पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२७६

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पास पासाह पास'-~-1 पु० [सं० प्रास ( = बिछाना, ढालना )] प्रौवें के कर खरीददार के पाम दस्तगत कराने के लिये भेजता है। ऊपर उपले जमाने का काम । ३ वह किताब जिसमें किसी बैंक का हिसान पिताय पास--सया पु० [देश॰] भेडो के बाल कतरने की कैची का दस्ता । रहता है। पास-मज्ञा पुं० [फा०] १. एक पहर का समय । पहर । २ पासमान-शा पुं० [हिं० पास+मान ( प्रत्य० )] पास निरीक्षण । निगरानी। हिफाजत । रक्षा। ३ लिहाज । रहनेवाला दास । पार्यवतीं। उ०-तापी रानी नाम की शील सकोच [को०]। रत्नावली प्रसिद्ध । पाममान ताकी रही गही भक्ति तजि यो०-पासदार = (१) निरीक्षक । (२) पक्षपाती । तरफदार । सिद्ध । -रघुराज (शब्द॰) । पासदारी= (१) निरीक्षण । (२) पक्षपात । तरफदारी। पासरणा-सशा स्त्री० [हिं०] फैनना । छा जाना । प्रसरण । उ०-मगघ घरा पासरणा कीजै ।-रा० रु०, पृ० २७५ । पासना-क्रि० अ० [ स० पयस (= दूध ) ] इस अवस्था में होना कि यनो में दूध उतर पावे। थनो में दूध पाना। जैसे,- पासवर्ती-वि० [म० पाश्ववर्ती ] * 'पायवर्ती'। भंस देर मे पासती है (ग्वाले)। पासवान-सदा पु० [हिं०] १० 'पासमान' । पासनो-सज्ञा स्त्री० [ स० प्राशन ] अन्नप्राशन । बच्चे को पहले पाससार--सशा पुं० [हिं०] दे० 'पासासार'। पहल अनाज चटाने की रीति । उ०-प्रगट पासनी मे छवि पासा-सशा ० [ सं० पाशक, प्रा० पासा ] १. हायीदति या हट्ठी के छाई । भुव भर सहित फुपान उठाई।-लाल (शब्द०)। उंगली के बरावर छह पहले टुकडे जिनके पहलो पर विदिया विशेप-अन्नप्राशन के दिन बालक के सामने अनेक वस्तुएँ वनी होती हैं और जिन्हें चौसर के खेलने मे सेलाही वारी रखकर शकुन देखते हैं कि किस वस्तु पर उसका पहले हाथ वारी फेंकते हैं । जिस बल ये पडते हैं उमी के अनुसार विसात पडता है। उससे यह समझा जाता है कि वही उसकी पर गोटियां चली जाती है और प्रत मे हार जीत होती है। जीविका होगी। उ०-राजा करे सो न्याय । पासा पडे सो दाँव (शब्द॰) । पासपोर्ट-सज्ञा पुं० [अ० ] एक प्रकार का का अधिकारपत्र या मुहा०-(किसी का ) पासा पड़ना = (१) पासे का किसी परवाना जो, एक देश से दूसरे देश को जाते समय, सरकार के अनुकूल गिरना। जीत का दांव पडना। (२) भाग्य से प्राप्त करना पड़ता है और जिससे एक देश का मनुष्य दूसरे अनुकूल होना। किसमत जोर करना । पासा पलटना - (१) देश मे सरक्षण प्राप्त कर सकता है। अधिकारपत्र । छूट जिसके अनुकूल पहले पासा गिरता रहा हो उसके प्रतिकूल पत्रापारपत्र। गिरना । पासे का इस प्रकार पहने लगना कि हार होने लगे विशेष-अनेक देशो मे ऐसा नियम है कि उन देशो की सरकारो दाँव फिरना। (२) अच्छे से मद भाग्य होना । जमाना से पासपोर्ट या अधिकारपत्र प्राप्त किए बिना कोई विदेश वदलना। दिन फा फेर होगा। (३) युक्ति या तदी। नहीं जाने पाता । पासपोर्ट देना या न देना सरकार को इच्छा का उलटा फल होना। पासा फेंकना = (१) अनुकूल । पर निर्भर है। प्रवाछनीय व्यक्तियो या राजनीतिक सदिग्धो प्रतिकूल दांव निश्चित करने के लिये पासे का गिराना को पासपोर्ट नहीं मिलता, क्योकि इनमें अधिकारियो को भाग्य की परीक्षा करना। किस्मत आजमाना। ऐसे काम पाशका रहती है कि ये विदेशो में जाकर सरकार के विरुद्ध हाथ डालना जिसका फल कुछ भी निश्चित न हो। काम करेंगे। हिंदुस्तान से बाहर जानेवालो को भी पासपोर्ट २. वह खेल जो पासो से खेला जाता है। चौमर या खेल लेना आवश्यक होता है। विपोप-दे० 'चौसर' । ३ मोटी बत्ती के आकार में ला २ वह अधिकारपत्र या परवाना जो युद्ध के समय विरोधी हुई वस्तु । कामी । गुल्ली। जैसे मोने के पासे । ४ पोत देश के लोगो को अपने देश में निरापद पहुँचने के लिये दिया या कांसे का चौखुटा लवा ठप्पा जिसमे छोटे छोटे गोल गर जाता है। विना नियमित कर या महसूल के विदेश से घने होते हैं । घुघरू या लोग घुडी बनाने में सुनार सोने माल मंगाने या भेजने का प्रमाणपत्र या लाइसेंस । पत्तर को इसी पर रखकर ठोरते हैं जिससे वह फटोरी पासवंद-सज्ञा पु० [हिं० पास+फा० बंद ] दरी वुनने के करपे की साकार का गहरा हो जाता है ( सुनार ) । वह लपाती जिससे चै बंधी रहती है और जो नीचे ऊपर जाया पासान-पग पुं० [म० पापाया ] दे० पापाण'। उ०-पान। करती है। कुट्टिम भीति भीतर पूह उप्पर परिया।-गीति०, पृ० २६ पासा, पासवान'-वि० [फा०] रक्षा करनेवाला । रक्षक । पासार-सग पुं० [० प्रसार ] फेनाय । 'पसार' । १० पासषान-शा पी० रखेली सी। रखनी (राजपूताना) । वट के बीज जैस भाकार । पसरयो तीन लोक पासार पासवानो-राक्षा सी० [ फा०] निरीक्षण । देखभाल । -सत वाणी०, भा०२, पृ० ३५ । पासवुफ-सश मो[0] १ वक की वह पुस्तक जिसमें किसी पासासार-सचा पुं० [सं० पाशक हि० पाया+स० सारि (गोटी। प्रकार के लेनदेन का हिमाव किताव हो। २ वह वही या १ पासे की गोटी । २. पासे का सेल । किताब जिसमें सौदागर उधार ती गई चीजो के नाम लिख- पासाह-शा पुं० [फा० पादशाद] रामा। अधिपति । बादशाह