन के रग बदरग को प्रचार है।-चरण चद्रिका ( शब्द०)। की और तलवे के अगले भाग के सहित पैर की पांचो उँग- लियां । जैसे, हाथ या पैर का पजा, बिल्ली या शेर का पजा। पंजातोड़ बैठक-सज्ञा स्त्री० [हिं० पजा + तोड़ना + बैठक] कुश्ती का मुहा०-पजा फेरना या मोड़ना = पजा लडाने मे दूसरे का एक पेंच जिममे सलामी का हाथ मिलाते हुए जोड के पजे पजा मरोड देना । पजे की लड़ाई मे जीतना। पंजा फैलाना को तिरछा लेते हैं, फिर अपनी कुहनी उसके पेट के नीचे रख या चढ़ाना = लेने या अधिकार में करने के लिये हाथ पकडे हुए हाथ को अपनी गर्दन या कधे पर से ले जाकर बगल बढाना । हथियाने का डोल करना । लेने का उद्योग मे दवाते हैं और झटके के साथ खीच कर जोड को चित गिराते हैं। करना । पंजा मारना = लेने के लिये हाथ लपकाना। झपाटा मारना। पंजे झाडकर पीछे पड़ना या चिमटना= पंजाब-सञ्ज्ञा पु० [फा०] [वि० पजाबी ] मारन के उत्तरपश्चिम हाथ घोकर पीछे पडना । जी जान से लगना या तत्पर का प्रदेश जहाँ सतलज, व्यास, रावी, चनाव और झेलम नाम होना । सिर हो जाना । पजे में = (१) पकड मे। मुट्ठी की पाँच नदियां बहती हैं। में। ग्रहण मे । जैसे, पजे में आया हुआ शिकार । (२) विशेष-प्राचीन ग्रथो मे इसका नाम पचनद पाया है। विद्वानो अधिकार मे। कब्जे मे। वश में । ऐसी स्थिति मे जिसमें की धारणा है कि ऋग्वेद मे जिस सप्तसिंधु का उल्लेख है वह जो चाहे किया जा सके । जैसे,- अब तो तुम हमारे पजे यही प्रदेश है । उसमे अशुमती, अजसी, अनितभा, अशमन्वती में फंस गए ( या मा गए ) हो, अब कहाँ जाते हो? असिक्नी, ककुभा ( काबुल नदी ), क्रम, शुतुद्री, वितस्ता, पजे में कर लेना अधिकार में कर लेना। उ०-हित ललक शिफा, शर्यणावती, सरस्वती, सुवास्तु ( स्वात ) से भरी लगावट ने, कर लिया है किसे न पजे मे।-चोखे०, इत्यादि जिन बहुत सी नदियो का उल्लेख है वे पृ०२० । पजे से पकड से । मुट्ठी से । अधिकार से । कब्जे प्राय सब पजाब की ही हैं। सरस्वती के किनारे का से । जैसे, पजे से छूटना, पजे से निकलना । पजा लड़ाना = सारस्वत प्रदेश वैदिक काल मे बहुत पुनीत माना जाता था एक प्रकार की कसरत या बलपरीक्षा जिसमे दो आदमी एक और वहाँ अनेक बडे वडे यज्ञ हुए हैं। मनुसहिता का ब्रह्मर्षि दूसरे की उगलियां फंसाकर मरोडने का प्रयत्न करते हैं । देश भी पजाब के ही अतर्गत था। महाभारत में आए हुए मद्र, उ०-भैरवो मेरी तेरी झझा । तभी वजेगी मृत्यु लडाएगी पारट्ट, सिंधु, गाधार प्रादि देश पजाब मे ही पडते थे। महा- जव तुझसे पजा।-अपरा, पृ० १३३ । पंजा लेना = पजा भारत मे मद्र देश के वासियो का प्राचार व्यवहार निदित लहाना। पजों के बल चलना = बहुत ऊँचा होकर चलना। कहा गया है। इतराना । गर्व करना । जमीन पर पैर न रखना। पजाबल-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० पजा+बल] पालकी के कहारो की बोली, ३ पजा लडाने की कसरत या बलपरीक्षा । यह सूचित करने के लिये कि आगे की भूमि ऊंची है। क्रि० प्र०—करना ।—होना । विशेष—यह वाक्य अगले कहार पिछले कहारो की सूचना के मुहा०-पजा ले जाना = पजा लडाने में जीत जाना । दूसरे का लिये बोलते हैं। पजा मरोड देना। पंजाबी-वि० [फा०] पजाव सवधी । पंजाब का । जैसे, पजावी ४ उंगलियो के सहित हथेली का गुल । जैसे, पजा घोडा, पजावी भापा, पजावी जूता। भर पाटा । ५ जूते का अगला भाग जिसमे उंगलियां रहती पंजाबी -मशा पुं० [म्मी० पजाबिन ] पजाय का रहनेवाला । हैं । जैसे,—इस जूते का पजा दवाना है। ६ वैल या भैंस की पसली की चौडी हड्डी जिससे भगी मैला उठाते हैं। ७ पजाव निवासी। पजे के आकार का बना हुआ पीठ खुजलाने का एक अौजार । पजारा-वश पु० [स० पिजा (-- रूई) अथवा पिजकार] १. रुई से ८ मनुष्य के पजे के आकार का कटा हुमा टीन या और सूत कातनेवाला । २ रुई धुननेवाला । धुनिया । किसी धातु की चद्दर का टुकडा जिसे लवे वांस आदि मे पंजाह-वि० [फा०, तुल स० पञ्चाशत् ] पचास (को०] । वांधकर झडे या निशान की तरह ताजिए के साथ लेकर पजि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ म० पजि] १ रुई की पिउनी या गोल पहल चलते हैं। ६ पुढे के ऊपर का मांस ( चिक या कसाई ) । जिसे हाथ मे लेकर काता जाता है। २ पालेख । वही ।