पाथ्य पार पाथ्य'-वि० [स०] १ पान करने के योग्य | पीने के लायक । २. निम्न । निंदनीय (को०] । पाथ्य-मञ्चा पुं० [स०] १ जल । २ परिमाण (को०) । ३ पेशा । व्यवसाय (को०)। ४ रक्षण (को०)। ५ पीना। पान करना (को०)। पारंगत-वि० [सं० पारङ्गत ] १ पार गया हुमा। २ जिसने किसी शास्त्र या विद्या को पढ़कर पार किया हो। जिसने किसी विषय को आदि से प्रत तक पूरा पढ़ा हो । पूर्ण पडित । पूरा जानकार । दे० 'पारगत'। पारपरीण-व० [सं० पारम्परीण] परपरागत । एक के पीछे दूसरा इस क्रम से बराबर चला पाता हुमा । पारंपर्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं० पारम्पर्य ] १. परपरा का भाव । २. परपराक्रम । ३ कुलक्रम । वशपरपरा। ४ आम्नाय । परपरा से चली आती हुई रीति । यौ.-पारपर्यक्रम = परपरा से चला आता हुमा क्रम या सरणि । पारपर्येण-क्रि० वि० [सं० पारम्पर्येण ] क्रमशः । एक के बाद एक के क्रम से [को०] पारंपर्योपदेश-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० पारम्पर्योपदेश ] परपरा से चला प्राता हुआ उपदेश । ऐतिह्य जो प्रमाण के रूप में माना जाता है (को०] 1 पारभ-सञ्ज्ञा पुं० [स० प्रारभ ] दे० 'प्रारभ'। उ०-चिति मत प्रारभ सेन पारभ विचारिय । वाल वीर प्रथिराज देह नाही परिहारिय। -पृ० रा०, ७।२८ । पार'-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ किसी दूर तक फैली हुई वस्तु के विशेषत नदी, समुद्र, झील, ताल आदि जलाशयो के आमने सामने के दोनों किनारो में उस किनारे से भिन्न किनारा जहाँ (या जिसकी ओर ) अपनी स्थिति हो। दूसरी ओर का किनारा । अपर तट की सीमा। जैसे,--(क) यह नाव पार जायगी। (ख) जगल के पार गांव मिलेगा। (ग) वे पार से मा रहे हैं। (घ) नदी पार के आम अच्छे होते हैं । उ०- अगद कहा जाम में पारा । जिय ससय कछु फिरती बारा ।- तुलसी (शब्द०)। विशेष—इस शब्द के साथ सप्तमी की विभक्ति 'मे' प्राय लुप्त ही रहती है, इससे इसका प्रयोग भव्ययवत् ही जान पडता है। यौ०-धारपार = (१) यह किनारा और वह किनारा । (२) इस किनारे से उस किनारे तक । जैसे, नाले के भारपार लकडी का एक वल्ला रख दो। चारपार = यह किनारा और वह किनारा । जैसे,—जब नाव बीच धार में पहुंची तव वार- पार नहीं सूझता था। मुहा.-पार उतरना = (१) नदी आदि के बीच से होते हुए दूसरे किनारे पर पहुँचना। (२) जिस काम में लगे रहे हो उसे पूरा कर चुकना। किसी काम से छुट्टी पाना। (३) मतलव को पहुंचना । सिद्धि या सफलता प्राप्त करना । (४) मरकर समाप्त होना। मर मिटना (स्लि.)। पार उतर जाना= दे० 'पार उतरना' (१), (२), (३), (४) और (५) । मतलव साधकर अलग हो जाना । किनारे हो जाना । जैसे,-तुम तो ले देकर पार उतर गए, वोझ मेरे सिर पहा। पार उतारना = (१) दूसरे किनारे पर पहुंचाना । जल आदि के ऊपर का रास्ता ते कराना । (२) पूरा कर चुकना । समाप्ति पर पहुंचाना । (३) उद्धार करना । दुख या कष्ट से बाहर करना। उवारना। उ०-रघुवर पार उतारिए, अपनी घोर निहारि ।-(शब्द॰) । (४) समाप्त करना। ठिकाने लगाना | मार डालना। (नदी श्रादि) पार करना=(१) नदी आदि के बीच से होते हुए उसके दूसरे किनारे पर पहुँचना। जल आदि का मार्ग ते करना । (२) पूरा करना । समाप्ति पर पहुंचना। तै करना। निवटाना। भुगताना। (३) निवाहना। बिताना । जैसे, जिंदगी पार करना। ( किसी वस्तु या व्यक्ति को नदी आदि के ) पार करना = (१) नदी प्रादि के बीच से ले जाकर दूसरे किनारे पर पहुंचाना । जैसे, नाव को पार करना, किसी आदमी को पार करना। (२) दुर्गम मार्ग ते कराना। ( ३ ) कष्ट या दुख के बाहर करना । उद्धार करना। पार लगना = नदी आदि के बीच से होते हुए उसके दूसरे किनारे पर पहुंचना । किसी का पार लगना = निर्वाह होना। जीवन के दिन काटना । कालक्षेप होना । जैसे,—तुम्हारा कैसे पार लगेगा? (इस मुहा० में 'वेडा' शब्द लुप्त समझना चाहिए)। किसी से पार लगना = पूरा हो सकना। हो सकना । जैसे-तुम्हारा काम हमसे नही पार लगेगा । पार लगाना=(१) किसी वस्तु के बीच से ले जाकर उसके दूसरे किनारे पर पहुँचाना। उ०-हरि मोरी नैया पार लगा।-गीत (शब्द०)। (२) कष्ट या दु ख के बाहर करना । उद्धार करना। जैसे,- ईश्वर ही पार लगावे। (२) पूरा करना । समाप्ति पर पहुंचाना । खतम करना । जैसे,—किसी प्रकार इस काम को पार लगाओ। किसी का पार लगाना= निर्वाह करना। जीवन व्यतीत कराना । पार होना = (१) किसी दूर तक फैली हुई वस्तु के बीच से होते हुए उसके दूसरे किनारे पर पहुंचना । जैसे, नदी पार होना, जगल पार होना। (२) किसी काम को पूरा कर चुकना। किसी काम से छुट्टी पा जाना । ( ३ ) मतलब साधकर अलग हो जाना । जैसे- तुम तो अपना ले देकर पार हो जामो काम चाहे हो या न हो। पार हो जाना = दे० 'पार होना'-(१), (२) और (३) । (४) छुट्टी पा जाना। मुक्त हो जाना। रिहाई पा जाना। फैसाव, झझट, जवाबदेही पादि से छूट जाना । निकल जाना। जैसे-तुम तो दूसरों के सिर दोप मढ़कर पार हो जाओगे। लड़की पार होना = लडकी का व्याह हो जाना । कन्या के विवाह से छुट्टी पा जाना। २ सामनेवाला दूसरा पार्श्व । दूसरी तरफ। जैसे-(क) तीर कलेजे से पार होना । (ख) गेंद का दीवार के पार जाना। यौ०-पार पार = किसी वस्तु से होता हुया उसके इस ओर से उस पोर तक । किसी वस्तु के ऊपर, नीचे या भीतर से होता
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