पालथि २४७६ पाला । पालथि-मज्ञा स्त्री० [हिं० पालथी ] दे० 'पालथी'। उ०—तर लेकर ७८५ ई. तक रहे। अतिम राजा गोविंद पाल थे गेरि पटवर प्रवरयं । करि पालथि छोरिय कमरय ।-ह. जिन्होने सन् ११४०ई० से लेकर ११६१ ई० तक राज्य रासो, पृ० ४६ । किया। एक ताम्रपत्र में लिखा है कि पाल राजा मिहिर या पालथी-सचा स्त्री॰ [ स० पय्यस्त ( = फैला हुआ) ] एक प्रकार का सूर्यवंशी क्षत्रिय थे । डा० हार्नले का मत है कि पाल वंश के बैठना जिसमें दोनों जघे दोनो ओर फैलाकर जमीन पर रखे राजा बौद्ध थे। जाते हैं और घुटनो पर से दोनो टाँगे मोडकर वायाँ पैर पालब-सज्ञा पुं॰ [स० पल्लव १ पल्लव । पत्ता । २ कोमल पत्ता । दाहिने जघे पर और दाहिना वाएँ पर टिका दिया जाता है। पालवणी-सज्ञा पुं० [हिं०] एक प्रकार का डिंगलगी। उ०- पद्मासन | कमलासन । चार पदा द्वाला चां, मोहरा चार मिलाण । लघु गुरु नेम न क्रि० प्र०-मारना । लगाना । ल्याइये, पालवणी परमाण।-रघु० रु०, पृ० १६५ । पालन-सज्ञा पुं० [सं०] [ वि० पालनीय, पालित, पाल्य ] १ पाला'- सच्चा पुं० [ स० प्रालेय ] १. हवा मे मिली हुई भाप के भोजन वस्त्र प्रादि देकर जीवनरक्षा । भरण पोषण । रक्षण । अत्यत सूक्ष्म अरणुप्रो की तह जो पृथ्वी के बहुत ठढा हो जाने परवरिश । २ तुरत की व्याई गाय का दूध । ३. लडको को पर उसपर सफेद सफेद जम जाती है। हिम । उ०-जल तें वहलाने का गीत । ४. अनुकूल प्राचरण द्वारा किसी बात की पाला, पाला तें जल, प्रातम परमातम इकलास । -सुदर० रक्षा या निर्वाह । भग न करना । न टालना । जैसे, आज्ञा- न०, भा०१, पृ० १५६ । पालन, प्रतिज्ञापालन, वचन का पालन । क्रि० प्र०-गिरना ।-पदना। पालन-वि० रक्षा करनेवाला । रक्षक । मुहा०-पाला पढ़ना = दे० 'पाला मार जाना' । पाला मार यौ०-पालनपोषण = भोजन, कपडा प्रादि सब प्रकार की जाना-पौधे या फसल का पाला गिरने से नष्ट हो जाना। आवश्यकतामो की पूर्ति करना। परवरिश । पालनहार = पाला मारना-दे० 'पाला मार जाना' । पूरा करनेवाला । पालनेवाला। उ०—साँई तुम व्रत पालन २ हिम । ठढ से ठोस जमा हुआ पानी । धर्फ। ३ ठढ । हारे ।-जग० श०, भा॰ २, पृ०१०४। सरदी । शीत। पालना-क्रि० स० [सं० पालन ] १, पालन करना । भोजन वस्त्र पाला- सज्ञा पुं० [हिं० पल्ला ] सवध का अवसर । लगाव का प्रादि देकर जीवनरक्षा करना । रक्षा करना । भरण पोषण मौका । व्यवहार करने का सयोग । वास्ता । साविका । करना । परवरिश करना । जैसे,—इसी के लिये माँ बाप ने विशेष—यह शब्द केवल 'पडना' के साथ मुहा० के रूप में प्राता तुम्हें पालकर इतना बडा किया । २ पशु पक्षी आदि को है । जैसे,—खूबो को जानता था गरमी करेंगे मुझसे । दिल रखना । जैसे, कुत्ता पालना, तोता पालना । ३ मंग न सर्द हो गया है जब से पहा है पाला।-कविता कौ०, भा० करना । न टालना । अनुकूल आचरण द्वारा किसी बात की ४, पृ०६। रक्षा या निर्वाह करना । जैसे, प्राज्ञा पालना, प्रतिज्ञा पालना। मुहा०-(किसी से ) पाला पडना=व्यवहार करने का सयोग पालना-शा पुं० [सं० पत्यक ] रस्सियो के सहारे टंगा हुमा एक होना । वास्ता पडना । काम पडना । जैसे,-बड़े भारी दुष्ट प्रकार का गहरा खटोला या विस्तरा जिसपर बच्चो को से पाला पडा है। ( किसी के ) पाले पड़ना = वश मे होना । सुलाकर इधर से उधर झुलाते हैं। एक प्रकार का झूला काबू में पाना। पकड मे पाना। उ०-(क) परेड कठिन या हिंडोला। पिंगूरा। गहवारा। उ०—(क) पालनी रावण के पाले ।-तुलसी (शब्द॰) । (ख) जो सदा मारते प्रति सु दर गढि ल्याउ रे बढ़या ।-सूर०, १०। ४१ । रहे पाला । वे पढ़े टालटुल के पाले ।-चुभते०, पृ० २५ । (ख) जसोदा हरि पालन मुलावै ।-सूर०, १० । ४३ । पाला-सज्ञा पुं॰ [सं० पल्लव, हिं० पालो ] झटवेरी की पत्तियाँ पालनीय-वि० [सं०] १ जिसकी रक्षा की जाय । २ जो रक्षणीय जो राजपूताने मादि मे चारे के काम में आती हैं। हो [को०] । पाला'-सञ्ज्ञा पुं॰ [ सं० पट्ट हिं० पाड़ा ] १ प्रधान स्थान । पीठ । पालयिता- सशा पुं० [ स० पालयित ] रक्षक । अभिभावक [को०] । सदर मुकाम । २ सीमा निर्दिष्ट करने के लिये मिट्टी का पालरा-सञ्ज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'पलरा'। उ०-सार शब्द के बने उठाया हुमा मेड या छोटा भीटा । धुस । ३ कबड्डी के खेल पालरा सत के दौड़ी लागी हो।—कबीर श०, भा० ३, में हद के निशान के लिये उठाया हुआ मिट्टी का धुस या खीची पृ०५१ । हुई लकीर । पालल-वि० [सं०] तिल के पूर्ण से बना हुमा [फो०] । मुहा०-पाला मारना = कबड्डी के खेल में सभी प्रतिपक्षियो को पालवंश-सज्ञा पुं० [सं०] वगाल का एक प्रसिद्ध राजवश जिसने हराना । उ०—जो सदा मारते रहे पाला । वे पसे टालटूल के साढ़े तीन सौ वर्ष तक मगध और वग देश पर राज्य पाखे । चुभते०, पृ० १५१ । किया था। ४ अनाज भरने का बहा वरतन जो प्रायः कच्ची मिट्टी का गोल विशेष-इस वश के संस्थापक गोपाल थे जो सन ७७५ ई० से दीवार के रूप में होता है। डेहरी। ५. अखाड़ा। कुश्ती
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